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Kanpur Crime News: अंतराष्ट्रीय कालसेंटर की आड़ में ठगी का खेल, पुलिस ने चार लोगों को किया गिरफ्तार

कानपुर में काल सेंटर की आड़ में ठगी का धंधा करने वालों का आज कानपुर पुलिस ने पर्दाफाश किया है, जिसमें चोर लोगों को गिरफ्तार किया है।

Avanish Kumar
Report Avanish KumarPublished By Deepak Raj
Published on: 14 July 2021 7:59 PM IST
काल सेंटर की आड़ में ये लोग करते थे ठगी का धंधा
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काल सेंटर की आड़ में ये लोग करते थे ठगी का धंधा 

Kanpur Crime News: उत्तर प्रदेश के कानपुर में अंतराष्ट्रीय काल सेंटर की आड़ में चल रहे ठगी के बड़े नेटवर्क का पुलिस कमिश्नरेट की क्राइम ब्रांच ने खुलासा किया है। काल सेंटर के नाम पर अमेरिकी लोगों के सिस्टम और डेटा को हैक करके ठगों ने इससे करीब नौ लाख डालर की ठगी कर डाली है। पुलिस ने काल सेंटर के मैनेजर व मास्टर माइंड समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार थाना काकादेव क्षेत्र में चल रहे इस काल सेंटर को नोयडा निवासी मुनेंद्र चला रहा था।

मुनेंद्र ने पुणे विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। पिछले साल लाकडाउन में मुनेंद्र दिल्ली की एक कंपनी के संपर्क में आया और इसके बाद काकादेव में काल सेंटर की स्थापना कर डाली। अंतराष्ट्रीय कालसेंटर से लोगों की मदद की जगह ठगी का धंधा तेजी से चल रहा था।

इस प्रकार करते थे ठगी -


प्रतिकात्मक तस्वीर सोशल मीडिया से ली गई है


अंतराष्ट्रीय काल सेंटर के द्वारा वह लोगों को बिल्कुल अनोखे अंदाज में फंसाते थे। किसी भी साइट पर आने वाले विज्ञापन जैसे 10 दिन में मोटापा घटाएं, पेट कम करें, घुटनों को मजबूत करें, लंबाई बढ़ाए, झड़ने वाले बालों को रोके आदि को जैसे ही अमेरिका में बैठा कोई व्यक्ति क्लिक करता था। वैसे ही मालवेयर जो कि एक प्रकार का वायरस होता था उसके सिस्टम में आ जाता था।

बार-बार आता था पापअप मैसेज -

एक बार मालवेयर सिस्टम में जाने के बाद बार-बार पाप अप मैसेज स्क्रीन पर आता था। इसके साथ ही एक हेल्पलाइन नंबर जो कि इस कालसेंटर का होता था वह भी ब्लिंक करता था। लोग टेक सपोर्ट के लिए जब इस पर फोन करते थे वह कुछ ऐप डाउनलोड करने के लिए कहते थे। जैसे ही लोग कालर की बातों में आकर ऐप डाउनलोड करते थे वैसे ही उनका सारा डेटा यह हैक कर लेते थे।

सर्विस के नाम पर बेचते थे प्लान -

मालवेयर हटाने और सर्विस देने के नाम पर काल सेंटर द्वारा प्लान बेंचा जाता था। यह प्लान छह माह और सालभर का होता था। जब कभी सर्विस सही नहीं मिलती थी तो पैसा वापस करने के नाम पर लोगों को ठगने का खेल शुरू होता था। कालसेंटर पर आने वाली विदेशी काल को भी साफ्टवेयर से अलग अलग समय पर अलग अलग लोगों को ट्रांसफर कर दिया जाता था।



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Deepak Raj

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