वरुणा एक्सप्रेस ट्रेन रद्द, यात्री परेशान, सांसदो की भी नहीं सुन रहा विभाग.

जौनपुर जिले में कोरोना संक्रमण के बहाने पहले चरण के समय 23 मार्च 2020 से बन्द पड़ी वाराणसी से चलकर जौनपुर सुल्तानपुर होते लखनऊ को जानें वाली वरूणा एक्सप्रेस ट्रेन को रेलवे बोर्ड द्वारा आज तक नहीं चलाई जा रही है।

Kapil Dev Maurya
Report Kapil Dev MauryaPublished By Divyanshu Rao
Published on: 11 Aug 2021 9:01 AM GMT (Updated on: 11 Aug 2021 9:12 AM GMT)
वरुणा एक्सप्रेस ट्रेन रद्द, यात्री परेशान, सांसदो की भी नहीं सुन रहा विभाग.
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ट्रेन की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जौनपुर जिले में कोरोना संक्रमण के बहाने पहले चरण के समय 23 मार्च 2020 से बन्द पड़ी वाराणसी से चलकर जौनपुर सुल्तानपुर होते लखनऊ को जानें वाली वरूणा एक्सप्रेस ट्रेन को रेलवे बोर्ड द्वारा आज तक नहीं चलाई जा रही है। जिससे पूर्वांचल के यात्रियों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

जन प्रतिनिधियों (सांसदो) सहित समाज सेवियों एवं यात्रियों द्वारा किये गये बड़ी संख्या में पत्रचार को रेलवे बोर्ड द्वारा अनसुना कर दिया गया है। अब बोर्ड और केन्द्र सरकार दोनों इस मुद्दे को लेकर सवालों के कटघरे में आते जा रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबित केन्द्र सरकार (रेलवे मंत्रालय) वरूणा ट्रेन को चलाने के पक्ष में अब नहीं है।

ट्रेन की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

वरूणा एक्सप्रेस सबसे कमाऊ ट्रेन थी

बता दें कि वाराणसी से चल कर लखनऊ कानपुर तक चलने वाली वरूणा एक्सप्रेस ट्रेन जहां पूर्वांचल के व्यापारियों और आम यात्रियों के लिए बेहद सुविधाजनक ट्रेन थी। वहीं पर रेलवे बोर्ड की सबसे अधिक कमाऊं ट्रेन बन चुकी थी। प्रतिदिन पूर्वांचल से हजारों की संख्या में यात्री लखनऊ कानपुर जा कर अपने काम को अंजाम देकर रात तक अपने कुनबे में वपसी कर लेते रहे थे। लेकिन कोरोना के बहाने इसे बन्द कर रेल मंत्रालय भारत सरकार ने पूर्वांचल की आवाम के साथ बड़ा ही घनघोर अन्याय किया है।

सांसदों ने दो दर्जन से अधिक पत्र रेलवे बोर्ड को लिखे

सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार वाराणसी जौनपुर सुल्तानपुर जिलों के सांसदो ने लगभग दो दर्जन से अधिक पत्र रेलवे बोर्ड एवं रेल मंत्रालय भारत सरकार एवं पीएमओ कार्यालय वाराणसी को दिया है। वरूणा एक्सप्रेस का संचालन जन हित में किया जाये लेकिन सरकार अथवा रेलवे बोर्ड के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है।

आम जनता की जबरदस्त मांग पर वाराणसी जौनपुर सुल्तानपुर के वरिष्ठ रेलवे अधिकारी गण भी अपने उच्चाधिकारियों को आम जनता की मांग से अवगत कराया। लेकिन रेलवे बोर्ड और रेल मंत्रालय पर इसका कोई असर नहीं पड़ सका है।

स्टेशन की ओर आती हुई ट्रेन की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

इन ट्रेनों को साल 2023 में प्राइवेट हाथों में सौंपने की योजना बना रही सरकार

मिली जानकारी के मुताबित रेलवे विभाग सरकार के निर्देश पर रेल मंत्रालय के अन्दर खाने में वाराणसी लखनऊ रेल मार्ग पर वरूणा एक्सप्रेस सहित रेलवे बोर्ड की कई अधिक लाभप्रद ट्रेनों जैसे श्रमजीवी एक्सप्रेस, ताप्ती गंगा एक्सप्रेस सहित अन्य कई ऐसी ट्रनों को बन्द कर सरकार 2023 तक प्राइवेट हाथों में सौंप कर प्राइवेट ट्रनों के संचालन की योजना पर काम कर रही है।

प्राइवेट ट्रेनों के चलने से यात्रियों की जेब पर बड़ा असर होगा

प्राइवेट ट्रेनों के चलने से यात्रियों की जेब पर बड़ा जबरदस्त असर होगा क्योंकि किराया लगभग तीन गुना बढ़ाये जाने की योजना चल रही है। रेलवे विभाग के एक अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि सरकार और प्राइवेट ट्रेन चलाने वालों से मामला तय हो चुका है।

यूपी विधानसभा चुनाव के बाद सरकार इस योजना की शुरूआत करने की तैयारी में है

2022 में यूपी के विधानसभा चुनाव के पश्चात सरकार अपनी इस योजना को मूर्तरूप देने की तैयारी में है। इसके अलावा रेलवे बोर्ड ने मार्च 2020 से ही चुपके चुपके सीनियर सिटीजन को रेल विभाग द्वारा यात्रा के समय किराये में दी जाने वाली छूट को खत्म कर दिया है। ऐसा रेल मंत्रालय के निर्देश पर किये जाने की बात रेलवे के अधिकारी बताते है। कोविड संक्रमण काल से ही दिव्यांग जनों को सभी ट्रेनों में यात्रा किराया में दी जाने वाली छूट को खत्म कर अब कुछ ट्रेनों में ही दिव्यांग जनों के साथ कैंसर पीड़ित मरीजों को यह सुविधा मिल सकेगी।

स्टेशन पर खड़ी ट्रेन की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

मिली जानकारी के मुताबित रेलवे को अधिक फायदा देने वाली ट्रेनों का प्राइवेटाईजेशन करने के अलावा कम आमदनी वाली ट्रेनों को सरकार रेल मंत्रालय के माध्यम से संचालित करने की योजना में है। केन्द्र सरकार की इस नीति से पूर्वांचल के वाराणसी जौनपुर सुल्तानपुर डिवीजन के यात्रियों की यात्रा जहां बुरी तरह से प्रभावित होगी वहीं पर आर्थिक रूप क्षति पहुंचने की प्रबल संभावना जताई जा रही है।

Divyanshu Rao

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