UP Election 2022: विश्वनाथ धाम परियोजना पर काशी क्या कहती है, देखें Newstrack की रिपोर्ट

UP Election 2022: इस दौरान देश के संत समाज के साथ ही बीजेपी शासित प्रदेशों के सभी मुख्यमंत्री भी मौजूद रहे हैं। हमेशा से काशी के दो मुख्य परिचय रहे है।

Vikrant Nirmala Singh
Written By Vikrant Nirmala SinghPublished By Divyanshu Rao
Published on: 20 Dec 2021 11:05 AM GMT
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UP Election 2022: आगामी उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में 'काशी' पूर्वांचल की राजनीति का केंद्र होगा। स्थानीय सांसद के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं की सौगात काशी को दी है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है 'काशी विश्वनाथ कॉरिडोर'। बाबा विश्वनाथ दरबार को विस्तार देकर गंगा के सम्मुख करने की इस परियोजना का उद्घाटन श्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को किया है।

इस दौरान देश के संत समाज के साथ ही बीजेपी शासित प्रदेशों के सभी मुख्यमंत्री भी मौजूद रहे हैं। हमेशा से काशी के दो मुख्य परिचय रहे हैं, एक बाबा विश्वनाथ और दूसरी मां गंगा। इस योजना के पूर्व में बाबा विश्वनाथ संकरी गालियों के मध्य निवास करते थे, लेकिन 800 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई इस योजना ने गंगा और शिव को एक धारा में बांधने का कार्य किया है। इस परियोजना का शिलान्यास 8 मार्च , 2019 को किया गया था।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन पर न्यूजट्रैक की टीम ने काशी में स्थानीय लोगों, राजनीतिक दलों के नेताओं और बाहर से आए श्रद्धालुओं से बात की और इसके सन्दर्भ में एक आम राय जानने का प्रयास किया। सबसे पहले हमारी मुलाकात स्थानीय युवा विजय से हुई। इनके अनुसार इस कार्य से तीर्थयात्रियों को बाबा विश्वनाथ के दर्शन में सुगमता होगी।

साथ ही प्रचुर मात्रा में जगह उपलब्ध होने से सड़कों पर लगने वाली तीर्थयात्रियों की कतारों में कमी आएगी और शहर में जाम की समस्या से निपटने में आसानी होगी। एक और स्थानीय निवासी संजय यादव के अनुसार महारानी अहिल्याबाई होल्कर के बाद मोदी जी ही ऐसे विभूति हैं जिन्होंने बाबा के स्थान का सरंक्षण कर अभूतपूर्व कार्य कर दिखाया है। अब शायद ही शताब्दियों बाद कोई आए जो धर्म विस्तार का ऐसा कार्य कर सके।

आगे कहते हैं कि मोदी जी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण करा कई प्राचीन मंदिरों को कब्जे से मुक्त कराया है और उन्हें नई पहचान दी है। जो लोग आज भी इस पावन कार्य में बुराई ढूंढ रहे हैं वह उस मक्खी की तरह है जो स्वच्छता छोड़कर हमेशा गंदगी में भागती है। आप देखिए कि किसी भी देश की पहचान उसकी सांस्कृतिक धरोहर होती है।

विदेशों में चले जाईए तो पाएंगे कि उन्होंने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखा है और अगर हमारे प्रधानमंत्री जी देश की एक प्रमुख सांस्कृतिक विरासत को निखारने का कार्य कर रहे हैं तो इसमें क्या समस्या है? हम काशी के लोग खुश हैं और प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देते हैं।

आगे हमारी मुलाकात एक और स्थानीय निवासी ए एन मिश्रा से हुई। हमसे बात करते हुए उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ कारीडोर का स्थानीय लोगों ने हमेशा से समर्थन किया लेकिन कुछ राजनीतिक पार्टियों ने विरोध करना शुरु कर दिया। परंतु आज प्रोजेक्ट के धरातल पर उतरने के बाद विपक्षी पार्टियों के भी कुछ नेता जैसे स्थानीय सपा एमएलसी शतरूद्ध प्रकाश ने इस प्रोजेक्ट की बहुत तारीफ की है। यह एक अभूतपूर्व कार्य है। आप देख लिजिएगा कि इस कार्य का असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा क्योंकि स्थानीय लोग समझ रहे हैं कि डबल इंजन की सरकार ने काशी के साथ बाबा विश्वनाथ धाम का भी विकास किया है।

मां गंगा योग आरती मंडल समिति के संस्थापक अध्यक्ष अतुल महाराज जी के अनुसार कारीडोर का विचार और व्यवस्था बहुत अच्छी है और इससे आने वाले शिव भक्तों को कई प्रकार की सुविधाओं और सहूलियतों का लाभ मिलेगा। मोदी जी ने बहुत अलौकिक कार्य किया है और यह ऐसा कार्य है जो केवल मोदी जी ही कर सकते थे।

कुछ विपक्षी पार्टियां इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश जरूर कर रहे हैं जो सरासर गलत है। मोदी जी ने जो कार्य किया है वो इस बात का जीवंत प्रमाण है कि ऐसा व्यक्तित्व न कभी हुआ था ना कभी होगा। हां यह सच है कि इस कार्य में कुछ मंदिर तोड़ने पड़े परंतु जिन शिवलिंग या मंदिरों को तोड़ना पड़ा उसका विधि विधान पूर्वक उचित निस्तारण किया गया है।

