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Yogi Gorakhpur Seat: जानिए योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर से चुनाव लड़ने पर क्या होगा क्षेत्र पर असर, क्या है सीट का इतिहास

Yogi Gorakhpur Seat: भारतीय जनता पार्टी में आज विधानसभा चुनाव 2022 के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। जिसके बाद उन अटकलों पर ब्रेक लग गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे।

Bishwajeet Kumar
Written By Bishwajeet Kumar
Published on: 15 Jan 2022 4:17 PM IST
Yogi Gorakhpur Seat
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सीएम योगी आदित्यनाथ की तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

Yogi Gorakhpur Seat: चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव (U.P. Assembly elections 2022) की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। जिसके बाद से ही उत्तर प्रदेश की सियासत में भागदौड़ जैसा माहौल बना हुआ है। सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव में विजय पाने के लिए अपना समीकरण साधने में पूरा जोर लगा रही हैं। कौन से नेता को कौन से सीट से लड़ाया जाए कि हाथ केवल जीत ही आए। यही सोचकर राजनीतिक पार्टियां अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर रही हैं।

इन दिनों उत्तर प्रदेश की सियासत में एक सवाल खूब ज्यादा पूछा जा रहा था कि आखिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath News) कौन सी सीट से चुनाव लड़ेंगे। इस सवाल पर कई अटकलें लगाए जा रहे थे। कहा जा रहा था कि मुख्यमंत्री अयोध्या से चुनाव लड़ेंगे तो कइयों का मानना था कि मुख्यमंत्री मथुरा से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन इन तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए आज भारतीय जनता पार्टी ने यह घोषणा कर दिया है कि मुख्यमंत्री अपने गृह जनपद गोरखपुर के सदर सीट से चुनाव लड़ेंगे।

अगर उत्तर प्रदेश की सियासत में देखें तो वर्ष 2003 के बाद ऐसा पहली बार होगा। जब कोई मौजूदा मुख्यमंत्री विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर खुद हिस्सा लेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहले सपा से संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए 2003 में विधानसभा चुनाव लड़ा उस वक्त मुलायम सिंह ने गुन्नौर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था गुन्नौर की सीट पर इस बार समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने शिवपाल सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है।

उत्तर प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में गोरखपुर सदर विधानसभा सीट को हमेशा से वीवीआइपी सीटों में गिना गया है। इस सीट की महत्वता इसलिए और बढ़ जाती है क्योंकि इस पर गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Mandir History) का भी बहुत प्रभाव होता है। गोरखपुर सदर विधानसभा सीट गोरखपुर के सभी विधानसभा सीटों में से सबसे ज्यादा भूतों वाला विधानसभा सीट है। वही महंत अवैद्यनाथ के रहते हुए राम मंदिर आंदोलन से इस सीट की महत्वता और ज्यादा बढ़ गई बाद में जब योगी आदित्यनाथ को इस मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया तो तो इस सीट का असर पूरे उत्तर प्रदेश की सियासत पर पड़ने लगा। क्योंकि मंदिर से ज्यादा प्रभाव रहने के कारण गोरखपुर समय गोरखपुर के आसपास के जनपदों पर भी बेहद असर डालता है। जिसमें कुशीनगर, देवरिया, संतकबीर नगर, महाराजगंज और बस्ती जैसे जनपद शामिल है।

गोरखपुर में मतदाता

अगर गोरखपुर के सदर (Gorakhpur Sadar Assembly seat) विधानसभा सीट की वोटरों के आंकड़ों को देखें तो 2011 के जनगणना के अनुसार यहां पर कुल चार लाख 28 हजार से भी अधिक वोटर हैं। जिसमें डेढ़ लाख से अधिक महिला मतदाता तो दो लाख से अधिक पुरुष मतदाता शामिल है। इस सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने से गोरखपुर के सभी 9 विधानसभा सीट पर एक बड़ा असर देखने को मिलेगा।

गोरखपुर सीट का इतिहास

अगर गोरखपुर के सदर विधानसभा सीट की इतिहास को देखें तो पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से भारतीय जनता पार्टी के राधा मोहन दास अग्रवाल विधायक (Radha Mohandas Agarwal) चुने गए थे उस वक्त राधा मोहन दास अग्रवाल में समाजवादी पार्टी को रिकॉर्ड मतों से हराया था। वही 2012 के विधानसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी की स्पीड से हार ही हुई थी। उस वक्त भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार राधा मोहन दास अग्रवाल ने समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार राजकुमारी देवी को मात दिया था। इसके पहले के 2007 विधानसभा चुनाव में भी राधा मोहन दास अग्रवाल ही इस सीट से विधायक चुने गए।

जब योगी आदित्यनाथ थे बीजेपी के खिलाफ

अगर गोरखपुर के उस दौर के चुनाव इतिहास का बात करें जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ रहा करते थे तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में अखिल भारतीय हिंदू महासभा गोरखपुर के मौजूदा विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल को गोरखपुर सदर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था उस वक्त भारतीय जनता पार्टी ने सदर सीट से उस वक्त गोरखपुर क्षेत्र के कद्दावर नेता शिव प्रताप शुक्ला को उम्मीदवार बनाया था इस इस चुनाव को जीतने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी और परिणाम यह आया कि इस सीट से भारतीय जनता पार्टी हार गई और भारतीय हिंदू महासभा के प्रत्याशी डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल विजयी हुए।



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