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Gorakhpur News: सुर्ख़ियों में गोरखपुर की संध्या, परिवार की मदद और पढ़ाई का खर्च उठाने को तैयार कई राजनेता

Gorakhpur News: गोरखपुर की बेटी संध्या बाढ़ की विभिषिका के बावजूद नाव से स्कूल जाने के जिद के चलते सुर्खियों में है।

Purnima Srivastava
Written By Purnima SrivastavaPublished By Pallavi Srivastava
Published on: 8 Sep 2021 6:51 AM GMT
Dr. Sanjay Nishad, President of Nishad Party meeting Sandhya
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संध्या से मिलते निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ संजय निषाद pic(social media)

Gorakhpur News: गोरखपुर की बेटी संध्या बाढ़ की विभिषिका के बावजूद नाव से स्कूल जाने के जिद के चलते सुर्खियों में है। समाज से तो उसे शाबाशी मिल ही रही है, राजनीतिक दलों में भी उसे लेकर प्रतिक्रियाएं तेज हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने उसके जज्बे को सलाम करते हुए शिक्षक दिवस पर ट्वीट किया तो निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ.संजय निषाद खुद माला लेकर उसके घर पहुंच गए। कांग्रेस जिलाध्यक्ष निर्मला पासवान मोबाइल देने की बात कर रहीं हैं तो भाजपा सांसद रवि किशन आगे की पढ़ाई में पूरी मदद का भरोसा दे रहे हैं। जिस तरह सभी राजनीति दल से लेकर जातीय संगठन संध्या की पढ़ाई को लेकर फिक्रमंद दिख रहे हैं, उससे सवाल उठ रहा है कि कहीं संध्या विधान सभा चुनाव की तैयारियों में जुटे सियासी दलों के लिए मोहरा तो नहीं बन गई है?

बता दें कि गोरखपुर के बाढग्रस्त गांव बहरामपुर की संध्या निषाद इन दिनों सुर्खियों में हैं। राहुल गांघी के ट्वीट करने के बाद तो वह सेलेब्रिटी बन गई है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर न सिर्फ उसके जज्बे को सराहा बल्कि पिता के पास राहुल के कार्यालय से रविवार की सुबह फोन भी आया। पिछले तीन दिनों से बाढ़ में डूबे संध्या के घर नेताओं से लेकर मीडिया का जमावड़ा लगा रहा। सदर सांसद व फिल्म अभिनेता रवि किशन शुक्ला ने सोमवार को संध्या निषाद से बात की।

रवि किशन ने कहा कि वे उसके बड़े भाई के समान हैं। कोई समस्या हो तो निसंकोच उन्हें बताएं। संध्या ने रेलवे में नौकरी करने की बात कही। कांग्रेस जिलाध्यक्ष निर्मला पासवान भी संध्या के घर पहुंचीं और माला पहनाकर उसे सम्मानित किया। जिलाध्यक्ष का कहना है कि जलमग्न गांव में रहने के बाद भी संध्या अन्य लड़कियों को लिए मिसाल है। उसे बुधवार को मोबाइल देंगे। ताकि वह ऑनलाइन पढ़ाई कर सके। वहीं जातीय संगठन से जुड़े लोगों ने मंगलवार को मोबाइल और टैबलेट दिया। एक महिला संगठन लखनऊ से गोरखपुर आ पहुंची है। वह बुधवार को संध्या के स्कूल में जाकर सम्मानित करेगी। निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद ने संध्या के हौसले की तारीफ की। उन्होंने कहा कि संध्या अब एक रोल मॉडल बन चुकी है। वह जल्द ही हर जिले में निषादों के लिए अलग से विद्यालय खुलवाएंगे। संध्या को हॉस्टल में भर्ती कराने के साथ-साथ उसके परिवार की हर जरूरत को पूरा कराएंगे।

नाव से स्कूल जाती संध्या pic(social media)

कौन है संध्या

संध्या निषाद बहरामपुर के रहने वाले दिलीप सहानी की बड़ी बेटी है। वह कारपेंटर का काम करते हैं। इनके चार बच्चे हैं, जिनमें संध्या साहनी सबसे बड़ी बेटी है। संध्या साइंस से राजकीय एडी कन्या विद्यालय में 11वीं में पढ़ती हैं। संध्या का घर बाढ़ में डूब गया है। वह घर के ही नाव से अकेले स्कूल के लिए निकलती है। पिछले दिनों नाव चलाते हुए एक वीडियो वायरल हुआ तो वह राजनीतिक दलों की प्रिय बन गई। हालांकि संध्या को राजनीतिक दलों की दरियादिली पर कुछ गलत नहीं लग रहा। वह कहती है कि अच्छा लग रहा है कि राहुल गांधी से लेकर रवि किशन तक मेरे जज्बे की सराहना कर रहे हैं।

