TRENDING TAGS :
UP Election 2022: गोरखपुर से योगी के चुनाव लड़ने के कई सियासी लाभ, विरोधियों पर हमले का मिलेगा पूरा मौका
UP Election 2022: गोरखपुर योगी की कर्मभूमि है। गुजरात की तर्ज पर योगी ने गोरखपुर को हिन्दुत्व की प्रयोगशाला बनाया है। प्रयोगशाला के परिणामों का असर भले ही पूरे प्रदेश में हो लेकिन योगी के लिए गोरखपुर से अधिक सुरक्षित सीट कोई और जगह नहीं हो सकती है।
Yogi Adityanath to contest from Gorakhpur
UP Election 2022: अयोध्या, मथुरा से चुनाव लड़ने अटकलों और कयासों को दरकिनार कर भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Gorakhpur Se Yogi Ladenge Chunav) को गोरखपुर शहर सीट से लड़ाने का निर्णय लिया है। ये निर्णय यूं ही नहीं है। इसका संदेश बड़ा है। पार्टी ने कई दौर की वार्ता में नफा-नुकसान का आंकलन करने के बाद ही यह निर्णय लिया है। अब जब जीत के लिहाज से गोरखपुर की सुरक्षित सीट से योगी चुनाव लड़ेंगे तो उन्हें विरोधियों पर हमले का पूरा मौका भी मिलेगा।
गोरखपुर योगी की कर्मभूमि है। गुजरात की तर्ज पर योगी ने गोरखपुर को हिन्दुत्व की प्रयोगशाला बनाया है। प्रयोगशाला के परिणामों का असर भले ही पूरे प्रदेश में हो लेकिन योगी के लिए गोरखपुर से अधिक सुरक्षित सीट कोई और जगह नहीं हो सकती है। गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों में से कमोबेश सभी पर योगी का सीधा दखल है।
योगी यदि अयोध्या से चुनाव लड़ते तो उन्हें नये सिरे से खुद की टीम बनानी पड़ती। कुछ दिन टिकना भी पड़ता। वही दूसरी तरफ योगी अच्छी तरह समझ रहे थे कि अयोध्या का जातीय और धार्मिक समीकरण उन्हें वाकओवर नहीं दे सकता है। उल्टे योगी अयोध्या जाते तो गोरखपुर-बस्ती मंडल की सभी 41 सीटों पर इसका असर पड़ता। विरोधियों को हमला करने का मौका मिलता कि योगी गोरखपुर से भाग गए। अब जब गोरखपुर से योगी चुनाव लड़ेंगे तो उन्हें प्रचार की खास जरूरत नहीं पड़ेगी।
संघ से जुड़े एक पदाधिकारी कहते हैं कि अयोध्या से चुनाव लड़ने का दोहरा नुकसान होता। योगी को लखनऊ और गोरखपुर के साथ ही अयोध्या को तीसरा ठिकाना बनाना पड़ता। वे उस ताकत से पार्टी का प्रचार नहीं कर पाते, जितना गोरखपुर से लड़ते हुए कर सकते हैं। योगी के करीबी और नगर निगम में उपसभापति ऋषि मोहन वर्मा कहते हैं कि गोरखपुर में 3 मार्च को वोटिंग हैं। इसके लिए योगी जी को किसी प्रकार के प्रचार की जरूरत नहीं है। वे पांच चरणों के चुनाव में पूरी ताकत से प्रचार कर सकते हैं। पार्टी ने दूरगामी निर्णय लिया है।
बड़ा सवाल अब डॉ.राधा मोहन अग्रवाल क्या करेंगे?
चेंबर ऑफ टेडर्स के अध्यक्ष अनूप किशोर अग्रवाल कहते हैं कि योगी जी को एक भी दरवाजे पर जाने की जरूरत नहीं है। जो विकास कार्य हुए हैं, उन्हें देखते हुए यहां की जनता ही उनका चुनाव लड़ेगी। वहीं योगी के चुनाव लड़ने से 2002 से लगातार चुनाव जीत रहे भाजपा विधायक डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल खुद-ब-खुद हाशिये पर चले गए। अब उन्हें किसी प्रकार का आरोप लगाने का मौका भी नहीं मिलेगा। वे दूसरी सीट से टिकट मांगने का जोखिम भी नहीं लेंगे। क्योकि वे अच्छी तरह जानते हैं कि शहर सीट सुरक्षित है।
योगी का आशीर्वाद से जीत हासिल करना मुश्किल भी नहीं है। वहीं डॉ.राधा मोहन अग्रवाल किसी प्रकार का विरोध भी नहीं कर सकते। यदि वे किसी अन्य दल के संपर्क में जाते हैं या चुनाव लड़ने की सोचते हैं तो उन्हें लाभ के बजाए बड़ा सियासी नुकसान उठाना होगा।
विरोधियों को हमले का मौका
गोरखपुर से ही योगी के चुनाव लड़ने से विरोधियों को सियासत का मौका मिलेगा। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने टिकट की घोषणा के बाद बयान भी जारी किया कि योगी का टिकट 11 मार्च का बुक था। पार्टी ने उन्हें पहले ही गोरखपुर भेज दिया।
अयोध्या में नंदीग्राम जैसे हश्र का भय
योगी अयोध्या से लड़ते तो उनकी जीत उतनी आसान नहीं होती। कुछ विरोधी मानते हैं कि जिस प्रकार बंगाल में ममता बनर्जी को नंदीग्राम में हार का सामना करना पड़ा, वैसा ही कुछ योगी के अयोध्या से लड़ने से हो सकता था। इसीलिए योगी और आलाकमान ने गोरखपुर से चुनाव लड़ने को सुरक्षित माना।