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Junior Doctors Strike Today: गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर, इलाज प्रभावित

Junior Doctors Strike Today: सोमवार की शाम को बीआरडी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने अघोषित हड़ताल कर दी। हड़ताल से मरीजों का इलाज प्रभावित हो गया है।

Purnima Srivastava
Report Purnima SrivastavaPublished By Chitra Singh
Published on: 28 Dec 2021 1:57 PM IST
Baba Raghavdas Medical College
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जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर ( फोटो- न्यूज ट्रैक)

Junior Doctors Strike Today: राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET) के परास्नातक (पीजी) में प्रवेश (PG Admission) को लेकर काउंसलिंग में हो रही देरी ने नाराज बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर हड़ताल (Junior Doctors Strike) पर चले गए हैं। हड़ताल से मरीजों का इलाज प्रभावित हो गया है। तीमारदार मरीजों को मजबूरी में नर्सिंग होम में भर्ती करा रहे हैं। मंगलवार की सुबह जूनियर डॉक्टरों ने कैंपस में नारेबाजी की और काउंसलिंग शुरू करने की मांग की।

कोविड और कोर्ट के फेर में मेडिकल छात्रों का एक साल सत्र पीछे चल रहा है। नीट पीजी की काउंसलिंग में हो रही देरी से जूनियर डॉक्टरों के सब्र का बांध टूट गया। सोमवार की शाम को बीआरडी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने अघोषित हड़ताल कर दी।

सोमवार की शाम को डॉक्टर कामकाज ठप कर वार्डों से बाहर निकल आए। ट्रामा सेंटर में मरीजों की भर्ती बंद हो गई। इमरजेंसी में नए पर्चे बनने बंद हो गए। हालांकि दो घंटे बाद इमरजेंसी बहाल हो गई। लेकिन मंगलवार को सुबह फिर जूनियर डॉक्टर प्रदर्शन करते हुए बाहर आ गए। एक डॉक्टर ने बताया कि नीट पीजी की काउंसलिंग में देरी सिस्टम की लापरवाही का परिणाम है। बेवजह इसे लंबा खींचा जा रहा है। आमतौर पर पीजी की परीक्षा जनवरी में होती है। इस बार कोरोना के कारण यह परीक्षा सितंबर में हुई। उसके बाद काउंसलिंग में अड़ंगा लगा दिया गया है।

एक साल पीछे हो गया सत्र

जूनियर डॉक्टरों का कहना था कि सरकार की बेपरवाही से पीजी में सत्र एक साल पीछे हो गया है। मेडिकल कॉलेज से सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर डिग्री लेकर निकल चुके हैं। वहीं जूनियर रेजिडेंट के पद भरे नहीं जा रहे हैं। ऐसे में काम का दबाव बढ़ गया है। प्रदर्शन में सर्वाधिक भागीदारी प्रथम वर्ष के जूनियर रेजिडेंट (जेआर) की है। डॉ.विनय मल्ल का कहना है कि रेजिडेंटशिप में सबसे ज्यादा काम का दबाव पहले वर्ष के जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों पर ही होता है। जैसे नया बैच आएगा, वह सीनियर हो जाएंगे। उन पर काम का दबाव कम होगा।



Chitra Singh

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