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Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि पर CM योगी ने किया रुद्राभिषेक, बहुत खास है गोरखनाथ मंदिर की शिवरात्रि
Mahashivratri 2022: सीएम योगी सुबह 4.30 बजे मंदिर भ्रमण पर निकले। यहां गायों को गुड़ और चना खिलाया। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के अवतार गुरु गोरखनाथ का पूजन कर अपने गुरु अवैद्यनाथ (Guru Avaidyanath) का आशीर्वाद लिया।
Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के मौके पर मुख्यमंत्री गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Temple) के शक्ति मंदिर (Shakti Mandir) में भगवान भोले शंकर का रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) किया। करीब डेढ़ घंटे तक मठ के प्रथम तल पर स्थित शक्ति मंदिर में विशेष पूजन अनुष्ठान हुआ। इस दौरान मुख्यमंत्री ने लोक समृद्धि, लोक कल्याण, लोक के निरोग और विश्व शांति की कामना की।
बता दें कि, सोमवार सुबह 8 से 9.30 बजे तक मठ पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी (Acharya Ramanuj Tripathi) वैदिक समेत 11 वेदपाठी ब्राह्मणों के साथ मठ के प्रथम तल पर स्थित शक्ति मंदिर में महाशिवरात्रि (mahashivratri) पर इस विशेष अनुष्ठान में शामिल हुए। महामंत्रों से रुद्राभिषेक की क्रिया संपन्न की। मठ के पुरोहित के मुताबिक दूध, गंगाजल, दही, घी, गुड़, मधु, गन्ने का रस, कुश के रस, दूब के रस से भगवान शिव का महाभिषेक किया गया। इस अनुष्ठान में मठ पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी, डॉ. अरविंद चतुर्वेदी, डॉ. रोहित मिश्र, रंगनाथ त्रिपाठी, पुरुषोत्तम चौबे समेत वेदपाठी ब्राह्मण शामिल हुए।
इससे पहले मंगलवार की सुबह सीएम योगी नित्य क्रिया से निवृत होने के बाद सुबह 4.30 बजे मंदिर भ्रमण पर निकले। यहां गायों को गुड़ और चना खिलाया। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के अवतार गुरु गोरखनाथ का पूजन कर अपने गुरु अवैद्यनाथ (Guru Avaidyanath) का आशीर्वाद लिया।
हर शिवरात्रि रुद्राभिषेक करते हैं योगी
बता दें, कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठ के महंत हैं। वह हर साल महाशिवरात्रि पर गोरखनाथ मंदिर में पूजा और रुद्राभिषेक करते हैं। चुनावी भागम-भाग में भी उन्होंने इस परंपरा को कायम रखा है। गुरु गोरखनाथ को नाथ संप्रदाय में भगवान शिव का अवतार माना जाता है। इस संप्रदाय के लिए महाशिवरात्रि का त्योहार बेहद महत्वपूर्ण है।
पौराणिक मान्यता
गोरक्षनाथ मंदिर की पौराणिक मान्यता है। योग साधना का क्रम यहां प्राचीन काल से चलता रहा है। ज्वाला देवी के स्थान से परिभ्रमण करते हुए 'गोरक्षनाथ जी' ने आकर भगवती राप्ती के तटवर्ती क्षेत्र में तपस्या की थी। उसी स्थान पर अपनी दिव्य समाधि लगाई थी। जहां वर्तमान में 'श्री गोरखनाथ मंदिर (श्री गोरक्षनाथ मंदिर)' स्थित है। नाथ योगी सम्प्रदाय के महान प्रवर्तक ने अपनी अलौकिक आध्यात्मिक गरिमा से इस स्थान को पवित्र किया था, अतः योगेश्वर गोरखनाथ के पुण्य स्थल के कारण इस स्थान का नाम 'गोरखपुर' पड़ा। मकर संक्रांति के अवसर पर यहां एक माह चलने वाला विशाल मेला लगता है जो 'खिचड़ी मेला' के नाम से प्रसिद्ध है।