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योगी सरकार के साढ़े 4 वर्ष: अधूरे कार्यों के खंडहर पर गोरखपुर ने लिखी बदलाव की इबारत
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद साढ़े 4 सालों में गोरखपुर में विकास की गाड़ी रफ्तार से दौड़ रही है।
Gorakhpur: उपेक्षा, अधूरे कार्यों के खंडहर के लिए बदनाम गोरखपुर (Gorakhpur) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के मुख्यमंत्री बनने के बाद विकास को लेकर इतराने लगा है। वर्षों की उपेक्षा के बीच उम्मीदें परवान चढ़ने लगीं है। साढ़े 4 वर्षों में गोरखपुर (Gorakhpur) में विकास की गाड़ी जिस रफ्तार से दौड़ रही है, उसे देख कर लगता है, गोरखपुर (Gorakhpur) अब प्रदेश के टॉप फाइव शहरों की कतार में खड़ा होने को तैयार है। खाद कारखाना, फोरलेन का संजाल, मरीन ड्राइव सरीखा रामगढ़झील, बड़े-बड़े शापिंग मॉल, फाइव स्टार होटलों की लंबी फेहरिस्त खुद-ब-खुब विकास की कहानी कह रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. संजय श्रीवास्तव को गोरखपुर (Gorakhpur) में हो रहे काम में कुछ गलत नहीं लगता। वह कहते है कि 'नेपाल के सोनौली बार्डर से गोरखपुर सबसे करीब है। बिहार का बार्डर भी चंद किमी दूर है। पूर्वांचल के मरीजों की इकलौती उम्मीद गोरखपुर (Gorakhpur) से जुड़ती है। इसके बाद भी पिछली सरकारों में गोरखपुर (Gorakhpur) के विकास को लेकर हमेशा उपेक्षा ही हुई है।' कोचिंग क्लासेज में शिक्षक दिनेश त्रिपाठी कहते हैं कि 'सपा और बसपा के कार्यकाल में 20 करोड़ रुपये भी सड़क के लिए मंजूर होते थे, तो मीडिया में कई दिनों तक खबरें छपती थीं। अब तो 100 करोड़ की परियोजनाएं भी अखबार के किसी कोने में नजर आती हैं।' गोरखपुर (Gorakhpur) की सड़कों पर पिछले 20 वर्षों से संघर्ष कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) को एक-एक दिक्कतों और दुश्वारियों का पता है। इसीलिए मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने जीडीए सभागार में अफसरों की पहली बैठक ली थी, तभी आने वाले पांच साल का रोडमैप तैयार करा दिया था। अटके, भटके कार्यों को तेजी से पूरा किया जाने लगा और नई परियोजनाओं पर भी तेजी से काम हुआ। एनेक्सी भवन तैयार हुआ। अधूरा ओपन थियेटर का दोबारा निर्माण हुआ। विधि प्रयोगशाला से लेकर आबकारी विभाग के भवन का निर्माण पूरा हुआ। अब जब खुद मुख्यमंत्री सक्रिय हैं, तो अधिकारी भी दौड़ते नजर आ रहे हैं।
पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता बीबी श्रीवास्तव कहते हैं कि हम तो उतनी योजनाएं ही नहीं दे पा रहे हैं, जितने का बजट जारी होने की उम्मीद है। विभाग ने पिछले तीन वर्षों में सड़कों पर 2000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया है। गीडा में 100 एकड़ जमीन नए सिरे से अधिग्रहित की गई है। जहाँ इन्वेस्टर समिट में आये प्रस्ताव को लेकर जमीन मुहैया कराई जा रही है। इसी कड़ी में गोरखपुर (Gorakhpur) से सोनौली मार्ग पर करीब 2000 एकड़ में स्पेशन इकोनामिक जोन विकसित करने की योजना है। चैंबर ऑफ इण्डस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसके अग्रवाल का कहना है कि 'सेज के विकसित होने से भारत-नेपाल का आर्थिक व्यापार 1000 करोड़ तक पहुँच जाएगा। जो वर्तमान में 50 करोड़ के आसपास ही है।' शहर के प्रमुख आर्किटेक्ट आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि 'लोग अभी कल्पना ही नहीं कर सकते हैं कि 2030 तक गोरखपुर (Gorakhpur) की तस्वीर कैसी होगी। प्रस्तावित मेट्रो रूट के दोनों तरफ आधा दर्जन फाइव स्टार होटल के साथ मल्टीप्लेक्स का प्रस्ताव पाइप लाइन में है। महापौर सीताराम जायसवाल कहते हैं कि मुख्यमंत्री को शहर की नब्ज का पता है। गोरखपुर (Gorakhpur) शहर की सड़कों पर 200 करोड़ से अधिक खर्च हो रहा है। नया सदन का निर्माण शुरू हो गया है। पहली बार निगम का बजट 500 करोड़ के पास पहुंच रहा है। पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) को लोगों के घरों की रसोई तक पहुंचाने के लिए टोरेंट गैस प्राइवेट लिमिटेड तेजी से काम कर रहा है। खानीपुर में 50 से अधिक घरों में कनेक्शन भी लग गया है। गोरखपुर (Gorakhpur) के खाद कारखाने पर पाइप लाइन बिछा दी गई है। गेल से प्राकृतिक गैस लेकर टोरेंट गोरखपुर, संतकबीरनगर, कुशीनगर में पीएनजी और सीएनजी स्टेशन के लिए पाइपलाइन से गैस पहुंचाएगी।'
अक्तूबर से हजारों खूबियों वाले खाद कारखाने में उत्पादन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की सियायत का अहम केन्द्र खाद कारखाने की बंदी रही है। केन्द्र में भाजपा की सरकार बनते ही कबाड़ में तब्दील हो चुके खाद कारखाने की चिमनियों से फिर धुंआ उठने की उम्मीदें जगीं। हुआ भी ऐसा ही। विधानसभा चुनाव 2017 से चंद महीने पहले खुद पीएम नरेन्द्र मोदी ने खाद कारखाने के नये प्लांट का शिलान्यास किया। पीएम ने दिसम्बर 2020 तक उत्पादन की बात कही। अब 18 अक्तूबर को इसका लोकार्पण करने खुद पीएम नरेन्द्र मोदी गोरखपुर (Gorakhpur) पहुंच रहे हैं। जापान के टोयो कम्पनी द्वारा तैयार किये जा रहे प्लांट की प्रगति बताती है कि कारखाने में तय समय से पहले ही नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन शुरू हो जाएगा। प्लांट में पानी की जरूरत को लेकर कोरियन तकनीक से रबर डैम बनाया जा रहा है। यह प्लांट की पानी की जरूरत को देखते हुए फुलाया या पंचकया जा सकेगा। डैम में रोके गए पानी से ही हिन्दुस्तान यूरिया उर्वरक लिमिटेड (एचयूआरएल) के यूरिया प्लांट की जरूरतें पूरी की जाएगी। इससे रोज 1450 क्यूबिक लीटर पानी की जरूरत होगी। इसके लिए प्राकृतिक चिलुआताल को गहरा किया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, कोरियन रबर डैम की खासियत है कि यह हवा से भरा रहेगा। जब डैम के पूरब पानी ज्यादा हो जाएगा तो डैम से थोड़ी हवा निकाल दी जाएगी। इससे पानी दूसरी तरफ चला जाएगा। यदि दूसरी तरफ पानी ज्यादा होगा तो फिर इसी प्रक्रिया से पानी इस पार कर दिया जाएगा। यह रबर डैम बुलेट प्रूफ होगा। डैम पर एके- 47 से या किसी अन्य बंदूक की गोली का कोई असर नहीं होगा। करीब 29 करोड़ से तैयार रबर डैम की चौड़ाई (बुनियाद) 19 मीटर है। डैम की लम्बाई 64.5 मीटर और ऊंचाई दो मीटर होगी। प्लांट के प्रोजेक्ट हेड वीके दीक्षित बताते हैं कि खाद कारखाने के नए प्लांट के लिए चिलुआताल की नए सिरे से तीन मीटर गहराई तक ड्रेजिंग की जा रही है। 7500 करोड़ की लागत से बन रहे यूरिया प्लांट में रोज 3850 मिट्रिक टन यूरिया का उत्पादन होगा।
