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Siddharthnagar News: डुमरियागंज तहसील में लोग बना रहे मिटटी के बर्तन, दीपावली में बेहतर बिक्री की उम्मीद

Siddharthnagar News: मिट्टी के बर्तन और दीयों का बड़े पैमाने पर निर्माण व बिक्री इनके द्वारा की जा रही है। दीपावली में पड़ोसी जनपद बलरामपुर से भी इन्हें आर्डर मिल रहे हैं।

Intejar Haider
Report Intejar HaiderPublished By Shraddha
Published on: 28 Oct 2021 5:15 PM IST
डुमरियागंज तहसील में लोग बना रहे मिटटी के बर्तन
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डुमरियागंज तहसील में लोग बना रहे मिटटी के बर्तन

Siddharthnagar News : कोरोना (Corona) ने सिर्फ स्वास्थ्य को ही नहीं बल्कि रोजगार (employment) को भी प्रभावित किया। हजारों कामगार बड़े शहरों को छोड़ गांव लौट आए। अनलॉक के बाद कुछ ने दोबारा वापसी की तो कुछ ने स्थानीय स्तर पर काम शुरू कर दिया। ऐसे ही आधा दर्जन कामगार प्रशिक्षण लेकर पैतृक व्यवसाय से जुड़ परिवार की माली हालत बदल रहे हैं। मिट्टी के बर्तन (Mitti ke bartan) और दीयों का बड़े पैमाने पर निर्माण व बिक्री इनके द्वारा की जा रही है। दीपावली में पड़ोसी जनपद बलरामपुर (District Balrampur) से भी इन्हें आर्डर मिल रहे हैं।

जिले के डुमरियागंज तहसील (Dumariaganj Tehsil) क्षेत्र के भड़रिया निवासी धर्मराज जाति के कुम्हार हैं। पैतृक व्यापार में मन नहीं लगा तो चार वर्ष पहले अपने हम बिरादरों के साथ मुंबई निकल लिए। कोई हुनर था नहीं तो कभी रंगाई पोताई अथवा मजदूरी का काम मिलता था। कोरोना काल में स्थिति भयावह हुई तो बड़ी मुश्किल से गांव पहुंचे। ठान लिया कि अब गांव में ही कुछ करेंगे और परिवार भी संभालेंगे।

भनवापुर ब्लॉक क्षेत्र (Bhanwapur Block Area) स्थित सोहना कृषि विज्ञान केंद्र (Sohna Krishi Vigyan Kendra) में आयोजित प्रशिक्षण में भाग लेकर मिट्टी के बर्तन बनाने का हुनर सीखा। साथ के लोगों और पत्नी को भी सिखाया और जुट गए हुनर से परिस्थितियों को मात देने में। दशहरा के दौरान इनकी टीम ने सत्तर सजार रुपये के मिट्टी बर्तन की बिक्री की। दीपावली में विशेष तैयारी है और एक लाख रुपये से अधिक बिक्री की उम्मीद है। हर आकार के मिट्टी दीए व बर्तन तैयार करने में धर्मराज के साथ फूलमती, धनीराम, संचित, चिनगुद सहित अन्य जुटे हैं।

पर्यावरण की फिक्र

धर्मराज ने बताया कि सामूहिक रूप से पराली जलाना इस समय खतरनाक है। वह लोग इसी पराली का प्रयोग बर्तन पकाने में करते हैं। बताया कि पराली को पकाने योग्य बर्तनों के साथ गढ्ढे में भरकर मिट्टी से ढ़क दिया जाता है। धुंआ निकलने के लिए छोटे छिद्र होते हैं, जिससे कम मात्रा में धुंआ निकलता है, साथ ही बर्तन पकाने में कम खर्च भी बैठता है।

मुस्लिम कामगार 25 वर्ष से बना रहे दीप

जिले के डुमरियागंज तहसील छेत्र के नवसृजित नगर पंचायत बढ़नीचाफा में मिट्टी के बर्तनों की सबसे पुरानी दुकान सिद्दीकी की है। वह और उनका परिवार पिछले 25 वर्षों से बर्तन बनाकर बिक्री का काम करता है। बताया कि वह बलरामपुर के सराय खास के रहने वाले हैं। मिट्टी के बर्तन अधिकतर हिंदू त्योहारों में ही बिकते हैं। इस बार चाइनीज झालरों के बहिष्कार के बीच उन्हें दीयों की बेहतर बिक्री की उम्मीद है।

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Shraddha

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