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Gorakhpur News: फ्री में कंडोम लेने में गोरखपुरिये आगे, नसबंदी के लिए तैयार नहीं, जानें ऐसा क्यों

Gorakhpur News Today In Hindi: स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाये जा रहे परिवार नियोजन कार्यक्रम में नसबंदी कराने वालों को तमाम सुविधा देने के बाद गोरखपुर के लोग नसबंदी कराने को तैयार नहीं है। वहीं फ्री में कंडोम लेने में लोगों की काफी दिलचस्पी है।

Purnima Srivastava
Report Purnima SrivastavaPublished By Shreya
Published on: 31 Dec 2021 5:11 AM GMT (Updated on: 31 Dec 2021 5:12 AM GMT)
Gorakhpur: फ्री में कंडोम लेने में गोरखपुरिये आगे, नसबंदी के लिए तैयार नहीं, जानें ऐसा क्यों
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(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Gorakhpur News Today In Hindi: स्वास्थ्य विभाग (Health Department) द्वारा चलाये जा रहे परिवार नियोजन कार्यक्रम (Parivar Niyojan Karyakaram) में नसबंदी कराने वालों को तमाम सुविधा देने के बाद गोरखपुर के लोग नसबंदी (Gorakhpur Mein Nasbandi) कराने को तैयार नहीं है। वित्तीय वर्ष में सिर्फ 25 लोगों ने ही नसबंदी (Nasbandi) कराई है। वहीं फ्री में कंडोम (Free Condom) लेने में लोगों की काफी दिलचस्पी है। सिर्फ 20 दिन में 52 हजार से अधिक लोगों ने फ्री में कंडोम (Muft Mein Condom) लिया है।

गोरखपुर (Gorakhpur) में इस साल 22 नवम्बर से 11 दिसम्बर तक मनाये गये पुरुष नसबंदी (Vasectomy) पखवाड़े में पिछले वर्षों की तुलना में अच्छा प्रयास सामने आया है। इससे साफ होता है कि पिछले वर्षों की क्या स्थिति थी। इस पखवाड़े में कुल 16 पुरुषों ने समझदारी का परिचय दिया और नसबंदी का साधन अपनाया। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (परिवार कल्याण) डॉ. नंद कुमार (Dr. Nand Kumar) ने बताया कि भय और भ्रांति के कारण नसबंदी के लिए पुरुष सामने नहीं आते हैं, जबकि पुरुष नसबंदी (Purush Nasbandi) काफी असरदार और सुरक्षित है। इसका यौन क्षमता या शरीर पर कोई लघुकालिक अथवा दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।

डॉ. नन्द कुमार (Dr. Nand Kumar) का कहना है कि कोविड का परिवार नियोजन सेवाओं (Parivar Niyojan Seva) पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। वर्ष 2019 में मनाये गये पुरुष नसबंदी पखवाड़े में 13 पुरुषों ने, जबकि वर्ष 2020 में मनाये गये पखवाड़े के दौरान महज छह पुरुषों ने यह साधन चुना। इस साल पखवाड़े के दौरान यह संख्या काफी बढ़ी है और जिला टॉप टेन में है। पखवाड़े के दौरान इस साल पुरुषों ने 52187 कंडोम भी विभाग के जरिये निःशुल्क प्राप्त किये।

956 महिलाओं की हुई नसबंदी

एसीएमओ डॉ. कुमार ने बताया कि पखवाड़े के दौरान महिलाओं को भी परिवार नियोजन सेवाएं उपलब्ध कराई गईं। इस अवधि में 956 महिलाओं ने नसबंदी का साधन चुना। 873 महिलाओं ने प्रसव पश्चात आईयूसीडी (IUCD) यानि पीपीआईयूसीडी (PPIUCD) का चुनाव किया और 674 महिलाओं ने त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन (Trimester Contraceptive Injection) अंतरा का चुनाव किया। डॉ. नंद कुमार ने बताया कि इस साल अप्रैल से लेकर 20 नवम्बर तक 25 पुरुषों ने नसबंदी का चुनाव किया है। पिछले वित्तीय वर्ष में 51 पुरुष नसबंदी हुई है।

जिले में वर्ष 2019-20 में 287 पुरुषों ने नसबंदी करवाई थी, जबकि यह आंकड़ा वर्ष 2018-19 में महज 84 था। जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रमों के संचालन में उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (UPTSU) से जुड़े जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ, जबकि शहरी क्षेत्र में स्वयंसेवी संस्था पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल (PSI)-द चैलेंज इनीशिएटिव फॉर हेल्दी सिटीज (TCIHC) की टीम तकनीकी सहयोग प्रदान करती है।

2000 रुपये मिलने के बाद भी नसबंदी को तैयार नहीं

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (परिवार कल्याण) का कहना है कि दिशा-निर्देशों के मुताबिक पुरुष नसबंदी के लिए चार योग्यताएं प्रमुख हैं। पुरुष विवाहित होना चाहिए, उसकी आयु 60 वर्ष या उससे कम हो और दंपति के पास कम से कम एक बच्चा हो जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो। पति या पत्नी में से किसी एक की ही नसबंदी होती है। उन्होंने यह भी बताया कि पुरुष नसबंदी कराने वाले लाभार्थियों को 2000 रुपये उनके खाते में भेजे जाते हैं। पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरक आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी को 300 रुपये दिये जाते हैं। पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरित करने वाले गैर सरकारी व्यक्ति को भी 300 रुपये देने का प्रावधान है।

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Shreya

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