कुतुबमीनार से दो गुना उंचा प्रीलिंग टॉवर
यूरिया प्लांट में दुनिया का सबसे ऊंचा प्रीलिंग टॉवर (यूरिया खाद का दाना बनाने का स्थान) बनकर तैयार हो गया है। 149.5 मीटर ऊंचे प्रीलिंग टॉवर का काम पूरा हो गया। इसकी ऊंचाई कुतुबमीनार (73 मीटर) से भी दोगुनी है। जापानी कंपनी द्वारा बनाये गए इसी टॉवर की 117 मीटर की ऊंचाई से अमोनिया गैस का लिक्विड गिराया जाएगा। अमोनिया के लिक्विड और हवा के रिएक्शन से नीम कोटेड यूरिया बनेगी। एचयूआरएल के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट वीके दीक्षित के मुताबिक, प्लांट के प्रीलिंग टॉवर की ऊंचाई देश की फर्टिलाइजर कंपनियों में सर्वाधिक है। टॉवर का व्यास 28 से 29 मीटर है। गोरखपुर (Gorakhpur) से पहले सबसे ऊंचा टॉवर कोटा के चंबल फर्टिलाइजर प्लांट का था। जो करीब 142 मीटर ऊंचा है। गोरखपुर (Gorakhpur) के साथ ही सिंदरी, बरौनी, पालचर और रामगुंडम में यूरिया प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। अन्य सभी यूरिया प्लांट के टॉवरों की ऊंचाई गोरखपुर के प्लांट से कम है। गेल द्वारा बिछाई गई पाइप लाइन से आने वाली नेचुरल गैस और नाइट्रोजन के रिएक्शन से अमोनिया का लिक्विड तैयार किया जाएगा। अमोनिया के इस लिक्विड को प्रीलिंग टॉवर की 117 मीटर ऊंचाई से गिराया जाएगा। इसके लिए ऑटोमेटिक सिस्टम तैयार किया जा रहा है। अमोनिया लिक्विड और हवा में मौजूद नाइट्रोजन के रिएक्शन ने यूरिया छोटे-छोटे दाने के रूप में टॉवर के बेसमेंट में बने कई होल के रास्ते बाहर आएगा। यहां से यूरिया के दाने ऑटोमेटिक सिस्टम से नीम का लेप चढ़ाए जाने वाले चैंबर तक जाएंगे। नीम कोटिंग होने के बाद तैयार यूरिया की बोरे में पैकिंग होगी। यूरिया प्लांट में टॉवर की ऊंचाई हवा की औसत रफ्तार के बाद तय की जाती है। इसके लिए एचयूआरएल की टीम ने करीब महीने भर हवा की रफ्तार को लेकर सर्वे किया गया था। एचयूआरएल ने उत्तर प्रदेश पॉवर कार्पोरेशन से 10 मेगावाट बिजली को लेकर करार किया गया है। प्लांट को चलाने के लिए जितनी बिजली की आवश्यकता है, उससे अधिक उत्पादन खुद एचयूआरएल कर लेगा। 10-10 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए दो गैस टर्बाइन लगाए जाएंगे। वहीं 18 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए स्टीम टर्बाइन लगाया गया है।
बिछ गया फोरलेन का संजाल
