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Gorakhpur News: हद है, गोरखपुर के रैन बसेरों में नींद लेनी है तो रजाई-गद्दा साथ लेकर आएं

Gorakhpur News: रैन बसेरों को लेकर योगी सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किये हैं। गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर के ठीक बगल में 125 बेड का रैन बसेरा बना है।

Purnima Srivastava
Report Purnima SrivastavaPublished By Shweta
Published on: 3 Dec 2021 4:53 AM GMT
Gorakhpur night shelter
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गोरखपुर रैन बसेरा 

Gorakhpur News: एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (mukhyamantri yogi adityanath) दिसम्बर की कड़ाके की ठंड को देखते हुए खुले में सोने वालों को रैन बसेरों में शिफ्ट करने का निर्देश दे रहे हैं, वहीं उनके गृहजनपद गोरखपुर (Gorakhpur News) में ही अधिकारी व्यवस्था ठीक करने में नाकाम हैं। रैन बसेरों में कहीं चौकी नहीं है तो कहीं रजाई-गद्दा तक के लिए लोग परेशान हैं। बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (Baba Raghav Das Medical College) में तो मरीजों के तीमारदार रजाई-गद्दा साथ लेकर आने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री आवास के चंद मीटर दूरी पर स्थित गोरखनाथ ओवरब्रिज (Gorakhnath Overbridge) की साइट पटरी पर लोग सोते हुए मिल जाते हैं।

रैन बसेरों (rain basera gorakhpur) को लेकर योगी सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किये हैं। गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Temple) के ठीक बगल में 125 बेड का रैन बसेरा बना है। इसमें महिलाओं और पुरुषों के ठहरने की अलग-अलग व्यवस्था है। लेकिन यहां 20 फीसदी बेड पर भी लोग सोते हुए नहीं मिलते हैं। जबकि इसके ठीक बगल में गोरखनाथ ओवरब्रिज की साइड पटरी पर दर्जनों को कड़ाके की ठंड में नींद लेते हुए नजर आते हैं। नगर निगम के अधिकारी दलील देते हैं कि इन्हें कई बार रैन बसेरों में शिफ्ट किया गया लेकिन वह फिर ओवरब्रिज पर चले जाते हैं।


महापौर सीताराम जायसवाल के कैंप कार्यालय के ठीक पीछे धर्मशाला स्थित रैन बसेरा में 12 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। लेकिन यहां गुरुवार की रात में सिर्फ तीन लोग ठहरे थे। कुशीनगर के सकलैन और देवरिया के अभिषेक मौर्या ने बताया कि टॉयलेट के लिए बगल के सार्वजनिक शौचालय में जाना पड़ता है। केयर टेकर किशन ने बताया कि चार, गद्दा और रजाई दो से तीन साल पुराना है। नये की डिमांड की गई है। नगर निगम के मुख्य अभियंता सुरेश चंद का कहना है कि शहर में कुल 13 रैन बसेरा हैं। पांच रैन बसेरे डूडा के हैं। शेष नगर निगम के हैं। कोविड के चलते रैन बसेरों को बंद नहीं किया गया था। रैन बसेरों का सर्वे करा लिया गया है। रंगाई पुताई की जा रही है। जहां गद्दे और चादर पुराने हो गए हैं, उन्हें बदल दिया जाएगा। खुले में सोने वालों को रैन बसेरों में जाने के लिए जागरूक किया जाएगा।

बीआरडी प्रशासन ने तीमारदारों को ठंड में कांपने के लिए छोड़ दिया

पूर्व राज्यसभा सांसद मोहन सिंह (Former Rajya Sabha MP Mohan Singh) के नाम से बने बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज (brd medical college gorakhpur) के रैन बसेरा की स्थिति बेहद खराब है। इसका संचालन बीआरडी प्रशासन द्वारा किया जाता है। रैन बसेरा में चार-पांच चौकी हैं। कुछ टूटी हुई हैं। यहां लोग जमीन पर लेटने को विवश हैं। बीआरडी प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं शौचालय और बाथरूम में ताला बंद था। वहीं नगर निगम द्वारा बनाया गया रैन बसेरा पिछले साल शुरू हुआ है। यह कुल 125 बेड का रैन बसेरा है। चंद महीने में ही खिड़की का शीशा टूट गया है। जिससे ठंडी हवा आ रही है। रैन बसेरा की देख भाल करने वाले शिव शंकर ने बताया कि टूटी खिड़की और अन्य व्यवस्था के लिए अधिकारियों को बता दिया है। लेकिन अभी कोई सुनवाई नहीं है।

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