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Priyanka Gandhi Varanasi : प्रियंका की वाराणसी में किसान रैली, कांग्रेस की पूर्वांचल को साधने की कोशिश

कांग्रेस की महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी की आज की वाराणसी रैली किसानों के लिए हैं पर इसके पीछे उसकी पैनी नजर पूर्वांचल की सीटों पर है। यूपी की सत्ता हासिल करने के लिए पूर्वाचल पर असर बढ़ाना काफी अहम है।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 10 Oct 2021 12:18 PM IST (Updated on: 10 Oct 2021 12:19 PM IST)
Priyanka Gandhi Varanasi : प्रियंका की वाराणसी में किसान रैली, कांग्रेस की पूर्वांचल को साधने की कोशिश
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प्रियंका गांधी की वाराणसी में किसान रैली। (Social Media)

Priyanka Gandhi Varanasi : कभी वर्षों तक यूपी की सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस एक बार फिर सत्ता हासिल करने की कोशिश में है। कहने को तो कांग्रेस की महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी (Priyanka Ki Kisan Rally) की आज की वाराणसी रैली किसानों (Varanasi Me Kisan Really) के लिए हैं पर इसके पीछे उसकी पैनी नजर पूर्वांचल की सीटों पर है। यूपी की सत्ता हासिल करने के लिए पूर्वाचल पर असर बढ़ाना काफी अहम है। हर दल को पता है कि पूर्वांचल की 156 सीटें ही किसी भी दल को सत्ता पाने में बड़ी ताकत बनती हैं। इसलिए सभी राजनीतिक दलों का फोकस अब पूर्वांचल क्षेत्र पर है।

पूर्वाचल के बडे़ वोट बैंक को हथियाने की शुरुआत

जहां प्रियंका गांधी लखीमपुर कांड (Lakhimpur Kheri Hatyakand) के बहाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi Ka Sansdiya Chitra) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में रैली कर भाजपा पर हमले की शुरुआत कर रही हैं। वहीं इसी बहाने वह पूर्वांचल के एक बडे़ वोट बैंक को हथियाने की शुरुआत भी करेगी। दरअसल, मोदी-योगी के आने के बाद हिन्दुत्व की तरफ सभी राजनीतिक दलों को झुकना पड़ा है। इसलिए आज प्रियंका के कार्यक्रमों पर पूरा फोकस धार्मिक आधार पर ही तय किया गया है। कांग्रेस को किसानों के बहाने इस पूरे क्षेत्र में अपना असर दिखाने का एक अच्छा मौका मिल गया है। इसलिए वह एक तीर दो निशाने साधने का काम कर रही है।

अपनी खोई राजनीतिक जमीन तलाश रही कांग्रेस

कुछ महीने बाद ही होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अपनी खोई राजनीतिक जमीन की तलाश कर रही है। कांग्रेस की अब उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र पर खास नजर है। उसे पता है कि लखनऊ की सत्ता को पाने के लिए पूर्वांचल जीतना जरूरी है। इसलिए प्रियंका गांधी की अगुवाई में कांग्रेस पूर्वांचल में दोबारा ताकतवर बनने की कोशिश में है। जिसके लिए उसने प्रयागराज के बाद अब वाराणसी का रास्ता चुना है। पहले प्रियंका गांधी ने न सिर्फ प्रयागराज में अपना ऑफिस खोला बल्कि विधानसभा चुनावों के लिए पहले उम्मीदवार का ऐलान भी शहर की उत्तरी विधानसभा से कर बता दिया कि इस बार वह इस बडे क्षेत्र को छोड़ने वाली नहीं है।

पूर्वांचल की अधिकतर सीटों पर है भाजपा का कब्जा

पूर्वांचल क्षेत्र में बलरामपुर, गोंडा, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्र, जौनपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ, अमेठी,सुल्तानपुर और बलिया आदि आते हैं। कांग्रेस इस बात से पूरी तरह से वाकिफ है कि इस क्षेत्र में अधिकतर सीटों पर भाजपा का कब्जा है। उसे लग रहा है कि किसान रैली के बहाने वह अपनी खोई ताकत हासिल कर सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में इस पूरे क्षेत्र में मोदी का जादू खूब चला था। पूर्वांचल की 156 सीटों में से भाजपा ने 75 प्रतिशत से अधिक सीटें हथियाने का काम किया। जो इस क्षेत्र में एक रिकार्ड बन गया। यहां पर सपा को जहां 14 वहीं बसपा को 12 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। पूर्वांचल में कांग्रेस का सफाया होने से कुशीनगर ने बचा लिया। कांग्रेस के खाते में केवल एक सीट आयी, वहीं 3 निर्दलीय उम्मीदवार भी विजय हासिल किए हैं।

छोटे दलों को भी अपनी तरफ खींचेगी प्रियंका गांधी

किसान रैली के बहाने कांग्रेस पूर्वांचल के छोटे दलों को भी अपनी तरफ लुभाने की आज पूरी कोशिश करेगी। इस पूरे क्षेत्र में कई छोटे दल हैं , जो बडे दलों से सम्पर्क में है। वह अपने दम पर सत्ता तो हासिल नहीं कर सकते हैं ।

पर किसी भी बडे़ राजनीतिक दल का खेल बिगाड़ने की पूरी ताकत रखते हैं। इसलिए कांग्रेस की आज की रैली को विधानसभा चुनाव के बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के साथ ही बसपा और ऑल इंडिया मजलिस- ए- एत्तेहादुल -मुसलमीन यानी असददुीन औवेसी लगातार इस पूरे क्षेत्र में दौरे कर मुस्लिम वोटों पर डोरे डालने का काम कर रहे हैं। इस पूरे क्षेत्र में छोटे छोटे दलों की निगाह भी मुस्लिम वोटों पर लगी है।

रामजन्मभूमि आंदोलन के बाद सबसे कम मुस्लिम विधायक

रामजन्मभूमि मामले के बाद यानी कि 1991 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि यूपी में सबसे कम मुसलमान जीतकर आए हैं। यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम विधायकों की संख्या 17.1 प्रतिशत से घटकर 5.9 प्रतिषत हो गयी है। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा ने 97 मुस्लिम प्रत्याषी उतारे थें जिसमें सिर्फ 5 मुस्लिम उम्मीदवार ही जीत का स्वाद चख सकें। सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक समाजवादी पार्टी के जीतकर आए थें। कुल 23 में से 17 विधायक सपा से हैं. जबकि कांग्रेस के सात में से दो विधायक मुस्लिम हैं।



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Deepak Kumar

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