सड़कों के मामले में बदहाल पूर्वांचल में सिक्स लेन और फोरलेन का संजाल बिछने लगा है। कई सड़कें बन कर तैयार हैं, कई पूरी होने वाली हैं। वहीं 3 सड़कों की डीपीआर तैयार की जा रही है। कालेसर से जंगल कौड़िया फोरलेन का निर्माण पूरा हो गया है। इसी के साथ जंगल कौड़िया से जगदीशपुर तक फोरलेन प्रस्तावित है। इसके बनने से गोरखपुर (Gorakhpur) शहर के चारों तरफ 55 किमी लंबा रिंग रोड तैयार हो जाएगा। जिससे शहर का दायरा बढ़ेगा। अयोध्या और प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) का सफर सुरक्षित और आरामदायक बनाने के लिए फोरलेन को सिक्स लेन में तब्दील करने की कवायद शुरू हो चुकी है। सड़क परिवहन मंत्रालय से इसकी हरी झंडी मिलने के बाद डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जा रही है। एनएचएआई के प्रोजेक्ट प्रबंधक सीएम द्विवेदी का कहना है कि गोरखपुर से अयोध्या-लखनऊ तक 245.86 किमी सड़क सिक्स लेन बनाई जाएगी। डीपीआर तैयार करने के लिए एजेंसी नामित करने को निविदा निकाली गई है। इसी क्रम में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे (Purvanchal Expressway) से गोरखपुर (Gorakhpur) को जोड़ने के लिए बनाए जा रहे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे को बनाने में करीब 5877 करोड़ रुपये खर्च होंगे। 91.352 किलोमीटर लंबे इस लिंक एक्सप्रेस-वे को अभी चार लेन का बनाया जा रहा है, लेकिन भविष्य में इसे छह लेन का बनाया जा सकता है। गोरखपुर, आजमगढ़, संतकबीरनगर और अंबेडकर नगर के 169 गांवों की करीब 1018.15 हेक्टेयर जमीन पर इस लिंक एक्सप्रेस-वे का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा ग्राम समाज की 8036 हेक्टेयर जमीन यूपीडा के नाम हो चुकी है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का विस्तार छह लेन तक किया जा सकेगा। अभी यह चार लेन का बनाया जा रहा है। इसको बनाने में 5876.68 करोड़ रुपये की लागत आएगी। फिलहाल इसकी चौड़ाई 110 मीटर होगी। इसी क्रम में गोरखपुर-देवरिया-सलेमपुर और गोरखपुर-महराजगंज फोरलेन का काम तेजी से चल रही है। गोरखपुर से नेपाल के सोनौली बार्डर तक भी सिक्स लेन सड़क का प्रस्ताव है। इसपर एयर स्ट्रिप बनाया जाना है। जिससे फाइटर प्लेन उतारा जा सके। गोरखपुर शहर के बीच पैडलेगंज से एयरपोर्ट तक फोरलेन का लोकार्पण हो चुका है, वहीं मोहद्दीपुर से जंगल कौड़ियां तक फोलनेन का निर्माण दिसम्बर महीने तक पूरा होने की उम्मीद है।
18 अक्तूबर को पीएम मोदी करेंगे एम्स का लोकार्पण
लंबे संघर्षों के बाद गोरखपुर (Gorakhpur) में बने एम्स में ओपीडी से लेकर आपरेशन की सुविधा मिलने लगी है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने पिछले दिनों राज्यसभा में एक सवाल में जवाब में बताया कि गोरखपुर (Gorakhpur) में 1011 करोड़ रुपये की लागत से एम्स की स्थापना की जा रही है। इसे दिसम्बर तक पूरी तरह सक्रिय कर दिया जाएगा। 112 एकड़ में हो रहे एम्स भवन में ओपीडी की सुविधा पिछले वर्ष मार्च में ही शुरू हो गई थी। एम्स प्रशासन ने ओपीडी के साथ ही एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू करने का फैसला किया है। पहला बैच 50 छात्रों का होगा। इसके लिए एम्स प्रशासन ने तीन जनवरी को नोटिस जारी कर दी है। इसमें गोरखपुर समेत 14 एम्स में एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश की समय सारिणी जारी की गई।
4800 करोड़ रुपये की लागत से दौड़ेगी गोरखपुर मेट्रो
