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Varanasi News: काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए खास है 9 सितंबर का दिन, हाईकोर्ट सुनाएगा अहम फैसला
Varanasi News: वाराणसी कोर्ट ने 8 अप्रैल को ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातत्विक सर्वेक्षण की इजाजत दी थी। इस फ़ैसले को मुस्लिम पक्षकारों ने इलाहबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में कोर्ट 9 सितम्बर को फैसला सुनाएगा।
Varanasi News: अयोध्या के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर (Shri Kashi Vishwanath Temple) का मुद्दा छाया हुआ है। वाराणसी कोर्ट (Varanasi Court) ने 8 अप्रैल को ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) के पुरातत्विक सर्वेक्षण की इजाजत दी तो ये लड़ाई और तीखी हो गई। फ़ैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्षकारों ने इलाहबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में चुनौती दी थी। सुनवाई के बाद कोर्ट नौ सितम्बर को फैसला सुनाने वाला है। फैसला जो भी हो लेकिन वाराणसी में सरगर्मी बढ़ने लगी है।
ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) को लेकर हिन्दू और मुस्लिम, दोनों पक्ष लम्बे समय से दावे करते रहे हैं। साल 1991 से दोनों पक्षों के बीच अदालती लड़ाई चल रही है। एक तरफ हिन्दू पक्षकार स्वयंभू विशेश्वर हैं तो दूसरी ओर अंजुमन इंतजामिया कमेटी और सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड है।
हिंदू पक्ष करता है यह दावा
हिन्दू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे ज्योतिर्लिंग है। यही नहीं मस्जिद कि दीवारों पर हिन्दू देवी देवताओं के चित्र बने हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर कि ओर से अदालत में पक्ष रखने वाले अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी कहते हैं कि मुगलों के शासनकाल में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया। मंदिर के अवशेष आज भी मस्जिद के तहखाने में मौजूद है। पुरातत्विक सर्वेक्षण से दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।
अंजुमन इंतजामिया कमेटी हिंदू पक्ष के दावे को करता है खारिज
दूसरी ओर अंजुमन इंतजामिया कमेटी के ज्वाइंट सेकेट्री मोहम्मद यासीन हिन्दू पक्ष के दावे को ख़ारिज करते हैं। उनका कहना है कि यहां पर सालों से मस्जिद बनी है। राजस्व विभाग के मानचित्र में भी विवादित जमीन पर आज भी मस्जिद दर्ज है। उन्होंने कहा कि जहां तक मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने की बात है, ऐसा नहीं है। यही नहीं कुएं में शिवलिंग की मौजूदगी की बात भी बिल्कुल गलत है। साल 2010 में कुएं की सफाई कराई जा चुकी है। शिवलिंग मिलने जैसी कोई बात नहीं है।
विश्वनाथ मंदिर का इतिहास
14वीं सदी में जौनपुर के शर्की सुल्तानों की फौज ने पहली बार विश्वनाथ मंदिर को तुड़वाया था। इसके बाद सन् 1585 में अकबर के आदेश पर दक्षिण के विद्वान नारायण भट्ट और अकबर के वितमंत्री टोडरमल ने पूरे विधि विधान के साथ विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। लेकिन, 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का फरमान जारी कर दिया। 1777 से 1780 के बीच इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
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