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UP Election 2022: नेताजी की चुनावी वैतरणी पार लगाने में जुटे हैं लोकल 'पीके', जानें कैसे हो रहा वर्चुअल कैंपेन

UP Election 2022: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच रैलियों और चुनाव प्रचार पर बंदिशों के बीच दावेदारों का पूरा जोर सोशल मीडिया है।

Purnima Srivastava
Published on: 18 Jan 2022 11:11 AM IST (Updated on: 18 Jan 2022 11:31 AM IST)
UP Election 2022: नेताजी की चुनावी वैतरणी पार लगाने में जुटे हैं लोकल पीके, जानें कैसे हो रहा वर्चुअल कैंपेन
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UP Election 2022: अभी तक राजनीतिक पार्टियों के लिए प्रशांत किशोर सरीखे पॉलिटिकल कैंपेनर हुआ करते थे लेकिन कोरोना के चलते बदली परिस्थितियों में सभी दावेदारों के पास प्रचार-प्रसार के लिए अपने 'पीके' हैं। ये चुनाव प्रचार को मैनेज कर रहे हैं। शार्ट वीडियो फिल्म से लेकर सोशल मीडिया पर गतिविधियों से वोटरों के बीच पहुंच रहे हैं। विधायक जहां पांच साल में किये कार्यों को गिनाकर वोट मांग रहे हैं, तो वहीं विरोधी नकारा साबित कर वोटरों की बीच पहुंच रहे हैं।

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच रैलियों और चुनाव प्रचार पर बंदिशों के बीच दावेदारों का पूरा जोर सोशल मीडिया है। दिल्ली, लखनऊ से लेकर स्थानीय टीमों के सहयोग से नेताओं का वर्चुअल प्रचार चल रहा है। नेताजी फेसबुक, व्हाट्सएप और अन्य डिजिटल प्लेटफार्म के जरिये वोटरों तक पहुंच रहे हैं।

प्रत्याशी के प्रमोशन का पूरा पैकेज

सोशल मीडिया पर हो रहे प्रचार में भाजपा, सपा के साथ ही कांग्रेस नेता भी सक्रिय हैं। पिपराइच विधानसभा से भाजपा के विधायक और दावेदार महेंद्र प्रताप सिंह इस मामले में काफी आगे चल रहे हैं। शार्ट वीडियो से वे लोगों के बीच पहुंच रहे हैं।

वे बता रहे हैं कि उनके ही विधानसभा में चीनी मिल का लोकार्पण हुआ है तो आयुष यूनिवर्सिटी का शिलान्यास। चिल्लूपार से सपा के दावेदार विनय शंकर तिवारी भी सोशल मीडिया पर सक्रिय दिख रहे हैं। उनके फेसबुक पेज पर सुबह से ही पल-पल की गतिविधियां अपडेट हो रही हैं।

सोशल मीडिया पर कैंपेन मैनेज करने वाली एजेंसी के अक्षय आनंद का कहना है कि प्रत्याशी के प्रमोशन का पूरा पैकेज ले रहे हैं। इस बार रैलियां और फ्लैक्स नहीं होने से प्रचार का महत्वपूर्ण विकल्प सोशल मीडिया ही बचा हुआ है। योगी से लेकर प्रशांत किशोर के आईटी टीम में काम करने वाले अमन श्रीवास्तव ने अपने दोस्तों के एक कंपनी बनाई है। इन्हें करीब 10 दावेदारों के प्रचार का जिम्मा मिला हुआ है। लोक गायकों के गाए गीतों से दावेदारों को वोटरों तक पहुंचा रहे हैं। एक लाख से 3 लाख तक का पैकेज नेताजी ले रहे हैं।

5 से 10 लाख खर्च कर खुल रहे रिकॉर्डिंग सेंटर

पूर्वांचल में चुनावी रंग बिना गीतों के नहीं चढ़ता है। इसी लिए नेताओं की रैलियों से पहले लोकगायकों को भीड़ को जुटाने और रिझाने की जिम्मेदारी मिलती है। इस बार भी सांसद रवि किशन और बिहार की लोक गायिका नेहा सिंह राठौर यूपी का का बा और यूपी में सब बा गीतों के माध्यम से धमाल मचा रहे हैं। सभी बड़ी पार्टियों के पास मंडल स्तर पर ऐसे लोक कलाकार हैं जो नेताजी के मिजाज के मुताबिक माहौल बनाते हैं।

लोक कलाकार राकेश श्रीवास्तव कहते हैं कि 'गीतों का असर काफी अधिक होता है। 2003 में गाए गीत योगी जी की सेना चली की डिमांड आज भी है। इस गीत को चुनाव प्रचार में बजाकर कई विधायक बन गए। ऐसा खुद विधायक लोग ही कहते हैं।' राजनीतिक पार्टियां ही नहीं विभिन्न दलों के दावेदार भी लोक कलाकारों गीतों से सजी शार्ट वीडियो बनवा रहे हैं। रिकाँडिंग सेंटरों को लेकर गोरखपुर मंडल पहले से समृद्ध रहा है। देवरिया, कुशीनगर के साथ ही गोरखपुर में अच्छे रिकॉडिंग सेंटर खुल रहे हैं।



Vidushi Mishra

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