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Pankaj choudhary: महाराजगंज की सियासत में मजबूत पकड़, पार्षद से केंद्रीय मंत्री तक का सफर

महाराजगंज से छह बार के बीजेपी सांसद पंकज चौधरी अपनी बेटी की शादी की तैयारियों में लगे थे कि उनके फोन की घंटी बजी, आवाज आई दिल्ली आइए आपको मंत्री बनना है।

Rahul Singh Rajpoot
Written By Rahul Singh RajpootNewstrack Network
Published on: 8 July 2021 3:59 PM GMT
Pankaj choudhary: महाराजगंज की सियासत में मजबूत पकड़, पार्षद से केंद्रीय मंत्री तक का सफर
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शपथ लेते पंकज चौधरी, सोशल मीडिया

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि में जन्मे पंकज चौधरी अब केंद्रीय मंत्री बन गए हैं, उनकी जिंदगी में दोहरी खुशी आई है। बुधवार को उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और शुक्रवार को उनकी बेटी की शादी है। महाराजगंज से छह बार के बीजेपी सांसद पंकज चौधरी अपनी बेटी की शादी की तैयारियों में लगे थे कि उनके फोन की घंटी बजी और उधर से आवाज आई आपको मंत्री बनाया जा रहा है आप दिल्ली आ जाइए और वह परिवार से बात कर मंत्री बनने निकल पड़े। पंकज चौधरी की मां और भाई महाराजगंज से जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं।

गोरखपुर में हुआ जन्म

केंद्रीय मंत्री बने पंकज चौधरी का जन्म 20 नवंबर 1964 को भगवती प्रसाद चौधरी के घर गोरखपुर घंटाघर के हरिवंश गली शेखपुर में हुआ था। पंकज चौधरी गोरखपुर विश्व विद्यालय से स्नातक हैं, परिवार में पत्नी भाग्यश्री, बेटा रोहन चौधरी व एक बेटी भी है।

पंकज चौधरी, फाइल, सोशल मीडिया

पंकज चौधरी का सियासी सफर

नेपाल सीमा से सटे महाराजगंज लोकसभा सीट से सांसद पंकज चौधरी 2019 में छठवीं बार सांसद बने थे। 57 साल के पंकज चौधरी को पार्षद से लेकर संसद सदस्य तक का अनुभव रहा है। इससे पहले पंकज चौधरी 1991, 1996, 1998, 2004, 2014 में सांसद चुने जा चुके हैं। इनका राजनीतिक सफर गोरखपुर के नगर निगम से शुरू होता है, वे पहली बार 1989-91 में नगर निगम गोरखपुर में पार्षद चुने गये थे। इसके बाद 1990-91 तक वे गोरखपुर नगर निगम में ही उप-महापौर रहे। इसी साल उन्हें पहला बड़ा ब्रेक मिला। 1991 में ही उन्हें प्रदेश भाजपा में कार्यकारिणी समिति में सदस्य बनाया गया। इसी साल हुए लोकसभा के चुनाव में उन्हें टिकट भी मिल गया और वे जीत भी गये। फिर 1996 में दोबारा जीते। इस बार भी उन्हें कई संसदीय समितियों में रहने का मौका मिला।

रैली को संबोधित करते पंकज चौधरी, फाइल, सोशल मीडिया

1998 में मध्यावधि चुनाव हुए और पंकज चौधरी फिर जीत गये। इस बार भी वे कई दूसरी संसदीय समितियों में सदस्य रहे। 2004 में चौथी बार वे फिर से सांसद बने। लेकिन, लोकसभा चुनावों में लगातार जीत का उनका क्रम 2009 में टूट गया। वे भाजपा से लड़े तो लेकिन कांग्रेस के हर्षवर्द्धन से चुनाव हार गये। 2014 में फिर चुनाव हुए. पार्टी ने पंकज चौधरी का हाथ नहीं छोड़ा और फिर से टिकट दिया। पंकज चौधरी इस बार पांचवीं बार सांसद बने। हालांकि इस बार भी उन्हें मंत्रिमण्डल में जगह नहीं मिल पायी, 2019 में वे फिर से सांसद बने और अब वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं।

कुर्मी बिरादरी के हैं बड़े नेता

सांसद पंकज चौधरी की सियासी छवि जिले में शालीन नेता की है। कुर्मी बिरादरी में अच्छी पकड़ के साथ अन्य बिरादरी में भी उनके सोशल इंजीनियरिंग के विरोधी भी कायल हैं। यह उनकी कुशल राजनीतिक सूझबूझ का ही कमाल है कि गोरखपुर से अलग होकर जब महराजगंज जिला बना, तब ही से जिला पंचायत सीट पर बीजेपी का ही कब्जा है। इसमें सांसद के बड़े भाई प्रदीप चौधरी व मां उज्ज्वला चौधरी अध्यक्ष रह चुकी हैं। आरक्षण बदलने के बाद भी पंकज चौधरी के करीबी व भरोसेमंद ही जिला पंचायत अध्यक्ष बने।

गुड़गांव में बेटी की शादी

पंकज चौधरी के एक बेटी और एक बेटा है, बेटी श्रुति चौधरी की गुड़गांव में शादी है। इससे पूरा परिवार खुश है। परिवार के सभी सदस्य गुड़गांव में ही हैं। पंकज की मां उज्जवल चौधरी समाजसेविका हैं।

पूर्वांचल के ब्राह्मण नेताओं के हाथ निराशा

मोदी कैबिनेट में जगह मिलने की उम्मीद लगाए बैठे पूर्वांचल के ब्राह्मण नेताओं को निराशा हाथ लगी है। उम्मीद जताई जा रही थी कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी गोरखपुर-बस्ती मंडल के किसी ब्राह्मण सांसद को प्रतिनिधित्व मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे पहले के कार्यकाल में राज्यसभा सांसद शिव प्रताप शुक्ला को वित्त राज्यमंत्री बनाया गया था। लिहाजा, इस बार भी ब्राह्मण चेहरे को जगह देने की चर्चा थी। कैबिनेट विस्तार से पहले देवरिया से भाजपा सांसद डॉ. रमापति राम त्रिपाठी, गोरखपुर शहर से भाजपा सांसद रवि किशन, बस्ती से सांसद हरीश द्विवेदी व राज्यसभा सांसद शिव प्रताप शुक्ला को रेस में बताया गया था। लेकिन मौका मिला लखीमपुर खीरी से सांसद अजय मिश्रा उर्फ टोनी को जो केंद्रीय राज्य मंत्री बनाए गए हैं।

संजय निषाद नाराज!

वहीं संतकबीरनगर से सांसद प्रवीण निषाद के पिता और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी बेटे को मंत्री बनाने की मांग रहे थे लेकिन उन्हें मंत्री पद नहीं मिली। जिससे वह नाराज बताए जा रहे हैं। कैबिनेट विस्तार से पहले संजय निषाद और प्रवीण निषाद गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे।

Rahul Singh Rajpoot

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