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Jaunpur News: कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा- राजनीति में पंडित जी के विचार आज भी प्रासंगिक

विचार गोष्ठी में पं. दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर विस्तार पूर्वक चर्चा हुई, जिसमें कहा गया पंडित जी के विचारों को आत्मसात करते हुए राष्ट्र की एकता एवं अखंडता के प्रश्न पर एकजुट होकर काम करना चाहिए।

Kapil Dev Maurya
Published on: 25 Sept 2021 11:04 PM IST
Deen Dayal Upadhyay
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पं. दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी पर विचार रखते वक्ता (फोटो-न्यूजट्रैक)

Jaunpur News: पंडित दीनदयाल उपाध्याय (P. Deen Dayal Upadhyay) के जन्मदिवस पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय ने "पंडित जी के राजनीतिक चिंतन विमर्श विषय पर एक ई- संगोष्ठि का आयोजन किया।

कार्यक्रम में एकात्म मानव दर्शन शोध संस्थान एवं विकास प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के सह समन्वयक प्रोफेसर (डॉ.) त्रिलोचन शर्मा ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन "मिनिमम गवर्मेंट- मैक्सिमम गवर्नेंस" की भावना के अनुरूप है। व्यवस्था वही अच्छी होती है जो कम से कम शासन करे। राज्य सत्ता को धर्म सत्ता के अनुकूल होना चाहिए। पंडित जी के विचार में धर्म पंथ नहीं है, धर्म का अर्थ सदाचार से है। पंडित जी भारतीय राजनीति पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि भारत की राजनीति पश्चिम की राजनीति से अलग है, क्योंकि भारत की संस्कृति पश्चिम की संस्कृति से मेल नहीं खाती है।

राजनीति के केंद्र बिंदु में सदैव मनुष्य का निर्माण होना चाहिए और राजनीतिक व्यक्ति को मर्यादा अनुकूल आचरण करना चाहिए। राजनीति में कुशल लोगों के प्रवेश को रोकना चाहिए और राजनीतिक व्यक्ति को प्रजानुरागी की जगह प्रजानुभागी सोच रखना चाहिए, जिससे कि जनता का अधिक से अधिक राजनीतिकरण करके एक विवेक सम्मत व्यवस्था विकसित किया जा सके, जो भारतीय संस्कृति के अनुरूप चल सके।

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफ़ेसर निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि वर्तमान राजनीति के दौर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के राजनीतिक विचार अत्यंत प्रासंगिक हैं। भारतीय राजनीति में जो भी राजनीतिक दल हैं, उन्हें पंडित जी के विचारों को आत्मसात करते हुए राष्ट्र की एकता एवं अखंडता के प्रश्न पर एकजुट होकर काम करना चाहिए वैचारिक भिन्नता के साथ-साथ राष्ट्र की मजबूती के लिए सबको एकजुट होकर काम करना चाहिए। कुलपति ने अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धारा 370 हटाए जाने के साहसिक निर्णय की सराहना करते हुए यह कहा कि इस निर्णय से संपूर्ण अखंड भारत एक झंडे के नीचे एकजुट हुआ है और राष्ट्र मजबूत हुआ है।

कुलपति ने दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के द्वारा समय-समय पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों के प्रचार प्रसार हेतु आयोजित किए जाने वाले कान्फ्रेंस, सेमिनार, सिंपोजियम आदि की सराहना करते हुए इसे आगे इसी प्रकार जारी रखने हेतु प्रेरित किया।

इसके पूर्व दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर मानस पांडेय ने शोध पीठ द्वारा अब तक किए गए कार्यों पर प्रकाश डालते हुए संगोष्ठी में जुड़े विद्वत समाज का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन किया।अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर अजय द्विवेदी ने लोगों का आभार व्यक्त किया तथा कार्यक्रम का संचालन पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के सदस्य डॉ. अनुराग मिश्र ने किया। तकनीकी सहयोग शोध छात्र नितिन चौहान ने दिया। संगोष्ठी प्रारंभ होने के पूर्व संकाय भवन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण का कार्यक्रम संपन्न हुआ और पंडित दीनदयाल के विचारों को आत्मसात् करने का संकल्प लिया।

संगोष्ठी में सहभाग करने वालों में प्रो. अशोक श्रीवास्तव, प्रो. अविनाश पार्थीडकर, प्रो. अजय प्रताप सिंह, प्रो. मनोज मिश्र, प्रो. बीडी शर्मा, प्रो. देवराज सिंह, डॉ. विवेक पांडेय, डॉ. वनिता सिंह सहित वरिष्ठ आचार्यगण उपस्थित रहे।

Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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