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कैसे डीएम-एसएसपी की बात मान जाती मीनाक्षी, जिस मामले में योगी ने आंदोलन किया था, उसमें भी पुलिस वालों की मौज

Gorakhpur News : गोरखपुर में अधिकारी मीनाक्षी से बड़ा भाई का हवाला देकर आरोपी पुलिस वालों पर मुकदमा नहीं दर्ज कराने की मनुहार कर रहे हैं।

Purnima Srivastava
Report Purnima SrivastavaPublished By Shraddha
Published on: 30 Sep 2021 4:39 AM GMT (Updated on: 30 Sep 2021 5:49 AM GMT)
कैसे डीएम-एसएसपी की बात मान जाती मीनाक्षी, जिस मामले में योगी ने आंदोलन किया था, उसमें भी पुलिस वालों की मौज
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कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता  (फाइल फोटो सोशल मीडिया)

Gorakhpur News : कानपुर के रियल इस्टेट (Real Estate) कारोबारी की बर्बर वर्दी वालों द्वारा की गई हत्या के बाद गोरखपुर के जिलाधिकारी विजय किरन आनंद (District Magistrate Vijay Kiran Anand) और एसएसपी विपिन टाडा (SSP Vipin Tada) का एक वीडियो वायरल है। दोनों अधिकारी बड़ा भाई का हवाला देकर मीनाक्षी से आरोपी पुलिस वालों पर मुकदमा नहीं दर्ज कराने की मनुहार कर रहे हैं। लेकिन कारोबारी मनीष की पत्नी साफ इंकार कर देती है। यह इंकार कितना वाजिब है, इसे गोरखपुर के दो मामलों से समझा जा सकता है। जिस मामले में बतौर सांसद खुद योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में गोरखपुर में आंदोलन हुआ था, उसमें भी आरोपी पुलिस वालों की मौज में है। वहीं एक दूसरे मामले में बतौर मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने पीड़ित पत्नी को नौकरी का भरोसा दिया, वह आज तक वादा पूरा होने की टकटकी लगाए बैठी है।


कानुपर के रियल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता की पुलिस की पिटाई से हुई मौत के बाद शाहपुर में पुलिस कस्टडी में हुई दो मौतें एक बार फिर लोगों के आंखों के सामने तैर रही हैं। इन दोनों मामलों में वर्तमान स्थिति देखकर साफ हो जाता है कि किस तरह राजनीतिक दल घड़ियाली आंसू बहाते हैं और पुलिस कार्रवाई करती है। एक समय के बाद परिवार जिंदगी की दुश्वारियों में फंसकर रोटी के इंतजाम में लग जाता है तो वहीं नौकरी कर रहे पुलिस वाले कोर्ट के मुकदमा लड़ जिंदगी को आसानी से काट लेते हैं। दोनों मामलों की वर्तमान में स्थिति कुछ इस तरह है।


वायरल वीडियो में मुकदमा नहीं दर्ज कराने की मनुहार करते डीएम और एसएसपी


योगी आदित्यनाथ ने दिलाया था नौकरी का आश्वासन


वर्ष 2006 में गोरखपुर के शाहपुर क्षेत्र के सुनील साहनी की थाने के लॉकअप में पिटाई के बाद मौत हो गई थी। पुलिस वालों ने मामले को रफा-दफा करने के लिए लाश को कुसम्ही जंगल में फेंक दिया था। निर्दोष की हत्या के बाद पूरा शहर सुनील के परिवार के साथ खड़ा हुआ। खुद बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ ने आंदोलन की अगुवाई की थी। आज पुलिस वालों की तो मौज है । लेकिन बुजुर्ग मां सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर है।


कानपुर व्यापारी की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता गुहार लगाते हुए



मामले में तत्कालीन थानेदार श्रीप्रकाश गुप्ता सहित कई निलंबित किए गए थे। लेकिन अभी तक किसी पुलिस वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। तब बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ मृतक के घर गए थे, तब उन्होंने नौकरी से लेकर हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। कुछ पुलिस वाले नौकरी पूरी कर चुके हैं, तो कुछ की मलाईदार थानों पर पोस्टिंग हैं। सुनील की मौत के बाद उसकी पत्नी घर छोड़ कर चली गई। उसका मासूम बेटा बीमारी से मर गया। सुनील के पिता केदार साहनी काफी दिनों तक अवसाद में रहे। बाद में उन्होंने भी दम तोड़ दिया। सुनील की माँ लीलावती दर-दर भटक रही है। सड़कों पर भीख मांग कर दो वक्त की रोटी का इंतजाम होता है। स्थानीय पार्षद अजय यादव की मदद से टिन शेड तो पड़ गई । लेकिन दो वक्त की रोटी का इंतजाम मुश्किल से होता है।

मुख्यमंत्री रहते राजनाथ सिंह ने किया था नौकरी वादा


वर्ष 2001 में चोरी के आरोप में पूछताछ के हिरासत में लिए गए शाहपुर क्षेत्र के गायत्रीनगर निवासी राजेश शर्मा की भी मौत हो गई थी। पुलिस पर थाने में पिटाई का आरोप लगा था। इस मामले में तत्कालीन थानेदार और दीवान सहित आधा दर्जन पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में भी पूरा शहर सुलग गया था। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने पत्नी को नौकरी का भरोसा दिया था। आज पत्नी जैसे-तैसे बच्चे को पाल रही है।


राजेश शर्मा से पूछताछ के दौरान लॉकप में हुई मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए थे। उस समय तत्‍कालीन थानेदार संजय सिंह और दो सिपाहियों को राजेश शर्मा की संदिग्‍ध परिस्थितियों में थाने के लॉकप में हुई मौत के आरोप में जेल जाना पड़ा था। राजेश के पिता रामसकल शर्मा बेटे को तलाशते हुए पहुंचे थे तो पुलिस ने पहले तो आनाकानी की, बाद में बताया कि उसकी मौत हो गई है। और उसका अंतिम संस्कार का दिया गया है। बेबस पिता और परिवार बेटे की लाश को मुखांग्नि भी नहीं दे सके।


शादी के तीन साल बाद ही विधवा हुई राजेश की पत्नी माया की जिंदगी में भूचाल आ गया। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने पढ़ी-लिखी महिला को नौकरी देने का भरोसा दिया था। लेकिन कुछ नहीं हुआ। 2010 तक पिता कोर्ट में मामले की पैरवी को जाते थे। लेकिन उनके निधन के बाद परिवार ने कोर्ट जाना छोड़ दिया है। पत्नी का कहना है कि दो वक्त की रोटी का इंतजाम करें या फिर मुकदमा लड़े। राजेश की पत्नी माया का कहना है कि मुझे 21 साल बाद भी न्याय नहीं मिला। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी अब कानपुर की बिटिया मीनाक्षी को न्याय दिलाएं ताकि कोई और माया या मीनाक्षी वर्दी की गुंडई में विधवा नहीं बने।

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