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UP Election 2022: संतकबीर नगर में किन्नरों का लोकतंत्र से मोह हुआ भंग, बस इतनों ने मतदान में लिया भाग
UP Election 2022: संत कबीर नगर में किन्नरों ने मतदान से दूरी बनाई रखी। जिले के कुल 49 किन्नर मतदाताओं में से मात्र 2 ने ही मतदान में हिस्सा लिया। जिसमें मेहदावल के ही 2 किन्नरों ने वोट दिया है।
Sant Kabir Nagar: लोकतंत्र भारतीय संविधान का स्वर्णिम आभूषण होता है। समाज के हर तबके को लोकतंत्र में बराबर का अधिकार मिला है। चुनाव कोई भी हो समाज का हर तबका अपने मत के अनुसार अपने मुद्दे या हितों की रक्षा के लिए लोकतंत्र का हिस्सा बनता है। फिर चाहे वो पुरुष हो, महिला हो अथवा किन्नर समुदाय हो।
सामान्य रूप से पुरुष प्रधान इस समाज में जब महिलाएं लोकतंत्र के स्वरूप को मजबूत बनाने के लिए आगे बढ़ती हैं तो समाज के प्रति उनकी जागरूकता को देख लोगों में पुरुष की प्रधानता को चुनौती नजर आती है, लेकिन जब समाज का उपेक्षित किन्नर समुदाय (transgender community) लोकतंत्र से दूर भागता है तो यह लोकतंत्र को मजबूत बनाने का दावा करने वाले राजनैतिक दलों की समानता की विचारधारा के मुखौटे को उजागर करता है।
2 किन्नरों ने किया अपने मताधिकार का प्रयोग
ऐसा नजारा इस विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में संत कबीर नगर जिले (Sant Kabir Nagar District) में देखने को मिला। जिले के 13,01,284 मतदाताओं में से सर्वाधिक 3,72,906 महिलाओं ने मतदान किया। जबकि 3,34,024 पुरुष मतदाताओं ने ही वोट डाला। वहीं, जिले में कुल 49 किन्नर मतदाताओं में से मात्र 2 ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
मेहदावल विधानसभा (Mehdawal Assembly) में 1,10,695 पुरुष मतदाताओं के सापेक्ष 1,30,571 महिला मतदाताओं ने वोट डाला। खलीलाबाद सदर विधानसभा (Khalilabad Sadar Assembly) में 1,20,581 पुरुष मतदाताओं के सापेक्ष 1,28,328 महिला मतदाताओं ने मतदान किया। धनघटा विधानसभा (Dhanghata Assembly) में 1,02,828 पुरुष मतदाताओं के अनुपात में 1,13,715 महिलाओं ने लोकतंत्र के महापर्व में अपने मत की आहुति दिया।
किन्नरों की मतदान से दूरी
मजे की बात यह है कि जिले के कुल 49 किन्नर मतदाताओं में से मात्र 2 ने ही मतदान में हिस्सा लिया। जिसमें मेहदावल (Mehdawal Assembly) के कुल 31 किन्नर मतदाताओं में से 2 ने ही मतदान किया। खलीलाबाद (Khalilabad Sadar Assembly) के 1 और धनघटा (Dhanghata Assembly) के 17 किन्नर मतदाताओं में से किसी ने भी मतदान नहीं किया। किन्नरों की मतदान से दूरी क्या लोकतंत्र में उनके हक और अधिकार के सिमटे दायरे को दर्शाता है या फिर उनकी कम संख्या के चलते सियासी दलों के लोक लुभावने घोषणा पत्रों में उनका उल्लेख न होना उनकी उदासीनता का कारण है?
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