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PM मोदी के हाथ में काला धागा: काशी में हर तरफ मोदी की जय-जयकार, आखिर क्या है भारतीय संस्कृति में इस काले धागे का महत्व
Kashi Mein Modi : पीएम मोदी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश वाराणसी स्थित भगवान शिव के नवनिर्मित मंदिर काशी विश्वनाथ धाम का उद्घाटन किया।
Kashi Mein Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सोमवार को उत्तर प्रदेश वाराणसी स्थित भगवान शिव के नवनिर्मित मंदिर काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) का उद्घाटन किया। इस सुअवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह ही वाराणसी पहुंच गए थे तथा इसके पश्चात उन्होंने वाराणसी में गंगा स्नान (Ganga snaan) करने के साथ ही काल भैरव मंदिर में पूजा अर्चना भी की।
भगवान शिव की नगरी वाराणसी में इस नवनिर्मित काशी विश्वनाथ धाम (Varanasi Kashi Vishwanath Dham) का निर्माण ₹300 करोड़ से अधिक की लागत से किया गया है। जिसके अंतर्गत काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के अतिरिक्त कई अन्य परियोजनाएं भी शामिल हैं।
गंगा स्नान (Ganga snaan) के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दाहिने हाथ पर एक काला धागा पहने हुए दिखाई दिए। अमूमन हिन्दू परंपरा में ऐसे काले धागे को किसी भी बुरी नज़र से बचाने के लिए पहना जाता है।
जानें काले धागे का महत्व
Kale Dhage Ka Mahatva
आमतौर पर काले रंग को अशुभ माना जाता है लेकिन किसी काले धागे को अपने शरीर पर धारण करने को ऐसा माना जाता है कि जो भी इस काले धागे को धारण करता है उसे काली शक्तियों, बुरी बलाओं और बुरी नज़र से सुरक्षा मिलती है। यह पूर्ण रूप से व्यक्तिगत विश्वास और श्रद्धा का विषय है, किसी को ऐसा करने या ना करने के लिए कोई बाध्य नहीं कर सकता है।
ऐसा माना जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने हाथ में काले धागे को इसी वजह से पहनते हैं ताकि उन्हें यह धागा नकारात्मक ऊर्जा और काली शक्तियों से सुरक्षित रख सकें तथा शरीर में सकारात्मकता ऊर्जा का प्रवाह करने में सहायता प्रदान करे।
भारतीय प्राचीन परंपरा के अनुसार, यह काला धागा मेष और वृश्चिक राशि के लोगों को नहीं पहनना चाहिए। इसके पीछे का कारण यह बताया गया है को मेष और वृश्चिक राशि का गृह स्वामी मंगल, जो कि ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक बेहद शक्तिशाली माना गया है और इन गृह के लोगों द्वारा काला धागा धारण करने पर मंगल का प्रभाव कम होने लगता है। इसी कारणवश इन दोनों शक्तिशाली राशि के लोगों को काले धागे को धारण नहीं करना चाहिए।
यह अभी अवधारणाएं पूर्ण रूप से किसी भी व्यक्ति विशेष के व्यक्तिगत विचार पर निर्भर करती हैं, इन तथ्यों को मानने और ना मानने वाले लोगों की संख्या लगभग बराबर है।