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Navratri Special: प्रयागराज शक्तिपीठ कल्याणी देवी मंदिर, यहीं गिरी थी सती की उंगली, जानें क्या है महत्व

Navratri Special: देश की 51 शक्तिपीठों में एक है प्रयागराज का कल्याणी देवी मंदिर। मान्यता ये है कि भगवान शिव की अर्धांगिनी सती की उंगली का हिस्सा इसी जगह गिरा था।

Syed Raza
Report Syed RazaPublished By Chitra Singh
Published on: 12 Oct 2021 6:36 AM GMT
Prayagraj Shakti Peeth Kalyani Devi Mandir
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कल्याणी देवी मंदिर (फोटो- न्यूज ट्रैक) 

Navratri Special: प्रयागराज शक्तिपीठ कल्याणी देवी मंदिर (Prayagraj Shakti Peeth Kalyani Devi Mandir) 51 शक्तिपीठ में से एक है प्रयागराज का कल्याणी देवी मंदिर, मान्यता ये है कि भगवान शिव की अर्धांगिनी सती की उंगली का हिस्सा इसी जगह गिरा था, नवरात्र में उमड़ता है भक्तों का सैलाब, मंदिर परिसर में स्थित है मनोकामना कुंड, यहां होती है श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी।

देश की इक्यावन शक्तिपीठों में एक है प्रयागराज का कल्याणी देवी मंदिर। त्रिपुर सुन्दरी रूप में विराजमान देवी की इस महाशक्तिपीठ में आस्था का मेला हमेशा लगा रहता है। नवरात्र के चलते सोने-चांदी के गहनों व फूलों की पंखुडियों से देवी का भव्य व मनोहारी श्रृंगार किया गया है। इस मंदिर की एक विशेषता ये है की मंदिर परिसर में ही एक कुंड भी है, जिसकी मान्यता ये है की जो भी श्रद्धालु इस मनोकामना कुंड में मातारानी से सच्चे ह्रदय से मांगता है उसकी मुराद ज़रूर पूरी होती है। देवी के दर्शन-पूजन के लिए शक्ति पीठ में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं।

तकरीबन 1500 साल पुरानी है मां की मूर्ति

प्रयागराज स्थित कल्याणी देवी मंदिर का पुराणों और धर्मशास्त्रों में उल्लेख है कि सृष्टि कल्याण के देवता भगवान शिव की अर्धांगिनी सती की उंगली का हिस्सा तीर्थराज में इसी जगह गिरा था, जिसके चलते कल्याणी देवी को महाशक्ति पीठ का दर्जा हासिल है। इस शक्तिपीठ में त्रिपुर सुन्दरी रूप में विराजमान माँ को राज राजेश्वरी स्वरुप में पूजा जाता है। महाशक्तिपीठ में स्थापित अष्टधातुओं से बनी माँ कि मूर्ति तकरीबन 1500 साल पुरानी है।

Kalyani Devi (Photo- News Track)

शहर के सबसे पुराने मोहल्ले कल्याणी देवी में स्थित इस महाशक्तिपीठ मे नवरात्र के अवसर पर शक्तिपीठ के आस-पास भक्ति का भावपूर्ण माहौल रहता है। माँ का भव्य श्रृंगार करने के लिए दूर-दूर से श्रृंगारी आते हैं और फिर मूल्यवान वस्तुओं और फूलों की पंखुडियों के साथ ही सोने-चांदी के गहनों से अलग-अलग रूपों में माँ का मनोहारी श्रृंगार करते हैं। माँ का यहां मनोहारी और अद्भुत श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान आरती व दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं में होड़ सी मची रहती है। मंदिर परिसर में ही एक कुंड भी है जिसकी मान्यता ये है की जो भी श्रद्धालु इस मनोकामना कुंड में मातारानी से सच्चे ह्रदय से मांगता है उसकी मुराद ज़रूर पूरी होती है, महिलाएं कुंड की जाली पर मन्नत का धागा बांधती है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो उस धागे को खोल देती हैं।

कल्याणी देवी माता मंदिर में भक्तों की लगी लाइन (फोटो- न्यूज ट्रैक)

दर्शन के लिए भक्तों की लगी लंबी कतारें

धर्म और आस्था के शहर, संगम नगरी प्रयागराज में महाशक्तिपीठ कल्याणी के दरबार में भक्तों की भीड़ माँ के उस विराट और भव्य श्रृंगार के दर्शन के लिए उमड़ी हुई है। हर किसी की जुबां पर बस एक ही नाम है- जयकारा माँ शेरावाली का। माँ का आशीष पाने के लिए यहाँ भक्तों की लम्बी कतारें लगी हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक है। श्रद्धालु हाथ जोड़कर माँ के सामने झोली फैलाए हुए हैं। हर किसी को यकीन है कि माँ उनकी हर मुराद अवश्य पूरी करेंगी। श्रद्धालु यहां आकर के माता रानी के दर्शन तो कर ही रहे हैं साथ ही साथ यह भी प्रार्थना कर रहे हैं कि कोरोनावायरस से देश दुनिया के लोगों को जल्दी मुक्ति मिले।

यहाँ दूर-दराज से हजारों लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर लाल रंग के कपड़े में लिपटे निशान को चढ़ाने के लिए गाजे-बाजे के साथ आ रहे हैं। इसे माँ के प्रति भक्तों की आभार पूजा के रूप में भी माना जाता है। माँ कल्याणी के दरबार में कई धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन हो रहे हैं जो नवरात्र में माँ की भव्यता में चार चाँद लगा देते हैं।

Chitra Singh

Chitra Singh

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