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UP Elections 2022: सिराथू में दिलचस्प होती जा रही चुनावी जंग, 'बेटे'-'बहू' के पेंच में जनता की चुप्पी कर रही बेचैन

केशव मौर्य पहली बार साल 2012 में सिराथू से ही विधायक चुने गए थे। इस क्षेत्र की राजनीति में वो बीते तीन दशकों से सक्रिय हैं। यहां की राजनीति के साथ ही वो सामाजिक कार्यों में भी अहम भूमिका निभाते रहे हैं।

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Written By aman
Published on: 19 Feb 2022 7:38 AM GMT (Updated on: 19 Feb 2022 7:39 AM GMT)
keshav prasad maurya sirathu vidhan sabha pallavi patel
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keshav prasad maurya sirathu vidhan sabha pallavi patel

UP Elections 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Elections) के दौरान वो चंद सीट जिस पर सभी की नजर है, या यूं बोलचाल की भाषा में कहें तो 'हॉट सीट' (Hot Seat) उनमें से एक है सिराथू विधानसभा सीट (Sirathu assembly seat)। इस सीट की चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि यहां से यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) चुनावी मैदान में हैं। हालांकि, उत्तर प्रदेश में अभी विधानसभा चुनाव के दो चरणों के लिए ही मतदान हुए हैं। रविवार 20 फरवरी को तीसरे चरण के लिए वोटिंग होगी। लेकिन, चर्चा में अभी से सिराथू सीट हैं, जहां पांचवें चरण के तहत 27 फरवरी को मतदान होना है।

कौशांबी जिले की सिराथू विधानसभा सीट सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि प्रदेश के मौजूदा उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य यहां से चुनावी समर में किस्मत आजमा रहे हैं। लेकिन, कम ही लोगों को ये पता होगा कि यह सीट उनके लिए नया नहीं है। यहां से उनका पुराना रिश्ता रहा है। केशव मौर्य पहली बार साल 2012 में सिराथू से ही विधायक चुने गए थे। इस क्षेत्र की राजनीति में वो बीते तीन दशकों से सक्रिय हैं। यहां की राजनीति के साथ ही वो सामाजिक कार्यों में भी अहम भूमिका निभाते रहे हैं।

इस सीट पर केशव ने ही खोला था बीजेपी का खाता

अब बात सिराथू विधानसभा सीट पर इस बार के चुनावी संग्राम की। इस बार यहां चुनावी रोचकता दिखने के कयास लगाए जा रहे हैं। क्योंकि, इस सीट पर केशव प्रसाद मौर्य का सामना समाजवादी पार्टी-अपना दल गठबंधन की ओर से पल्लवी पटेल (Pallavi Patel) से हो रहा है। ये बार भी काफी चर्चा में रही है कि सपा रणनीति के तहत यहां से पल्लवी पटेल को मैदान में उतारा है। हालांकि, इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता, कि राजनीतिक कद और प्रोफाइल के नजरिए से केशव प्रसाद मौर्य काफी मजबूत दिखाई दे रहे हैं। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भी अच्छा रहा। सीएम योगी आदित्यनाथ के साथी के रूप में भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है। गौरतलब है, कि केशव प्रसाद मौर्य ही वह पहले नेता हैं, जिन्होंने इस सीट पर पहली बार भारतीय जनता पार्टी का खाता खोला था।

पल्लवी ने की सिराथू की लड़ाई दिलचस्प

वहीं, समाजवादी पार्टी गठबंधन ने केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ अपना दल कमेरावादी की उपाध्यक्ष पल्लवी पटेल को मैदान में उतारा है। पल्लवी पटेल भी यहां अपनी पार्टी, समाजवादी पार्टी और रिश्तों की दुहाई, तीनों का इस्तेमाल कर रही हैं। रिश्तों की दुहाई केशव प्रसाद मौर्य ने खुद को यहां का बेटा बताकर दी थी, जिसके बाद अब पल्लवी भी उसी राह चल चुकी हैं। केशव प्रसाद की दलील थी, कि सिराथू में ही उनका जन्म हुआ है। वो यहीं पले- बढे हैं। यहीं से उन्होंने पढ़ाई आदि की है। सिराथू रेलवे स्टेशन के बाहर वो चाय बेचा करते थे। ये उनका इमोशनल एंगल रहा है। अब पल्लवी खुद को यहां की बहू बताकर लोगों से वोट मांग रही हैं। उनका दावा है, कि उनके पति पंकज निरंजन सिराथू से कुछ दूर स्थित कौशाम्बी जिले के ही एक गांव के रहने वाले हैं। ऐसे में वो यहां की बहू हुईं।

केशव का पलड़ा भारी

जैसा की हमने बताया, केशव प्रसाद मौर्य इस विधानसभा क्षेत्र से पहले भी विधायक रह चुके हैं। इसीलिए उनके समर्थकों में एक बार फिर जोश है। दरअसल, उन्होंने क्षेत्र में अपनी मिलनसार छवि बना रखी है। वहां की जनता उन्हें सबको साथ लेकर चलने वाले नेता के रूप जानती है। ऐसे में केशव मौर्य अपनी जीत को लेकर काफी आशान्वित हैं। अन्य सीटों पर प्रचार के साथ ही वो लगातार क्षेत्र का दौरा भी कर रहे हैं।

कौन मारेगा बाजी?

सिराथू सीट पर केशव प्रसाद मौर्य को जहां बड़ा चेहरा होने का फायदा मिलता दिख रहा है। वहीं, पल्लवी जातीय समीकरणों के सहारे मैदान मारने की फिराक में हैं। पल्लवी निजी हमले से लगातार बचती नजर आ रही हैं। वो योगी सरकार पर सवाल उठाती रहती हैं। पल्लवी वोटरों को अपने पाले में करने की हर संभव कोशिश कर रही हैं। सिराथू में बीजेपी कार्यकर्ता का मानना है कि वो 'बेटे' को पहले भी जांच-परख चुकी है, तो पल्लवी पटेल का खेमा बेटे की बजाय 'बहू' को बागडोर सौंपने के लिए लोगों को मना रही है।

जनता मौन?

वैसे इस बेटे और बहू की दिलचस्प जंग में वोटर फिलहाल चुप्पी साधे है। मतदाता बहुत खुलकर कुछ नहीं बोल रहा। लेकिन दबी ज़ुबान यह ज़रूर कह रही है कि इस बार वह अपनी बेहतरी के लिए वोट करेगा। वह मुंह नहीं खोलेगा, बल्कि अपना फैसला ईवीएम के जरिए सुनाएगा।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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