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Magh Mela 2022: मानवता की मिसाल 'ओम नमः शिवाय' का शिविर, हर रोज लाखों श्रद्धालुओं को खिलाया जाता है खाना

Magh Mela 2022: प्रयागराज के संगम तट पर बीते 14 जनवरी से लगे माघ मेले में हर रोज लाखों की संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आ रहे हैं। यहां "ओम नमः शिवाय" का शिविर में हर रोज लाखों श्रद्धालुओं को खाना खिलाया जाता है।

Syed Raza
Report Syed RazaPublished By Shashi kant gautam
Published on: 30 Jan 2022 2:56 PM IST (Updated on: 30 Jan 2022 3:46 PM IST)
Magh Mela 2022: The camp of Om Namah Shivay became an example of humanity, food is fed to lakhs of devotees every day
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माघ मेला 2022: 'ओम नमः शिवाय' शिविर

Prayagraj News: प्रयागराज (Prayagraj) के संगम तट पर बीते 14 जनवरी (14 January) से हर दिन आस्था का जनसैलाब देखने को मिल रहा है। संगम क्षेत्र में लगे माघ मेले में हर रोज लाखों की संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने आ रहे हैं। इस बार का माघ मेला 47 दिनों का है और कहा जा रहा है कि माघ मेले में हर दिन जो भी व्यक्ति आस्था की डुबकी लगाने संगम क्षेत्र आता है उसकी हर मान्यता पूरी होती हैं। इसी कड़ी में मेला क्षेत्र में एक शिविर ऐस भी है जो पिछले 40 सालों से 24 घंटा भोजन के भंडारे की व्यवस्था में लगा हुआ है।

हर रोज लाखों श्रद्धालुओं का पांव धोकर, चंदन लगाकर और आरती उतारकर खाना खिलाया जाता है

"ओम नमः शिवाय" (OM Namah Shivaya) नाम की यह संस्था हर साल लगने वाले माघ मेले और कुंभ मेले में श्रद्धालुओं को नि:शुल्क भोजन देने की परंपरा को आगे बढ़ाता हुआ आ रहा है। मेला क्षेत्र में पांच शिविर बनाए गए हैं, जहां पर हर रोज ढाई से तीन लाख श्रद्धालु खाना खाने के लिए आते हैं। इस बार जो भी श्रद्धालु शिविर में भोजन खाने के लिए आता है उसका सबसे पहले पांव धोया जाता है, माथे पर तिलक लगाया जाता है और आरती करने के बाद ही भोजन दिया जाता है।


अमीर-गरीब सब एक ही जगह इकट्ठा होकर के खाते हैं खाना

चाहे अमीर हो या फिर गरीब, हिंदू हो या मुसलमान या कोई अन्य जाति का हो। इसी तरह से ही संस्था के लोग आवभगत करते हैं और भरपेट खाना खिलाने के बाद ही वहां से जाते हैं।हर दिन अलग-अलग पकवान तैयार किए जाते हैं, जिसमें दाल, दम आलू, कढ़ी, पूड़ी-सब्जी, खीर-पूड़ी, तहरी, सब्जी-रोटी, हलुआ-पूड़ी आदि शामिल है।



सुबह श्रद्धालुओं के लिए नाश्ते का आयोजन किया जाता है। दोपहर से रात तक भोजन का आयोजन किया जाता है. एक बार में कई हजार श्रद्धालुओं के लिए खाना बनाया जाता है. इसके लिए बड़े-बड़े कड़ाव का इंतजाम किया गया है। एक कड़ावा में 10 से 12 हजार लोगों के लिए सब्जी तैयार किया जाता है. इसके साथ ही अलग-अलग खाने की सामग्री भी तैयार की जाती है।


1 दिन में ढाई से तीन लाख श्रद्धालु खाते हैं खाना बड़ी-बड़ी कढ़ावा और डेड बने हैं आकर्षण का केंद्र

ॐ नमः शिवाय महाराज का कहना है कि ॐ नमः शिवाय हर हफ्ते लखनऊ, कानपुर और प्रयागराज में साल भर तक धार्मिक शिविर या कहे कि समागम का आयोजन होता है और समागम में आने वाले भक्त साल भर तक अनाज दान करते हैं और वही अनाज साल भर में इतना हो जाता है कि माघ मेले में भंडारे का आयोजन किया जा सके। पूरे साल भर भंडारे के लिए अनाज को स्टोर किया जाता है और माघ या कुम्भ के समय विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।


संस्था के संयोजक या कहे कि बड़े गुरु का कहना है की हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य है कि माघ मेले में न ही कोई भूखा जाने पाए और न ही कोई श्रद्धालु भूख की वजह से रोने पाए. इसी संकल्प के साथ माघ मेले में भंडारे का आयोजन 24 घंटे किया जाता है।


बीते 40 सालों से चली आ रही है यह परंपरा जाने और क्या रहता है विशेष

आस्था की डुबकी लगाने के बाद देश के कोने कोने से आए लोग जब भंडारे के भोजन की जमकर तारीफ कर रहे हैं श्रद्धालुओं कहना है कि इतना सम्मान देकर के भोजन की खिलाना एक बड़ी बात है । खास बात यह भी है कि जो लोग को बैठने में तकलीफ है या फिर किसी वजह से वह जमीन पर नहीं बैठ सकते तो उनके लिए कुर्सी और टेबल की भी व्यवस्था की गई है ।


डॉक्टर, प्रोफेसर, पीसीएस अधिकारी सभी कर रहे सेवा

पांच जगह चल रहे इस भव्य भंडारे में 400 से अधिक शिष्य श्रद्धा भाव से कार्य कर दिन भर लाखों लोगों की भूख मिटाने का काम कर रहे हैं । खास बात यह है कि संस्था में जुड़े सभी लोग बड़े-बड़े पदों पर नौकरी कर रहे हैं और इस आयोजन के लिए विशेष तौर पर वह छुट्टी लेकर के गरीबों की सेवा में जुटे हुए हैं। कोई डॉक्टर है, तो कोई प्रोफेसर है, तो कोई पीसीएस अधिकारी। यह सभी लोग निशुल्क संस्था की सेवा में लगे रहते हैं । साथ ही साथ अन्य जिलों से छात्र-छात्राएं भी सेवा में जुटी रहती हैं और यह सभी लोग पीले रंग की पगड़ी पहने हुए शिविर में दिखाई देते हैं।

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