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Gorakhpur News: बाजार में हैंडमेड राखियों की धूम, दुकानदारों के चेहरों पर लौटी मुस्कान

Gorakhpur News: लोग भी घरों से बाहर निकलकर खरीद्दारी कर रहे हैं। वहीं मार्केट में घूमने पर पता चला कि इस बार चाइना की राखियां नहीं बल्कि यहीं की राखियों की धूम है।

Purnima Srivastava
Written By Purnima SrivastavaPublished By Pallavi Srivastava
Published on: 21 Aug 2021 12:07 PM IST (Updated on: 21 Aug 2021 12:07 PM IST)
Handmade rakhi
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हाथ से बनी राखी pic(social media)

Gorakhpur News: प्रदेश में कोरोना कहर कम होने से त्यौहारों की रौनक वापस आ गयी है। बाजार राखियों और मिठाइयों से पटे नजर आ रहे हैं। इस बार लोग भी घरों से बाहर निकलकर खरीद्दारी कर रहे हैं। वहीं मार्केट में घूमने पर पता चला कि इस बार चाइना की राखियां नहीं बल्कि यहीं की राखियों की धूम है।

बता दें कि कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच चीन में बनीं राखियां बाजार से गायब हो गई हैं। चीन से राखियों का आयात कम हुआ तो स्थानीय हुनरमंदों को रोजगार मिल गया है। कई स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़कर महिलाएं राखियां बना रही हैं। वहीं पिछले साल की तुलना में राखी की बंपर बिक्री ने दुकानदारों की झोली भर दी है। वहीं सराफा कारोबारियों की भी चांदी है। इस बार सोने-चांदी की राखियों की बंपर बिक्री हो रही है।

राखी बनाती महिलाएं pic(social media)

कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम होने से त्यौहारों की रौनक लौटती दिख रही है। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल पांडेयहाता की थोक मंडी में राखियां गायब हैं। पिछले साल जहां बमुश्किल 50 लाख की राखियां बिकीं थीं, इस बार 3 करोड़ से अधिक राखियां बिकी हैं। कोलकाता की थोक मंडी से भी राखियां गायब हो गई हैं। वहीं गोरखपुर में राखी की फैक्ट्री संचालित करने वाले नीलांक्षी कहती हैं कि 'चीन से राखियों की आवक खत्म होने से स्थानीय कारीगरों की मांग बढ़ गई है। इस साल डिमांड पूरा करना मुश्किल हो गया है। पिछले साल की तुलना में इस बार राखियों की कीमतों में भी इजाफा हो गया है। राखी की न्यूनतम कीमत 20 रुपये पहुंच गई है। ब्रांडेड राखियों की कीमत 200 से 300 रुपये तक है।

हुनरमंद महिलाएं कर रहीं 400 रुपये तक की कमाई

स्वयंसेवी संस्था के जरिये लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी मधु राठौड़ का कहना है कि इस बार बाजार से चीन की राखियां गायब हैं। ऐसे में स्थानीय महिलाओं और करीगरों को काम मिल गया है। कोरोना काल में 100 से अधिक महिलाओं को रोजगार मिल गया है। वह रोज 300 से 400 रुपये की कमाई कर रही हैं। रक्षा बंधन का पर्व गुजरते ही महिलाएं दीवाली के लिए दीये बनाने में जुट जाएंगी।

महिलाओं को मिला रोजगार pic(social media)

सोने-चांदी के राखी की डिमांड बढ़ी

आभूषणों के बाजार में सोने व चांदियों की राखियों की भरमार है। सोने की राखियां 4000 से लेकर 10000 हजार तक में उपलब्ध है। बहनों में चांदी के ब्रेसलेट की सर्वाधिक डिमांड है। आकर्षक ब्रेसलेट 5000 से 8000 रुपये में उपलब्ध है। सोने की राखियां जहां एक से तीन ग्राम में उपलब्ध है, वहीं चांदी की राखी भी 5 ग्राम से लेकर 20 ग्राम तक में मिल रही हैं। बड़ी से लेकर लोकल कंपनियां मेकिंग चार्ज में छूट से लेकर अन्य ऑफरों से लोगों को लुभा रही हैं।

सराफा कारोबारी संजय अग्रवाल का कहना है कि 'राखियां कम कीमतों में मिल जा रही हैं। भाई भी बहनों के लिए गिफ्ट खरीदते हैं। इस समय लॉकेट और कान के ईयरिंग की अधिक डिमांड होती है। बहनों के नाम के पहले अक्षर का लॉकेट भाई अधिक पसंद कर रहे हैं।

बिक्री से मिठाई दुकानदार खुश

गोरखपुर में मिठाई के प्रमुख कारोबारी विजय कसेरा का कहना है कि पिछली बार की तुलना में अच्छी डिमांड की उम्मीद है। बिक्री ठीक होने की उम्मीद में मिठाईयां तैयार कराई गई हैं। वहीं जेपी मौर्या का कहना है कि मिठाई की अच्छी मांग है।



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Pallavi Srivastava

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