निषाद पार्टी के अध्यक्ष ने भी हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। भविष्य में कौन मदद करता है, इसका तो इंतजार ही किया जा सकता है। निषाद वोट की चिंता में दिख रही दरियादिली राजनीतिक और जातीय संगठन भले ही संध्या निषाद को लेकर दरियादिली दिखाएं लेकिन विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़े उत्तर प्रदेश में इनकी चिंताओं पर सवाल उठ रहे हैं। सवाल यह कि निषाद बिरादरी की नहीं होती तो क्या ऐसे ही राजनीतिक दलों की दरियादिली दिखती। क्या सिर्फ संध्या ही नाव से स्कूल जा रही है? शिक्षक रजनीश त्रिपाठी कहते हैं कि बाढ़ में हजारों बेटियां डूबी हैं। उनके पास भी मोबाइल नहीं है। उन्हें भी राजनीतिक दल ऑनलाइन पढई के लिए मोबाइल दें तो बात बने।


निषाद वोटरों की संख्या डेढ़ लाख से लेकर चार लाख तक

दरअसल, निषाद वोटर पूर्वांचल में खासा दखल रखते हैं। सभी दलों के पास निषाद बिरादरी का एक चेहरा है। भाजपा की नजदीकियां निषाद पार्टी के साथ तो दिख ही रही है, उसने जय प्रकाश निषाद को इसी चिंता में राज्यसभा भेजा है। दरअसल, गंगा और उसकी सहयोगी नदियों के अगल-बगल की करीब 20 सीटों पर निषाद बिरादरी के वोटर निर्णायक स्थिति में हैं। गोरखपुर, महराजगंज, बांसगांव, कुशीनगर, अंबेडकर नगर, भदोही, जौनपुर, बस्ती, मिर्जापुर, मऊ, बलरामपुर, बाराबंकी, मिर्जापुर, मछलीशहर, आजमगढ़ समेत करीब 20 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां निषाद वोटरों की संख्या डेढ़ लाख से लेकर चार लाख तक है। इसी तरह पूर्वांचल की 50 विधानसभा सीटों पर निषाद निर्णायक भूमिका में हैं। निषाद वोटरों को साधने के लिए सभी राजनीतिक दलों के पास अपने चेहरे हैं। सपा में पूर्व मंत्री जमुना निषाद के बेटे अमरेन्द्र निषाद और पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद चेहरे हैं।

निषाद वोटों के भरोसे ही सपा प्रत्याशी जमुना निषाद योगी आदित्यनाथ के समक्ष चुनौतियां पेश कीं थी। वर्ष 1999 की लोकसभा चुनाव में निषाद वोटों के भरोसे जमुना निषाद ने योगी आदित्यनाथ को कड़ी टक्कर दी थी। तक योगी को सिर्फ 7,339 वोटों से जीत मिली थी।' बता दें कि गोरखपुर की कौड़ीराम विधानसभा सीट भी पर गौरी देवी अपराजेय मानी जाती थीं लेकिन वर्ष 1985 में उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी लालचंद निषाद ने हराकर सभी को चौका दिया था।पूर्व मंत्री जमुना निषाद की मौत के बाद वर्ष 2013 में होम्योपैथिक डॉक्टर संजय निषाद ने निषाद जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने को लेकर बड़ा आंदोलन किया। गोरखपुर के कसरवल में रेल लाइन पर आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में एक युवक की मौत के बाद संजय ने सुर्खियां बटोरीं। बिरादरी में एकाएक बनी पहुंच का ही नतीजा था कि 2017 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने 100 से अधिक विधानसभा सीटों पर निषाद पार्टी के सिंबल पर प्रत्याशी उतारे।

टिकट बेचने के आरोपों के बीच हेलीकाप्टर से प्रचार पर निकले संजय निषाद भदोही के ज्ञानपुर से बाहुबली विजय मिश्रा को जिताने में सफल भी हो गए। निषाद पार्टी ने सियासत का शिखर वर्ष 2018 में तब देखा जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खाली की हुई गोरखपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद सपा के टिकट गोरक्षपीठ के वर्चस्व को तोड़ा। अब उनकी नजदीकियां भाजपा से है। उनका दावा है कि भाजपा उनके लिए 50 सीट छोड़ने को तैयार है।

Pallavi Srivastava

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