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Allahabad High Court Order: जन्मतिथि निर्धारण के लिए हाईस्कूल का प्रमाणपत्र ही सर्वमान्य

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि जन्मतिथि के निर्धारण के लिए हाईस्कूल के प्रमाण पत्र को ही सर्वाधिक मान्य दस्तावेज माना जाना चाहिए।

Vijay Kumar Tiwari
Written By Vijay Kumar TiwariPublished By Shashi kant gautam
Published on: 12 Aug 2021 2:34 AM GMT
Only High School Certificate is valid for determining the date of birth
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा जन्मतिथि निर्धारण के लिए हाईस्कूल का प्रमाणपत्र ही सर्वमान्य: फोटो- सोशल मीडिया

Allahabad High Court Order: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि जन्मतिथि के निर्धारण के लिए हाईस्कूल के प्रमाण पत्र को ही सर्वाधिक मान्य दस्तावेज माना जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि यदि हाईस्कूल का प्रमाण पत्र उपलब्ध है तो आधार कार्ड, पैनकार्ड या मेडिकोलीगल जांच रिपोर्ट पर विचार करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। यह आदेश न्यायमूर्ति आरआर अग्रवाल ने मेरठ के अंकित व अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अगर आधार कार्ड, पैनकार्ड और मेडिकल जांच रिपोर्ट में आयु में भेद होने पर हाईस्कूल प्रमाण पत्र वाली जन्मतिथि को सही माना जाना चाहिए।

यह है विकल्प

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यदि हाईस्कूल प्रमाण पत्र में दर्ज जन्म तिथि पर कोई आपत्ति की गई है और उसके विश्वसनीयता पर सवाल उठाया गया है तो स्थानीय निकाय द्वारा जारी जारी किया गया दस्तावेज मान्य होगा। इसके न होने पर ही मेडिकल जांच रिपोर्ट स्वीकार की जा सकती है। कोर्ट ने आधार कार्ड, पैनकार्ड में दर्ज जन्म तिथि को आयु निर्धारण के लिए वास्तविक दस्तावेज नहीं माना है।

मामले में कोर्ट ने कहा कि अगर आधार कार्ड, पैन कार्ड व मेडिकल जांच रिपोर्ट में आयु भिन्न होने से हाईस्कूल प्रमाणपत्र और याची की मां के बयान पर अविश्वास नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की शादी के समय नाबालिग होने के कारण संरक्षण देने से इनकार कर दिया है और याचिका भी खारिज कर दी है।

शादी के मामले में फैसला

इस मामले में लड़की की मां को अधिवक्ता संदीप शुक्ल ने कोर्ट की अनुमति के बाद पेश कराया था। मामले में याची का कहना था कि आधार कार्ड व पैन कार्ड में दर्ज जन्मतिथि से वह व उसके पति दोनों बालिग हैं और दोनों की शादी मान्य होनी चाहिए। साथ ही कहा कि संविधान के जीवन की स्वतंत्रता के मूल अधिकार के तहत किसी को उनके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है। इसलिए घर वालों को बेवजह हस्तक्षेप करने से रोका जाना चाहिए।

आपको बता दें कि मामले में लड़की की मां ने एफआईआर दर्ज कराकर नाबालिग लड़की का अपहरण करने का आरोप लगाया था। लड़की की मां के अधिवक्ता संदीप शुक्ल का कहना था कि लड़के के खिलाफ विभिन्न थानों में गैंगस्टर एक्ट सहित चार आपराधिक केस भी दर्ज हैं। वह आपराधिक प्रकृति का व्यक्ति है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसलों व कानून से स्पष्ट है कि जब हाईस्कूल प्रमाणपत्र है तो जन्मतिथि निर्धारित करने के लिए अन्य किसी दस्तावेज को स्वीकार नहीं किया जाएगा। याची ने हाईस्कूल प्रमाणपत्र पर दर्ज जन्मतिथि पर कोई आपत्ति नहीं की है।

Shashi kant gautam

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