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Siddharthnagar Bharat Bhari Mela: तीन युगों के महत्ता की साक्षी है भारतभारी,कार्तिक पूर्णिमा से पहले शुरू होता है मेला
Siddharthnagar Bharat Bhari Mela: पौराणिक महत्व के अलावा ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विख्यात इस स्थल पर कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) को लगने वाले मेले में क्षेत्रीय लोगों के अलावा प्रदेश के अन्य जनपदों से भी लोग आते है, और पवित्र सरोवर में स्नान कर पूजा पाठ (Siddharth Nagar tirth sthal) करते है।
Siddharthnagar Bharat Bhari Mela: 13 नवंबर से शुरू होने वाले प्रसिद्ध ऐतिहासिक व धार्मिक भारत भारी मेले (bharat bhari mela) की तैयारियां प्रशासन ने प्रारंभ कर दी हैं। डुमरियागंज तहसील (Dumariaganj Tehsil) मुख्यालय से आठ किमी दूरी पर स्थित प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ स्थल भारतभारी (prasidh tirth sthal bharat bhari) अपने इतिहास में कई काल खंडों का रहस्य समेटे हुए है। पौराणिक महत्व के अलावा ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विख्यात इस स्थल पर कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) को लगने वाले मेले में क्षेत्रीय लोगों के अलावा प्रदेश के अन्य जनपदों से भी लोग आते है, और पवित्र सरोवर में स्नान कर पूजा पाठ (Siddharth Nagar tirth sthal) करते है। यहां स्थित भरतकुंड जलाशय(हनुमान सरोवर) (Siddharth Nagar tirth sthal Bharat Kund jalashay) , शिव मंदिर, राम जानकी मंदिर, मां दुर्गा व हनुमान जी का भव्य मंदिर धार्मिक स्थल की शोभा बढ़ाने के साथ श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कसर बाकी नहीं रखते। भरतकुंड सरोवर का पानी हमेशा स्वच्छ व निर्मल बना रहता है। इस सरोवर में घास-फूस तक नहीं उगते न ही सरोवर की मछलियों को मारने की ही अनुमति है।
इतिहास में वर्णन (Siddharth Nagar Bharat Kund jalashay ka Itihaas)
यूनाइटेड प्राविंसेज आफ अवध एंड आगरा के वाल्यूम 32 वर्ष 1907 के पृष्ठ 96-97 में इस स्थल का उल्लेख है कि वर्ष 1875 में भारतभारी के कार्तिक पूर्णिमा मेले में पचास हजार दर्शनार्थियों ने भाग लिया था (Siddharth Nagar Bharat Kund jalashay ka Itihaas) । आर्कोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया 1996-97 के अनुसार कुषाण कालीन सभ्यता का प्रमाण भी मिला (Siddharthnagar Bharat Bhari Mela) है। पिछले माह यहां तत्कालीन एसडीएम त्रिभुवन ने भी उत्खनन कार्य करवाकर संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाया था।
पुरातत्वविदों का मत
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के प्राचीन इतिहास के प्रो. सतीश चंद्र व एस.एन. सिंह सहित गोरखपुर विश्वविद्यालय के कृष्णानंद त्रिपाठी ने भारतभारी का स्थलीय निरीक्षण करके मूर्तियों, धातुओं, पुरा अवशेषों के अवलोकन के बाद टीले के नीचे एक समृद्ध सभ्यता होने की बात कही (Bharat Kund jalashay ka Itihaas kya hai) । प्राचीन टीले व कुएं के नीचे दीवालों के बीच में कही-कही लगभग आठ फिट लंबे नर कंकाल मिलते है, जो इतने पुराने है कि छूते ही राख जैसे बिखर जाते हैं। कृष्णानंद त्रिपाठी द्वारा ले जाये गये अवशेषों को गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के संग्रहालय में देखा जा सकता है।
13 नवंबर को होगा भारतभारी मेले का भव्य उद्घाटन (November 13 bharat bhari mela)
प्रसिद्ध ऐतिहासिक व धार्मिक भारत भारी मेले की तैयारियां प्रशासन ने प्रारंभ कर दी (kab hai bharat bhari mela) हैं। प्रशासनिक मेला प्रबंधन समिति की बैठक में बताया गया कि मेले के उद्घाटन (November 13 bharat bhari mela) अवसर पर सांसद जगदंबिका पाल, विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह, डीएम दीपक मीणा और पुलिस अधीक्ष डा. यशवीर सिंह मुख्य रूप से मौजूद रहेंगे। मेला समिति के अध्यक्ष एसडीएम प्रमोद कुमार की अध्यक्षता में तहसील सभागार में बैठक हुई। जिसमें इस बार मेला भव्य स्वरूप में अच्छी व्यवस्था के साथ लगाए जाने पर चर्चा की गई। पिछले वर्ष कारोना महामारी के कारण मेले का आयोजन नहीं किया गया था, लेकिन इस बार उसकी भरपाई के पूरे प्रयास होंगे। तय किया गया कि मंदिर व मेले के आकर्षण का मुख्य केंद्र बिंदु शंकर जी का मंदिर है, जिसकी साफ सफाई रंगाई पुताई काफी दिनों से न होने के कारण वह जीर्ण शीर्ण लगता है। साथ ही सरोवर की सफाई भी जरूरी है जिससे स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न होने पाए। मेले का उद्घाटन 13 नवंबर को होगा। मुख्य मेला कार्तिक पूर्णिमा के दिन होगा। मेले में साफ सफाई की व्यवस्था के लिए बीडीओ को और सुरक्षा व्यवस्था हेतु थाना प्रभारी डुमरियागंज, तथा अन्य आवश्यक व्यवस्था के लिए तहसीलदार डुमरियागंज को दिशा निर्देश दिया गया।
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