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Prayagraj Magh Mela : आस्था की डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं को आखिर क्यों रहता है 'राम नाम बैंक' में जमावड़ा, जानें वजह
Prayagraj Magh Mela : प्रयागराज के माघ मेले में इन दिनों आस्था का जनसैलाब उमड़ा हुआ है। ऐसे में राम नाम बैंक श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
Prayagraj Magh Mela : श्रीलंका में राम के निशान मिलने और उसमें पुरातत्व विभाग की मुहर लगाने के बाद रामनाम का प्रसार करने लिए हर बार की तरह इस बार भी माघ मेले में राम नाम बैंक स्थापित है। आस्था के इस बैंक में अकाउंट खोलने के लिए किसी पैसे, रुपयों या फिर किसी गारंटर की जरुरत नहीं होती है, जरुरत है तो बस आपके अन्दर राम नाम की आस्था की।
इसके अकाउंट होल्डर बनने के लिए आपको राम नाम बैंक द्वारा जारी किये गए कोरे कागज़ के पन्नो पर सवा लाख राम के नाम एक महीने के अन्दर लाल रंग की स्याही से लिखकर जमा करना है।
इस बार के राम नाम बैंक में कोरोना गाइडलाइन का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है, जो भी श्रद्धालु या खाताधरक यहां आता है उसके चेहरे पर मास्क होना जरूरी है । जिन खाताधारकों के पास मास्क नहीं है, उनको बैंक निशुल्क मास्क वितरण करता है। हर शाम राम नाम बैंक के कर्मचारी और श्रद्धालु मिलकर हवन पूजा भी करते हैं और देश में कोरोना काल जल्द से जल्द खत्म हो साथ हो इसकी प्रार्थना भी करते हैं।
आपको बता दें कि तकरीबन दो दशक पहले 51 राम नामी शेयर होल्डर्स द्वारा शुरू किये गए इस बैंक में अब तक 6 लाख से ज्यादा खाताधारी बन चुके हैं। साथ ही इस बैंक की पूंजी भी अरबो का आंकड़ा पार कर चुकी है। आज के राष्ट्रीय और निजी बैंको की तरह आस्था के इस बैंक में भी सभी धर्मों के लोग खाता धारक हैं। राम नाम बैंक अब डिजिटल हो गया है। गूगल प्ले स्टोर से भी इसे डाउनलोड कर सकते हैं।
प्रयागराज के माघ मेले में इन दिनों आस्था का जनसैलाब उमड़ा हुआ है। ऐसे में राम नाम बैंक श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है । कल्पवासी, साधु संत , आम श्रद्धालु सभी लोग इस बैंक में अपनी हाज़री लगाने आते हैं। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के बाद राम का नाम लिखता है उसकी सभी मान्यताएं पूरी होती हैं और लाभ भी दुगना मिलता है।
हर खाता धारक की पूंजी जो देश की मुद्रा रुपिया या बोंड न होकर भगवान राम के नाम से भरी हुई पुस्तिकाएं है, जिन्हें इन्होंने हर रोज पूरे मनोयोग से पूरी आस्था के साथ लिखकर पूरा किया है। सहकारिता के सिद्धांत पर स्थापित इस बैंक के पास बुक निशुल्क दी जाती है, जिसमें शुद्ध होकर पवित्र मन से इसी पुस्तिका पर राम का नाम तब तक लिखा जाता है, जब तक पुस्तिका भर ना जाए। बैंक को भी अब डिजिटल कर दिया गया है।
मैनेजर आशुतोष वार्ष्णेय बताते है श्रद्धालु ऑमिक्रॉन के साथ-साथ कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए यहां विशेष हवन करते हैं। खाताधारक कहते हैं कि इस बैंक से जुड़कर वह जीवन में सुख शान्ति और सम्रद्धि हासिल कर रहे हैं। करीब 5 साल से जुड़ी रंजना सिंह का कहना है कि जब से वह राम नाम बैंक में जुड़ी हैं, उनकी हर समस्या दूर हो गई हैं । 20 साल से जुड़ी उपमा अग्रवाल का कहना है कि अब तक उन्होंने जो भी मान्यत मांगी थी वह सब पूर्ण हुई है।
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