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Manish Gupta Hatyakand: हत्यारोपी दरोगा राहुल दूबे और कांस्टेबल प्रशांत गिरफ्तार, जेल भेजने की तैयारी
रियल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर में पीट-पीट कर हत्या मामले में दो और अरोपी पुलिसकर्मी गिरफ्तार
Manish Gupta Hatyakand: कानपुर के रियल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता (real estate karobari manish gupta) की पीट-पीट कर हत्या मामले में फरार चल रहे हत्यारोपित दरोगा राहुल दूबे (Inspector Rahul Dubey) और कांस्टेबल प्रशांत (constable prashant) को गोरखपुर की कैंट थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों पर कानपुर एसआइटी (SIT) ने एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। एसपी सिटी सोनम कुमार ने इस गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि दो अन्य आरोपित पुलिस वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले के दो मुख्य हत्यारोपित इंस्पेक्टर जेएन सिंह (Inspector JN Singh) और दरोगा अक्षय मिश्रा को बीते रविवार को ही पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।
इंस्पेक्टर जेएन सिंह (Inspector JN Singh) और चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा की तरह ही दोनों पुलिस वालों की गिरफ्तारी की भी स्क्रिप्ट गोरखपुर के आला अधिकारियों के देखरेख में लिखी गई प्रतीत हो रही है। दोनों को कैंट पुलिस ने आजाद चौक से गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक, दोनों को दिन में 2.05 बजे तब गिरफ्तार किया गया, जब वे कोर्ट में सरेंडर करने की तैयारी में थे। दोनों की गिरफ्तारी कैंट थाने के इंस्पेक्टर सुधीर कुमार सिंह के नेतृत्व में बनी टीम ने किया है। दो दिन पहले ही हत्यारोपित इंस्पेक्टर जेएन सिंह और दरोगा अक्षय मिश्रा की गिरफ्तारी हुई थी। दोनों इस वक्त मंडलीय कारागार में कैद हैं। अब सिर्फ दो आरोपी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। इसके घरों और रिश्तेदारों के ठिकानों पर पुलिस की 16 टीमें लगातार दबिश दे रही हैं।
पुलिस ने बढ़ाई धारा
मनीष हत्याकांड में दर्ज केस में आईपीसी की धारा 302 के अलावा एसआईटी ने साक्ष्य मिटाने की धारा 201 और किसी वारदात को एक साथ मिलकर अंजाम देने की धारा 34 भी बढ़ा दी है। जबकि अब तक की जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर SIT इस मामले में हत्या की धारा 302 को तरमीम कर गैर इरादतन हत्या की धारा 304 में चार्जशीट लगा सकती है।
हेड कांस्टेबल कमलेश यादव, दरोगा विजय यादव अभी भी फरार
मृतक की पत्नी मीनाक्षी ने पुलिस को दी तहरीर में 6 पुलिसकर्मियों को हत्या का दोषी ठहराते हुए नामजद किया था। इनमें इंस्पेक्टर रामगढ़ताल जेएन सिंह, चौकी इंचार्ज फलमंडी अक्षय मिश्रा, सब इंस्पेक्टर विजय यादव के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, जबकि तहरीर में नामजद किए गए सब इंस्पेक्टर राहुल दुबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव, कांस्टेबल प्रशांत कुमार की जगह 3 अज्ञात पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज हुआ। हेड कांस्टेबल कमलेश यादव, कांस्टेबल प्रशांत कुमार अभी भी फरार हैं।
बड़ा सवाल आखिर गोरखपुर के हत्थे ही क्यों चढ़ रहे हत्यारोपित पुलिस वाले
पुलिस की गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कानपुर की एसआईटी आखिर आरोपी पुलिस वालों को क्यो नहीं पकड़ पा रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कहीं गोरखपुर पुलिस की ही शह पर तो नहीं गिरफ्तारी हो रही है। बता दें कि कानपुर के रियल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता हत्याकांड में गोरखपुर के एसएसपी विपिन टांडा जिन पुलिस वालों को क्लीन चिट दे रहे थे, उन्हें उनके ही मातहत अब दोषी करार दे रहे हैं। एसएसपी द्वारा ही एसपी नार्थ की सौंपी जांच पूरी होने के बाद जो तथ्य सामने आए हैं, वह पुलिस की बर्बरता की कहानी खुद तस्दीक कर रहे हैं।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस वालों ने कदम-कदम पर अनुशासनहीनता की और मर्यादा को तार-तार किया। कानपुर के रियल इस्टेट कारोबारी मनीष गुप्ता की गोरखपुर पुलिस द्वारा पीट-पीट कर की गई हत्या की परतें खुल रही हैं। पुलिस ने न सिर्फ पिटाई से होटल के कमरे में ही बेसुध मनीष गुप्ता को जानवर की तरह गाड़ी में बिठाया बल्कि डॉक्टरों पर दबाव बनाकर मुर्दे का इलाज कराया। एसपी नार्थ ने छह पुलिस वालों की बर्खास्तगी की संस्तुति की है।