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Sanjay Chaudhary: कौन हैं संजय चौधरी, जीवन परिचय, जिसने पंचायत चुनाव में जीत से बदल दिया भाजपा का इतिहास
Sanjay Chaudhary: बस्ती के इतिहास में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर पहली बार भाजपा का कब्जा हुआ है।
Sanjay Chaudhary: बस्ती के इतिहास में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर पहली बार भाजपा का कब्जा हुआ है। भाजपा उम्मीदवार संजय चौधरी जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाने में सफल रहे। जनपद के गौरा गांव निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय राम आसरे के नाती संजय चौधरी ने जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पाते ही न्यूज़ट्रैक से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि मैं किसान का लड़का हूं, मैं बहुत ही गरीब परिवार से था।
बस्ती जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीतने वाले संजय सिंह कौन है Sanjay Choudhary Biography), उनकी उम्र, शिक्षा (Sanjay Choudhary Education), परिवारिक पृष्ठभूमि (Sanjay Choudhary Family) क्या है। संजय सिंह किस पार्टी (Sanjay Choudhary Kis Party Ke hai) के हैं, उनका राजनीतिक सफर और संजय सिंह से जुड़े विवाद इन सब के बारें में Newstrack आपको बताने जा रहा है।
संजय चौधरी का जीवन परिचय
दरअसल, संजय चौधरी बस्ती के रहने वाले हैं। उनका जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। इसके चलते उनके सामने बड़ी दिक्कतें थीं।
गरीबी की वजह से नहीं पूरी कर पाए पढ़ाई
बस्ती जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी हाई स्कूल फेल हैं। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से वह आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। व्यवसाय के बारे में बात करने पर उन्होंने कहा कि उनके पास कोई व्यवसाय नहीं है। वह किसान के परिवार से हैं और किसानी करते हैं।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाती हैं संजय चौधरी
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार से संबंध रखते हैं। उनके नाना स्व. राम आसरे चौधरी ने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया था। संजय सिंह को बचपन में ही अपने नाना के आदर्शों से जनता की सेवा करने की सीख मिली। संजय चौधरी ने बताया कि जहां उन्हें समझ में नहीं आता था, तो वह नाना जी से पूछते और जनहित के मुद्दों को लेकर अधिकारियों से लड़ते थे। नाना के बताए रास्तों पर चलते चलते बचपन से ही संजय के मन में ये इच्छा घर कर गई कि मैं लोगों की सेवा करूंगा।
संजय चौधरी का राजनीतिक करियर
भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी राजनीति में आने से पहले आरएसएस से जुड़े थे और लोगों को आरएसएस के नियमों के प्रति जागरुक करते थे। संजय ने साल 1991 में बीजेपी ज्वाइन किया। उन्होंने कहा, संघ रास्तों पर काम करते हुए सुबह उठकर हम लोग कटेश्वर पार्क के पास बच्चों को और क्षेत्रीय जनता को आरएसएस द्वारा बताए गए नियमों को सिखाते थे। उन्होंने बताया कि मेरी मेहनत देखकर बीजेपी ने वर्ष 1996 में रामनगर विधानसभा से प्रत्याशी बनाया, लेकिन हम चुनाव हार गए।
साल 1996 में पहली बार रामनगर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने के बार हार का सामना किया, हालांकि साल 2007 में उन्हे भाजपा ने दोबारा रामनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका दिया। भाजपा के टिकट से उन्होने फिर चुनाव लड़ा लेकिन इस बार भी हार गए। इसके बाद संजय चौधरी दो बार जिला उपाध्यक्ष भी रहे हैं। दो बार प्रांतीय परिषद सदस्य भी रह चुके हैं। वर्तमान में प्रांतीय क्षेत्रीय उपाध्याय गोरखपुर हैं।
2021 में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़े
संजय सिंह को साल 2000 में कॉपरेटिव बैंक का चेयरमैन बनाया गया। साल 2021 में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़े और चुनाव जीते। संजय चौधरी के मुताबिक, भाजपा ने मेरे ऊपर विश्वास किया और जिला पंचायत अध्यक्ष का टिकट दिया और हम चुनाव जीत गए।
संजय चौधरी से जुड़ा विवाद
विधानसभा चुनाव 2017 में रुधौली विधानसभा से संजय चौधरी टिकट मांग रहे थे, लेकिन टिकट इन्हें न देकर संजय जायसवाल को दिया गया था। इसको लेकर बीजेपी के नेताओं में भी नाराजगी देखी गई थी। हालांकि भाजपा के शीर्ष नेताओं ने फिर कार्यकर्ता पर विश्वास जताया और जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए संजय चौधरी को पार्टी का उम्मीदवार बनाया।
विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से खफा होने के बाद संजय ने सांसद हरीश द्विवेदी को खूब खरी खोटी सुनाई थी। बाद में मामला मैनेज हो गया और सांसद हरीश द्विवेदी और संजय चौधरी एक हो गए। लेकिन एक बार फिर संजय उस समय चर्चा में आ गए, जब उन्होने अपने शपथ ग्रहण समारोह में संविधान को ही श्रद्घांजलि दे डाली।
वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। उन्होंने कहा, 'मैं संजय चौधरी, जो अध्यक्ष जिलापंचायत बस्ती निर्वाचित हुआ हूं। ईश्वर की शपथ लेता हूं कि सत्य निष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि निष्ठा रखूंगा।'
आपराधिक मामले
जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी के आपराधिक मामलों की बात करें तो खुद उनका कहना है कि उनके ऊपर कोई मुकदमा नहीं है, जनता की समस्याओं को लेकर धरने पर बैठे थे, यही मुकदमा चल रहा है।