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Gorakhpur News: 'स्वच्छ सर्वेक्षण-2021' की रैंकिंग में सीएम सिटी गोरखपुर फिसड्डी, 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों में मिला 111 वां स्थान
Gorakhpur News: जीडीए के वर्तमान उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह को राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कृत किया गया है। 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में गोरखपुर को 111 वीं रैंक मिली है।
Gorakhpur News : सीएम सिटी गोरखपुर स्वच्छ सर्वेक्षण-2021 (Gorakhpur Swachh Survekshan 2021) की रैंकिंग में भले ही फिसड्डी साबित हुआ हो लेकिन अलीगढ़ (Aligarh) में बतौर नगर आयुक्त रहते हुए बेहतर कार्य के लिए जीडीए के वर्तमान उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह (Prem Ranjan Singh) को राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कृत किया गया है। 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में गोरखपुर को 111 वीं रैंक मिली है। पिछले वर्ष गोरखपुर नगर निगम को 82 वां स्थान मिला था।
नगर निगम ने पिछले वर्ष गोरखपुर शहर (Gorakhpur City) को गारबेज फ्री सिटी घोषित कर फाइव स्टॉर रेटिंग (five star rating) का दावा किया था। लेकिन अब रैकिंग जारी होने के बाद हकीकत सबके सामने है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (solid waste management) के अभाव में स्वच्छ सर्वेक्षण में नगर निगम (Municipal Council) एक बार फिर फिसड्डी साबित हुआ है। गोरखपुर को 3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में 111 वीं रैकिंग मिली है। पिछले साल नगर निगम को इसी श्रेणी में 82 रैकिंग मिली थी।
दरअसल, नगर निगम के तमाम दावों के बाद अभी भी शहर में जगह-जगह कूड़ा बिखरा हुआ दिखता है। इतना ही नहीं कूड़ा निस्तारण के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए जमीन की तलाश 14 साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था नहीं होने से निगम की गाड़ियां को कूड़े को इधर-उधर फेंकती है। पिछले दिनों एकला बंधे पर ग्रामीणों ने नगर निगम की गाड़ियों को कूड़ा गिराने से रोक दिया था। ग्रामीणों की मान मन्नौवल के बाद दोबारा कूड़ा गिराया जा रहा है। गोरखपुर शहर से 600 मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़ा निकलता है। इसके लिए 225 गाड़ियों में भरकर कूड़ा शहर के बाहर भेजा जाता है। महेवा में नगर निगम ने सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए जमीन की तलाश की थी, लेकिन इस पर प्लांट को लेकर एनजीटी ने रोक लगा दी थी। इसके बाद नगर निगम ने सहजनवा के सुथनी में जमीन खरीदा है। लेकिन वहां का विवाद हाईकोर्ट में पहुंच गया है। नगर आयुक्त अविनाश सिंह का कहना है कि शहर को गारबेज फ्री सिटी घोषित कर सुविधाएं दी जा रही है। सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए जमीन की तलाश ली गई है। जल्द ही औपचारिकता पूरी करने के बाद इसका सक्रिय किया जाएगा।
स्वच्छ सर्वेक्षण में सबसे बड़ी बाधा है एसवीएम
नगर निगम गोरखपुर (Municipal Corporation Gorakhpur) स्वच्छ सर्वेक्षण में छलांग तो लगा रहा है लेकिन टॉप टेन में आने का दावा हवाई बना हुआ है। पिछले वर्ष स्वच्छ शहरों की सूची में 144 सीढ़ियों की छलांग लगाते हुए गोरखपुर देश में 82वें पायदान पर पहुंच गया था। 2019 में शहर 226वें स्थान पर था। 2017 में जब स्वच्छ रैंकिंग की शुरुआत हुई थी तो गोरखपुर को 314वीं रैंक हासिल हुई थी। इस प्रकार देखा जाए तो पिछले चार साल के दौरान गोरखपुर नगर निगम ने स्वच्छता के मामले में लगातार सुधार किया है। शहर को वर्ष 2018 में 280 वां स्थान हासिल हुआ था।
राष्ट्रपति के हाथों मिला जीडीए उपाध्यक्ष को सम्मान
गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह को अलीगढ़ में नगर आयुक्त रहते हुए बेहतर कार्य करने का पुरस्कार राष्ट्रपति के हाथों शनिवार को मिला। प्रेम रंजन सिंह के बेहतर प्रबंधन के चलते अलीगढ़ को कचरा मुक्त शहर (गार्बेज फ्री सिटी) का पुरस्कार मिला है। पुरस्कार उन्हीं अधिकारियों को मिला है, जो सर्वे के दौरान संबंधित निकाय में कार्यरत थे।
जिस समय सर्वे हुआ उस वक्त प्रेम रंजन सिंह अलीगढ़ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पद पर कार्यरत थे। इसके साथ ही उनके पास नगर निगम में नगर आयुक्त का भी कार्यभार मिला हुआ था। सर्वे के परिणाम में लखनऊ व झांसी से भी अच्छा शहर अलीगढ़ को पाया गया है। पांच शहरों में से प्रथम स्थान पर नोएडा, दूसरे पर गाजियाबाद, तीसरे पर अलीगढ़, चौथे पर लखनऊ व पांचवे स्थान पर झांसी है। उपाध्यक्ष का कहना है कि शहर को कचरा मुक्त बनाने के लिए उन्होंने शहर में जगह-जगह बनाए गए कूड़ा घर को बंद कर दिया था। कूड़ा एकत्रित करने के लिए डोर-टू डोर कूड़ा एकत्र करने पर जोर दिया। कूड़ा एकत्र करने के बाद उसे प्रोसेसिंग सेंटर लाया जाता था और वहां कूड़ा कंप्रेस कर बड़े कूड़ा केंद्रों तक पहुंचाया जाता था। शहर में कहीं भी कचरा नजर नहीं आता था। कूड़े से जैविक खाद भी बनाई जाती है।
केन्द्र सरकार की तरफ से मिलने वाला तीसरा पुरस्कार
जीडीए उपाध्यक्ष प्रेम रंजन सिंह को केंद्र सरकार की ओर से यह तीसरा पुरस्कार मिलने जा रहा है। इससे पहले उन्नाव का मुख्य विकास अधिकारी रहते हुए 2019 में उन्हें दो पुरस्कार मिले थे। मनरेगा में रिकार्ड कार्यदिवस सृजित करने एवं एक साल में सबसे अधिक प्रधानमंत्री आवास का निर्माण पूर्ण कराने के लिए पुरस्कृत किया गया था। उपाध्यक्ष का कहना है कि पुरस्कार बेहतर करने की प्रेरणा देते हैं। गोरखपुर विकास प्राधिकरण में भी बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है। लोगों की आवासीय जरूरतों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जा रहा है।
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