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Sonbhadra News: अज्ञात बुखार से चार की मौत के बाद मचा हड़कंप, मेडिकल टीम सक्रिय

यूपी के सोनभद्र में चार लोगों की अज्ञात बुखार से मौत हो गई है जिसमें दो बच्चों की भी जान गई है। मेडिकल टीम को अलर्ट कर दिया गया है

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyPublished By Deepak Raj
Published on: 15 July 2021 3:17 PM GMT
गांव में चार लोगों की बुखार से हुई मौत
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गांव में चार लोगों की बुखार से हुई मौत

Sonbhadra News: कागजी आंकड़ों में ढेरों दावे के बावजूद प्रदेश में गाजियाबाद के बाद केंद्र और राज्य को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले सोनभद्र में बुनियादी सुविधाओं का अभाव लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। ग्रामीणों का दावा है कि समय पर उपचार न मिलने के कारण म्योरपुर ब्लाक के बेलहत्थी ग्राम पंचायत में 15 दिनों के भीतर बुखार पीड़ित दो बच्चों सहित चार की मौत हो गई।

सप्ताह भर पूर्व ससुराल आए युवक ने दम तोड़ा

सबसे नजदीकी मौत बुधवार की देर रात 11बजे हुई, जब बगल गांव से सप्ताह भर पूर्व ससुराल आए युवक ने दम तोड़ा। उधर स्वास्थ्य महकमे ने बेलहत्थी ग्राम पंचायत के प्रभावित बताए जा रहे टोलों में टीम भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। शुक्रवार से टीम कैंप करना शुरू कर देगी। आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका, ग्राम पंचायत सदस्य कुंज बिहारी, रामबिचार खरवार, दिलबसिया, फुलकुमारी, मजदूर किसान मंच के सचिव रमेश सिंह खरवार आदि का दावा है कि कल्लू (2) हरिकिशुन निवासी बेलगुड़ी टोला, सतवंती (26) पत्नी रामविचार निवासी सहजनवा टोला, राजेश खरवार (27) पुत्र राजेंद्र की रजनी टोला में, रोमा बैगा (2.5) पुत्री रुपम निवासी लालीमाटी टोला की गत बुधवार की रात से लेकर 15 दिनों के भीतर बुखार, उल्टी-दस्त जैसे लक्षणों के चलते मौत हुई है।


शुद्ध पेयजल भी उपलब्ध नहीं है इस गांव में

पीने के लिए पानी लेकर आती महिला


सबसे नजदीकी मौत राजेश की बताई गई। बताया गया कि हथवानी निवासी राजेश एक सप्ताह पूर्व राजानी टोला में अपने ससुराल आया हुआ था 2-3 दिन बाद उसे बुखार आना शुरू हुआ। बुधवार की रात उसकी हालत ज्यादा खराब हो गई । ससुराल के लोग उसे अस्पताल ले जाने की व्यवस्था में जुटे हुए थे, तभी उसकी मौत हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि सहजनवा, लालमाटी टोला आदि टोलों में आवागमन के लिए एक अच्छा रास्ता तक नहीं है। इसके चलते एंबुलेंस भी उनके टोलो तक नहीं पहुंच पाती। शुद्ध पेयजल भी यहां उपलब्ध नहीं है।

यह भी बीमारी का बड़ा कारण है। साधन तक पहुंचने के लिए बेलहत्थी ग्राम पंचायत के कई टोलों की स्थिति ऐसी है कि ग्रामीणों को सात से नौ किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। इसलिए जब लोग यहां बीमार होते हैं, तो पहले घरेलू उपचार किया जाता है। जब हालत ज्यादा खराब होती है, तब मजबूरी में उसे लेकर किसी तरह अस्पताल जाते हैं लेकिन रास्ता दुर्गम होने के कारण कई बार रास्ते में ही मौत हो जाती है। अस्पताल न पहुंचने के कारण, मौत का कारण कौन सी बीमारी थी? यह पता भी नहीं चल पाता। दो-तीन साल पूर्व इसी तरह अज्ञात बीमारी के चलते यहां तीन चार ग्रामीणों की मौत का मामला सामने आया था।


2011-12 में इस ग्राम पंचायत में 16 मौतों ने हड़कंप मचा दिया था। उधर, आइपीएफ के लोग दावा करते हैं कि पिछले वर्ष ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बेलहत्थी ग्राम पंचायत में हास्पीटल निर्माण का आदेश दे चुका है लेकिन अब तक उस पर अमल नहीं किया गया। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के 70 साल बाद भी डैम के किनारे चुआंड़ खोदकर पानी पीना मजबूरी है। यहां के बड़ी आबादी को आने-जाने के लिए बेहतर संपर्क मार्ग तक उपलब्ध नहीं है। दूसरी तरफ, ग्राम प्रधान राज कुमार ने हुई वार्ता में बताया कि सड़क की दिक्कत बनी हुई है।


जगह-जगह हैंडपंप लगवाकर ग्रामीणों को पेयजल उपलब्ध कराने का काम किया जा रहा है। जिन टोलो में मौत बताई जा रही है, वहां से वह 15 किमी दूर हैं। उन टोलों में पहुंचने के लिए रास्ता सही ना होने कारण वह सुबह वहां जा पाएंगे। इसके बाद ही कुछ बता पाने की स्थिति में होंगे। वहीं, म्योरपुर सीएचसी अधीक्षक शिशिर श्रीवास्तव ने कहा कि जहां मौत बताई जा रही है। वहां की स्थितियां वास्तव में संवेदनशील हैं। रास्ते की दिक्कत होने की भी बात स्वीकारी। बताया कि पिछले सप्ताह उन्होंने टीम भी कैंप के लिए भेजी थी। जिन-जिन टोलों में मौत का दावा किया जा रहा है।

शुक्रवार को एक टीम कैंप करने के लिए भेजा जाएगा

वहां वह शुक्रवार को एक टीम कैंप करने के लिए भेजेंगे। क्रमवार सभी टोलों में स्वास्थ्य टीम भेजकर लोगों की जांच कराई जाएगी। जरूरत अनुसार लोगों को उपचार भी उपलब्ध करवाया जाएगा। बता दें कि म्योरपुर ब्लॉक का रिहंद एवं ओबरा डैम का तटवर्ती एरिया मलेरिया का डेंजर जोन है। संक्रमण काल में यहां बीमारियां उफान पर होती हैं। अस्पतालों तक आसान पहुंच न होने के कारण हर साल कई जिंदगियां असमय दम तोड़ देती हैं। मामला मीडिया के संज्ञान में आता है तो कुछ दिन तक सरकारी तंत्र की तरफ से भी सरगर्मी दिखती है। बीमारियों का प्रकोप शांत होने के साथ ही राहत के लिए चल रही कवायद थम सी जाती है।

जबकि 2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर विस्तृत अध्ययन के लिए पहुंची कोर कमेटी के सामने भी यह मुद्दा उठ चुका है। कोर कमेटी की रिपोर्ट में इसका जिक्र करते हुए ग्रामीणों को प्रभावी इलाज, बिजली एवं आवागमन के साधन जैसे बुनियादी मसलों को लेकर कई सुझाव भी दिए गए हैं। बावजूद प्रदेश के साथ ही देश के कई हिस्सों को रोशन करने वाले जनपद के मूल बाशिंदे दुश्वारी भरा जीवन जीने के लिए अभी भी अभिशप्त हैं।

Deepak Raj

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