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प्रयागराज के नारायण लोगों के लिए बने मिसाल, कहानी पढ़कर आप भी हो जाएंगे हैरान

प्रयागराज के एक ऐसा शिक्षक नारायण यादव लोगों के लिए समाज में एक मिसाल बन गये है। नारायण जो की खुद दोनों हाथ एक हादसे में खो देने के बाद अपने हौसले और साहस से पढ़-लिखकर दिव्यांगों के विद्यालय में शिक्षक बने हैं।

Syed Raza
Report Syed RazaPublished By Deepak Kumar
Published on: 5 Sep 2021 8:09 AM GMT (Updated on: 5 Sep 2021 9:39 AM GMT)
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शिक्षक नारायण यादव।  

टीचर्स डे स्पेशल: आज हम आपको एक ऐसे शख्स से रूबरू कराने जा रहे है जो अपने हौसले और जज्बे की वजह से शिक्षा जगत में बेमिसाल बन गए है। प्रयागराज में दिव्यांग और सामान्य बच्चों को शिक्षित करने वाले शिक्षक नारायण लोगों के लिए समाज में एक मिसाल बन गये है। नारायण जो की खुद दोनों हाथ न होने से विकलांग है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने अपना धैर्य और साहस नहीं खोया और अपनी इस कमजोरी को उन्होंने अपनी ताकत बना ली और आज वो पढ़-लिखकर दिव्यांगों के विद्यालय में शिक्षक है। दोनों हाथ न होने पर भी वो बच्चों को बोर्ड पर लिख कर पढ़ा रहे और वो सारी चीजें करते है, जो एक शारीरिक तौर पर सक्षम इंसान कर सकता है। नारायण दिन में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाते हैं जबकि हर रोज शाम 4:00 बजे से एक कोचिंग इंस्टिट्यूट में भी निशुल्क प्रतियोगी छात्रों को शिक्षा देते हैं।


कहते हैं विकलांगता अभिशाप होती है, लेकिन अगर बुलंद हौसलों के साथ कोई काम किया जाए तो शारीरिक कमजोरी कभी मंजिल तक पहुंचने में रुकावट नहीं हो सकती। यह बात प्रयागराज के एक पढ़ाने वाले शिक्षक नारायण यादव पर पूरी तरह फिट बैठती है। शिक्षक नारायण यादव के दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद वह न सिर्फ आम शिक्षकों की तरह बच्चों को पढ़ा रहे हैं, बल्कि मानसिक रूप से कमजोर उन बच्चों में भी शिक्षा की अलख जगा रहे हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं।

दोनों हाथों से विकलांग ये अनूठे टीचर दूसरे शिक्षकों की तरह तेजी से ब्लैकबोर्ड पर लिखते हैं। बच्चों की कापियां जांचते हैं। संगीत के वाद्य यंत्रों को बजाकर अपने छात्रों का मनोरंजन करते हैं तो साथ ही उनके बीच आउटडोर गेम्स खेलकर उन्हें फिट रहने का भी संदेश देते हैं। अपने हौसले और जज्बे की वजह से शिक्षा जगत में बेमिसाल बने नारायण यादव मूल रूप से यूपी के मऊ जिले के रहने वाले हैं।

करंट लगाने की वजह से काटे हाथ

1990 में जब वह छठी क्लास में पढ़ते थे, तब उन्हें बिजली का जबरदस्त करंट लगा। डॉक्टर्स ने उनकी जिंदगी बचाने के लिए दोनों हाथों को काटा जाना जरूरी बताया। नारायण की जिंदगी बचाने के लिए परिवार वालों ने उनके दोनों हाथ कटवा दिए। शुरुआती कुछ दिन तो वह काफी परेशान रहे, लेकिन कुछ दिनों बाद ही उन्होंने अपनी कमजोरी को ताकत बनाने का फैसला किया।

उन्होंने ग्रेजुएशन करने के बाद स्पेशल बीएड, एमए व एलएलबी समेत कई डिग्रियां हासिल कीं। अपनी काबिलियत के भरोसे उन्हें बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी मिल गई और वह बांदा जिले में शिक्षक बन गए। दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद वह जब बच्चों को दूसरे आम शिक्षकों की तरह पढ़ाते है, तो लोग उन्हें देखकर हैरान रह जाते है। हाथ के बिना भी वह तेजी से ब्लैक बोर्ड पर लिखते है। बच्चों की कापियां जांचते है। किताबों के पन्ने पलटते हैं और रिपोर्ट कार्ड तैयार करने समेत दूसरे काम भी करते हैं।

प्रतापगढ़ के दिव्यांगों के विद्यालय में पढ़ा रहे नारायण

इस बीच यूपी सरकार ने मानसिक रूप से कमजोर गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए सूबे में लखनऊ और प्रयागराज दो जगहों पर सरकारी आवासीय विद्यालय खोले तो शिक्षक नारायण यादव ने अपना तबादला यहीं करा लिया। हालांकि अभी वो प्रतापगढ़ के एक दिव्यांगों के विद्यालय में पढ़ा रहे है, जबकि शाम 4 बजे से हर रोज एक कोचिंग संस्थान में निशुल्क प्रतियोगी छात्रों को भी शिक्षा देते है। नारायण यादव अपनी तमाम खूबियों की वजह से स्टूडेंट्स और टीचर्स के साथ ही समाज में भी खासे लोकप्रिय हैं। उन्हें अब तक तमाम संस्थाएं सम्मानित भी कर चुकी हैं। इतना ही नहीं वह सच्चे समाजसेवी भी हैं।

वहीं, नारायण के दोस्त और सागर एकेडमी के निदेशक ओम प्रकाश शुक्ला भी उनके मुरीद है जो कहना है कि श्रृंगार यादव हर रोज उनकी कोचिंग में आकर के निशुल्क प्रतियोगी छात्रों को शिक्षा देते हैं, हालांकि छात्र भी उनके पढ़ाने के तरीके के मुरीद हैं और वह भी उनकी जमकर सराहना करते हैं।

Deepak Kumar

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