गोरखपुर मेट्रो (Gorakhpur Metro) के लिए 4800 करोड़ रुपये का डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) मंजूर कर लिया गया है। दो बोगियों वाली मेट्रो के लिए दो कॉरिडोर बनाए गए हैं। इसमें 16 स्टेशन होंगे। गोरखपुर मेट्रो रेल वर्ष 2041 तक के लिए प्रस्तावित किया गया है। तब वर्तमान जनसंख्या 14 लाख से बढ़कर 23 लाख तक के लिए होगी। मेट्रो लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम (एलआरटीएम) पर कार्य करेगी। इसमें दो बोगियां लगेंगी। इन दो बोगियों में एक बार में 400 यात्री सफर कर सकेंगे। श्याम नगर से सूबा बाजार तक 16.95 किमी के लिए प्रस्तावित पहले कॉरिडोर में 16 स्टेशन बनाए जाएंगे। इसी तरह गुलरिहा से कचहरी तक 10.46 किमी के दूसरे कॉरिडोर पर 11 मेट्रो स्टेशन प्रस्तावित हैं। शनिवार को गोरखपुर से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने कानपुर और आगरा मेट्रो का औपचारिक शुभारंभ किया। गोरखपुर मेट्रो की डीपीआर तैयार है। मंजूरी केन्द्र सरकार के पाले में है।
गोरखपुर का मरीन ड्राइव है रामगढ़झील
1700 एकड़ में फैला रामगढ़झील के आसपास का एरिया मरीन ड्राइव की तरह विकसित हो रहा है। पर्यटन विकास को लेकर 300 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। युवाओं के लिए आज रामगढ़ ताल के किनारे कई सेल्फी प्वाइंट बन गए हैं। फव्वारों और लाइट एंड साउंड शो से झील की खूबसूरती बढ़ गई है। झील में 25 इलेक्ट्रिकल फव्वारे लगाये गये हैं। रोज शाम के वक्त लाइट एन्ड साउंड शो होता है। झील में लोग बोटिंग का मजा लेते हैं, साथ ही यहां सुबह के वक्त शहर के लोग योगा तक करते हैं। करीब एक करोड़ की लागत से बन रहे भव्य द्वार पर कोणार्क मंदिर का अक्स नजर आता है। वहीं राप्ती तट का घाट भी पर्यटन के लिहास से विकसित किया जा रहा है। वाटर स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स के निर्माण के साथ ही इंटरनेशनल स्तर के वाटर स्पोर्ट्स का भी यहाँ आयोजन हो सकेगा।
फोरलेन फ्लाईओवर से खत्म होगा जाम का झाम
गोरखपुर का पहला फोरलेन फ्लाईओवर कहा रेलवे क्रासिंग पर बनने जा रहा है। वहीं चौरीचौरी शहीद स्मारक तक रास्ता आसान करने के लिए चौरीचौरा कस्बे में ओवरब्रिज बनाया जा रहा है। इससे सोनौली हाईवे और सोनबरसा मार्ग पर जाने वाले लोगों को ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी। जेल बाईपास और खजांची होते हुए सोनौली हाईवे की तरफ जाने और आने वाली गाड़ियों को अब ट्रैफिक जाम से नहीं जूझना पड़ेगा। नकहा क्रासिंग पर सेतु निगम रेलवे के सहयोग से शहर का पहला फोरलेन ओवरब्रिज बनाएगा। इसके लिए सेतु निगम ने शासन को 77.17 करोड़ का प्रस्ताव मंजूरी के लिए भेजा है। इसके साथ ही देवरिया रोड पर चौरीचौरा स्मारक के पास क्रासिंग पर 61 करोड़ रुपये की लागत से ओवरब्रिज बनेगा। नकहा क्रासिंग पर फोरलेन ओवरब्रिज को लेकर रेलवे बोर्ड ने दो साल पहले ही 3.40 करोड़ रुपये आवंटित कर दिया था। इसके साथ ही पैडलेगंज से लेकर नौसढ़ तक सिक्सलेन का निर्माण शुरू हो गया है। इसी सिक्सलेन में करीब 2700 मीटर लंबा फ्लाईओवर भी प्रस्तावित है। ट्रांसपोर्टनगर से महेवा होते हुए यह फ्लाईओवर रुस्तमपुर के पास गिरेगा।