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Independence Day 2021: स्वाधीनता संग्राम की मार्मिक गाथा की याद दिलाता धनियांमऊ शहीद स्तम्भ, जानिए इसके बारे में

जनपद जौनपुर भी स्वतंत्रता आंदोलन की उस चिंगारी से अछूता नहीं था, युवा क्रांतिकारियों की टोली अंग्रेजी हुकूमत से मुकाबले..

Kapil Dev Maurya
Report Kapil Dev MauryaPublished By Deepak Raj
Published on: 14 Aug 2021 7:20 PM IST (Updated on: 14 Aug 2021 7:22 PM IST)
Martyr pillar at jaunpur
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जौनपुर धनियांमऊ का शहीद स्मारक

Jaunpur News: सन् 1942 में कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में महात्मा गांधी ने 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' और 'करो या मरो' का नारा दिया तो उस आंदोलन की चिंगारी समूचे देश में फैल गई थी। जनपद जौनपुर भी आंदोलन की उस चिंगारी से अछूता नहीं था। युवा क्रांतिकारियों की टोली अंग्रेजी हुकूमत से मुकाबले को बेचैन हो उठी थी। जो जहां था वहीं सरकारी काम में किसी भी तरह बाधा डालने की कोशिश में लग गया था। डाकघर लूट की योजना को अंजाम देने के लिए धनियामऊ पुल पर अंग्रेजी फौज से क्रांतिकारियों का सामना हुआ। इस दौरान चार क्रांतिकारी शहीद हुए थे जबकि कई घायल हुए थे।


स्वतंत्रता आंदोल की तस्वीर (फाइल फोटो-सोर्स -सोशल मीडिया)


बक्शा और बदलापुर आदि इलाके के क्रांतिकारियों की टोली ने बदलापुर में स्थित डाकखाने को लूटने की योजना बनाई। इसके लिए जिला मुख्यालय और बदलापुर का संपर्क तोड़ने की योजना बनाई गई। 15 अगस्त की रात में ही धनियामऊ में स्थित नाले पर बने पुल को तोड़ने की रणनीति तैयारी की गई। अगले दिन 16 अगस्त 1942 को सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी दे दी गई। टीम के कुछ क्रांतिकारियों को जौनपुर और बक्शा की तरफ से आने वाली फोर्स को रास्ते में रोकने की जिम्मेदारी दी गई।

बदलापुर डाकखाने को लूटने और तीसरी टोली को पुल तोड़ने की जिम्मेदारी दी गई थी

एक टोली को बदलापुर डाकखाने को लूटने और तीसरी टोली को पुल तोड़ने की जिम्मेदारी दी गई थी। क्रांतिकारियों की टीम जब बक्शा थाने पहुंची तो पता चला वहां भारी फोर्स तैनात है। सभी वापस धनियामऊ पुल पर पहुंच गए। पुल तोड़ने का काम शुरू हो गया। इसी बीच जौनपुर की ओर से फोर्स भी आ गई। क्रांतिकारी और अंग्रेजी हुकूमत के सिपाहियों से मुकाबला शुरू हो गया। अंग्रेजों ने गोली चलाई तो उसका मुकाबला क्रांतिकारियों ने ईंट पत्थर और लाठी से किया।

अंग्रेजों की गोली से रामपदारथ चौहान, राम निहोर कहार, जमींदार सिंह, रामअधार सिंह शहीद हो गए। रामभरोस, भोला, बचई मिश्र, छत्रपाल सिंह समेत दर्जन भर लोग घायल हो गए। अंधाधुंध चल रही गोली चलने के बाद भी क्रांतिकारियों ने एक इंस्पेक्टर की बुरी तरह पिटाई कर दी थी। पिटाई से घायल इंस्पेक्टर की कुछ दिनों बाद मौत हो गई थी। धनियांमऊ पुल कांड में शहीद हुए क्रांतिकारियों की याद में घटना स्थल के निकट ही भव्य स्मारक का निर्माण कराया गया है। जहां प्रत्येक वर्ष 16 अगस्त को शहीद मेला लगता है।

युवाओ को चितौड़ी गांव मेंअंग्रेजी हुकूमत से लड़ने की ट्रेनिंग दिया गया था

यहां बता दे कि भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान बक्शा क्षेत्र के लगभग एक दर्जन गांव जिसमें अगरौरा, हैदरपुर, जंगीपुर, चितौड़ी, मितावां, चौखड़ा, धनियांमऊ, औका, मयंदीपुर, बरचौली दादूपुर अलहदिया, दरियावगंज, सरायहरखू, अटरा, गौरीकला के युवाओ को चितौड़ी गांव अंग्रेजी हुकूमत से लड़ने की ट्रेनिंग दिया गया था। उस ट्रेनिंग शिविर का उद्घाटन आचार्य नरेन्द्र देव ने किया था। इस शिविर में पं. गौरीशंकर ,पं. पारसनाथ उपाध्याय और डा . चन्द्रपाल सिंह की देखरेख में ट्रेनिंग दी गयी थी।

इसी ट्रेनिंग शिविर से निकले युवाओ की टोली ने धनियांमऊ पुल तोड़ने के दौरान अंग्रेजी पुलिस से सीध मुकाबला किया था। धनियांमऊ काण्ड के बाद अंग्रेजी हुकूमत की सेना ने जिन गांवो के युवा शामिल रहे उन गांवो में अंग्रेज पुलिस ने जबरदस्त कहर बरपाया था। लूटपाट और आगजनी करके सब कुछ बर्बाद कर दिया था। आज क्षेत्र की आवाम मां भारती के उन सभी वीर सपूतों को नमन करती है जिन्होंने भारता माता को अंग्रेजी गुलामी से मुक्त कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति दिया है।

Deepak Raj

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