श्रद्धालुओं से संवाद के दौरान हमारी मुलाकात बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे से हुई। वह भी एक भक्त के रूप में काशी आए थे। उनका कहना था कि किसी भी धर्म में सबसे बड़ी सेवा प्रभु के भक्तों की सेवा होती है। इस प्रोजेक्ट के रूप में मोदी जी ने बाबा के भक्तों का प्रेम और आशिर्वाद हासिल कर लिया है। आने वाली सदियाँ प्रधानमंत्री जी को नव काशी के शिल्पकार के रूप में याद रखेगी। जब भी बाबा विश्वनाथ की भव्यता का जिक्र होगा तो निश्चित ही मोदी जी स्मरण किए जाएंगे।

इस प्रोजेक्ट पर भारतीय जनता युवा मोर्चा वाराणसी के कोषाध्यक्ष सुयश अग्रवाल का कहना है कि श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर अपने आप में एक ऐतिहासिक परियोजना है क्योंकि आक्रांताओं के आक्रमण से क्षतिग्रस्त विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का काम महारानी अहिल्याबाई होल्कर जी ने किया था और अब भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी ने किया है।

संकुचित जगह होने के कारण आगंतुकों और धर्मावलंबियों को बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था तथा संकरी गलियां की वजह से सुरक्षा का डर भी हमेशा बना रहता था। प्रधानमंत्री जी ने सोमनाथ तथा रामेश्वरम ज्योतिर्लिंगों की तर्ज पर यहां के धाम का भी विस्तारीकरण एवं सौंदर्यीकरण करने का कार्य किया है।

प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने से काशी में पर्यटन और रोजगार को और बढ़ावा मिलेगा और बड़ी संख्या में स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।‌ हिंदू समाज के लिए आज का दिन किसी उत्सव से कम नहीं है। चुकी विपक्ष के पास अब कोई मुद्दा नहीं बचा है इसलिए वह अपनी ओछी राजनीति का प्रदर्शन करते हुए बाबा विश्वनाथ से जुड़े विकास कार्य पर भी सवाल उठा रहा है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन में कई बार काशी आता है और हां यह हो सकता कि उनकी पार्टी 2012 के बाद काशी नहीं आ पाई तो इसलिए काशी की जनता ने उनकी पार्टी को सिरे से नकार दिया है।

काशी विश्वनाथ धाम के विषय पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संजीव सिंह का कहना था कि मीडिया के जरिए 2022 विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर इसकी भव्यता का प्रचार और प्रसार किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े सही इतिहास को पूर्णतः जनता के सामने नहीं रखा जा रहा है।

प्रधानमंत्री जी ने गांधी जी की यात्रा का जिक्र तो किया लेकिन यह भूल गए कि बापू ने काशी विश्वनाथ की गलियों में गंदगी पर कटाक्ष किया था ना कि गलियों को तोड़ने की बात कही थी। आज कहा जाता है कि लोगों ने मंदिरों को अपने घरों में छुपा लिया था जबकि उसका सच यह है कि जब अक्रांताओं ने हमला किया तो लोगों ने मंदिरों को बचाने के लिए दीवारों का निर्माण कर दिया।

यह लोग उन मंदिरों की सेवा करते थे और इन्हें सेवई कहा जाता था। लेकिन इन्हें कब्जेदार कहा गया। इसलिए सवाल बनता है कि अगर इन्होंने जबरन मकान बनाए थे तो फिर इन्हें मुआवजा क्यों दिया गया? कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई? आज भी उस इलाके से मिले कितने शिवलिंग लंका थाने पर रखे गए हैं। भाजपा और प्रधानमंत्री काशी विश्वनाथ धाम की भव्यता का जिक्र तो कर रहे हैं लेकिन वहीं अगल-बगल के वार्डों में जाम हुए नाले इन्हें दिखाई नहीं पड़ते हैं। गंगा को प्रदूषित कर रहे 27 बड़े नालों पर चर्चा नहीं होती है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में राजनीति विभाग के शोधार्थी राणा प्रताप का कहना था कि संस्कृतिक दृष्टिकोण से अलग इस प्रोजेक्ट का अपना एक राजनीतिक संदेश भी है। उत्तर प्रदेश हमेशा से धार्मिक रूप से संवेदनशील रहा है और राम मंदिर के शिलान्यास के बाद बाबा विश्वनाथ धाम का उद्घाटन यह स्थापित करने में सफल हो गया है कि बीजेपी हिन्दू संस्कृति की सबसे बड़ी ध्वजवाहक है।

सिर्फ काशी ही नहीं ब्लकि पूर्वांचल की तीन दर्जन से अधिक ऐसी सीटें हैं जहां यह सीधा असर दिखाएगा। हाल ही में राहुल गांधी ने जो हिन्दू बनाम हिन्दुत्व की बहस चालू की है, यह प्रोजेक्ट बीजेपी को इसमें बढ़त दिलाने का काम करेगा। एक बड़े मतदाताओं के मन में हिंदू स्थल के विकास के रूप में यह स्थापित हो चुका है।

Divyanshu Rao

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