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Gorakhpur News: छूने या हाथ मिलाने से नहीं फैलता है कुष्ठ, 15 दिनों तक चलेगा स्पर्श कुष्ठ जारूकता अभियान
Gorakhpur News: जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. गणेश प्रसाद यादव का कहना है कि अगर समय से कुष्ठ की पहचान व जांच हो जाए और नियम से औषधि का सेवन किया जाए तो विकृतियों से बचा जा सकता है। भेदभाव के डर से लोग बीमारी छिपाते हैं और यह दिव्यांगता का रूप ले लेती है।
Gorakhpur News: छूने या हाथ मिलाने से नहीं फैलता है कुष्ठ।
Gorakhpur News: जिले के भटहट ब्लॉक के एक गांव में रहने वाले 26 वर्षीय श्रीनिवास (बदला हुआ नाम) लोगों तक यह संदेश पहुंचाने में जुटे हैं कि छूने या हाथ मिलाने से कुष्ठ रोग नहीं फैलता। 30 जनवरी से शुरू होकर 13 फरवरी तक चलने वाले स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान (Sparsh Leprosy Awareness Campaign) के मौके पर उनका कहना है कि सही राह मिलने से उन्हें न केवल निःशुल्क इलाज मिला, बल्कि अब वह कुष्ठ के साथ सम्मानजनक जीवन भी व्यतीत रहे हैं।
श्रीनिवास जब 11वीं कक्षा में पढ़ते थे तभी पैर के तलवों में कुछ गड़ने जैसा और हथेली में गुदगुदी जैसा अनुभव होता था। वह बताते हैं कि अस्पताल जाने की बजाय एक स्थानीय चिकित्सक से एलर्जी की दवा कराने लगे। इसे वह अपनी गलती मानते हैं। जब दवा से कोई फायदा नहीं हुआ तो वह बीआरडी मेडिकल कॉलेज (BRD Medical College) गए, जहां जांच के बाद पता चला कि उन्हें कुष्ठ है। वहां से दवा शुरू हुई लेकिन उन्होंने दवाइयों के प्रति भी लापरवाही दिखाई। इस तरह उनकी बीमारी को समय से और नियमित इलाज नहीं मिला तो उनके तलवों में घाव बन गया और हाथों की उंगुलियां भी खराब होने लगीं। श्रीनिवास की पढ़ाई छूट गयी और उन पर युवावस्था में ही मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।
श्रीनिवास को भटहट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Bhathat Primary Health Center) से ही बताया गया कि वह जिला कुष्ठ रोग कार्यालय से संपर्क करें। यहीं से उन्हें सही दिशा मिल गयी और जिला कुष्ठ रोग कार्यालय (District Leprosy Office) की मदद से प्रयागराज में उनके उंगुलियों की सर्जरी कराई गई और जिला स्तरीय अधिकारियों की देखरेख में निःशुल्क इलाज हुआ । वह बताते हैं कि अंगूठा छोड़कर बाकी उंगुलियां ठीक हो चुकी हैं और वह पढ़ाई लिखाई कर पाते हैं। उन्हें 8000 रुपये भी मिले और दिव्यांगता प्रमाण पत्र दिलवाया गया। उन्हें प्रतिमाह 2500 रुपये की पेंशन भी मिल रही है। श्रीनिवास अनुभवों के आधार पर कहते हैं कि अगर समय से कुष्ठ की पहचान हो जाए और इलाज शुरू हो जाए तो बुरे हालात से बचा जा सकता है। वह बताते हैं कि उनके पड़ोसी गांव के एक जानने वाले को जब यही लक्षण दिखे तो श्रीनिवास की सलाह पर तुरंत जांच कराई गई और कुष्ठ की पुष्टि हुई। समय से इलाज होने से उनके जानने वाले का कुष्ठ दिव्यांगता का रूप नहीं ले सका। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी (District Leprosy Officer) ने बताया कि अप्रैल 2021 से लेकर जनवरी 2022 तक कुल 157 कुष्ठ रोगी खोजे गए हैं और उनका इलाज चल रहा है । वित्तीय वर्ष 2020-21 में 148 नए रोगी खोजे गए थे और उक्त वर्ष में 201 मरीजों को कुष्ठ से मुक्ति मिली ।
शीघ्र पहचान व इलाज पर जोर
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. गणेश प्रसाद यादव (District Leprosy Officer Dr. Ganesh Prasad Yadav) का कहना है कि अगर समय से कुष्ठ की पहचान व जांच हो जाए और नियम से औषधि का सेवन किया जाए तो विकृतियों से बचा जा सकता है। भेदभाव के डर से लोग बीमारी छिपाते हैं और यह दिव्यांगता का रूप ले लेती है। जिला कंसल्टेंट डॉ. भोला गुप्ता ने बताया कि समुदाय को यह समझना होगा कि कुष्ठ छूआछूत की बीमारी नहीं है। एक व्यक्ति से दूसरे में कुष्ठ का संक्रमण तभी हो सकता है जबकि लंबे समय से निकट संपर्क में दोनों लोग रहें ।
दिलाएंगे शपथ, चलेगा अभियान
स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान (Sparsh Leprosy Awareness Campaign) के तहत जिलाधिकारी विजय किरण आनंद (District Magistrate Vijay Kiran Anand) जिला स्तर से सभी को शपथ दिलाएंगे वहीं ग्राम प्रधान प्रत्येक गांव में शपथ दिलाएंगे । डॉ. यादव ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशुतोष कुमार दूबे के दिशा-निर्देशन में अभियान के दौरान लोगों को कुष्ठ के लक्षण, कुष्ठ से बचाव के बारे में बताया जाएगा और नये कुष्ठ रोगियों को भी खोजा जाएगा । विश्व स्वास्थ्य संगठन इस कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग दे रहा है ।
लक्षण
• शरीर पर सुन्न दाग
• हथेली या पैर के तलवे में सुन्नता
• नसों में सूजन, मोटापन या दर्द
• हाथ, पैर या आंखों में कमजोरी, विकृति
• चेहरे, शरीर व कान पर गांठ , छाले व घाव
रखना है याद
• कुष्ठ से हुई विकृतियों को आपरेशन से ठीक किया जा सकता है।
• कुष्ठ से प्रभावित लोगों से भेदभाव न करें।
• कुष्ठ एमडीटी से पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
• कुष्ठ के शीघ्र उपचार से दिव्यांगता से बचा जा सकता है।
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