Prayagraj Magh Mela: माघ मेले में 'कल्पवासी खरगोश' बने आकर्षण का केंद्र, श्रद्धालु व साधु-संतों के साथ कर रहे कल्पवास

Prayagraj Magh Mela: चित्रकूट (Chitrakoot) के एक आश्रम में रहने वाले यह खरगोश (Rabit) अपने आश्रम के साधु-संतों के साथ प्रयागराज में लगे माघ मेले (Magh mela) के शिविर में इन दिनों कल्पवास (Kalpvas) करते दिखाई दे रहे हैं।

Syed Raza
Report Syed RazaPublished By Ragini Sinha
Published on: 24 Jan 2022 7:41 AM GMT
Prayagraj Magh Mela
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Prayagraj Magh Mela : माघ मेले में ‘कल्पवासी खरगोश’ बने आकर्षण का केंद्र 

Prayagraj Magh Mela : देश के सबसे बड़े धार्मिक मेले माघ मेले (Magh Mela) में इन दिनों श्रद्धालुओं और साधु संतों का कल्पवास (Kalpvas) चल रहा है। इसी कड़ी में इस बार मेला क्षेत्र से खास तस्वीर देखने को मिल रही है। या कहें कि एक खास कल्पवासी कल्पवास करते हैं दिखाई दे रहे हैं।

आपको बता दे कि खास कल्पवासी खरगोश (Kalpavasi Rabbit ) है जो पौष पूर्णिमा स्नान पर्व (Paush Purnima bath festival) के साथ ही साधु संतों और श्रद्धालुओं (devotees) के साथ कल्पवास करते दिखाई दे रहे हैं।


चित्रकूट (Chitrakoot) के एक आश्रम में रहने वाले यह सभी खरगोश (Rabit) अपने आश्रम के साधु-संतों के साथ प्रयागराज (prayagraj) में लगे माघ मेले (Magh mela) के शिविर में इन दिनों कल्पवास (Kalpvas) करते दिखाई दे रहे हैं। खास बात यह है कि कल्पवासियों की तरह ही यह भी अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। दो समय इनको गंगा स्नान कराया जाता है, माथे पर चंदन तिलक लगाया जाता है साथ ही साथ सात्विक भोजन दिया जाता है।


आश्रम की महंत योगाचार्य राधिका वैष्णव (Ashram Mahant Yogacharya Radhika Vaishnav) ने बताया कि उनके गुरु कपिल देव महाराज जी की मृत्यु पिछले साल कोरोना काल (Corona Virus) के दौरान एक बीमारी से पीड़ित हो करके हो गई थी । महाराज कपिल देव जी को पशुओं से बहुत प्रेम था और उनकी इस प्रथा को आगे बढ़ाने के लिए खरगोश के साथ-साथ अन्य जंतुओं को भी चित्रकूट के आश्रम में पाल रखा है।


हालांकि, इस बार के माघ मेले में वो अपने शिविर में 20 से अधिक खरगोशों को लेकर आए है और आम श्रद्धालुओं ,साधु संतों की तरह उनको भी कल्पवास कराया जा रहा।


दिन भर उनके शिविर में कल्पवासी खरगोशों को देखने के लिए लोगो की भीड़ भी जमा रहती है। कोई हाथों से खाना खिलाता है तो कोई अपनी गोद में लिए खरगोश को सहलाता हुआ दिखाई देता है । अलग अलग जनपदों से आए कल्पवासी श्रद्धालुओं का कहना है कि उनको यह देख कर के बेहद खुशी हो रही है , क्योंकि ऐसी तस्वीर उन्होंने अब तक की जिंदगी में कभी नहीं देखी है बच्चे हो या फिर बुजुर्ग सभी लोग इन खरगोशों के साथ खेलते हुए नजर आते हैं


शिविर की महंत योगाचार्य राधिका वैष्णव जी का कहना है कि इन खरगोशों को सबसे ज्यादा लगाव उनके गुरु जी कपिल देव महाराज जी के साथ रहा है। इसी वजह से यह सभी खरगोश उनकी तस्वीर के सामने दिन भर खेलते रहते हैं। किसी भी श्रद्धालु को ना तो यह काटते हैं और ना ही पंजे से नोचते हैं। इन खरगोशों को स्वास्तिक भोजन तो दिया ही जाता है साथ ही साथ इनको खाने में मंचूरियन, मैगी ,चौमिन, और मोमोस काफी पसंद है। इन खरगोशों का कल्पवास माघी पूर्णिमा के बाद आने वाला त्रिजटा स्नान के साथ खत्म होगा और यह सभी खरगोश त्रिजटा स्नान करने के बाद ही चित्रकूट के लिए रवाना होंगे।


गौरतलब है कि संगम के तट पर अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं और इसी कड़ी में माघ मेले से सामने आई है तस्वीर बहुत कुछ बयां कर रही है। शिविर का जायजा लिया हमारे संवाददाता सैय्यद आकिब रज़ा ने।

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