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Kanpur Dehat News: शिक्षा के मंदिर में ये कैसा भेदभाव, दलित बच्चों को घर से अपनी प्लेट लानी होगी

Kanpur Dehat News: प्राथमिक स्कूल में दोपहर के भोजन के लिए स्कूल के प्रधानाचार्य ने कहा कि दलित बच्चों को अब घर से अपनी प्लेट लानी होगी और दलितों के बर्तन कोई सवर्ण नहीं धोएगा।

Manoj Singh
Published on: 22 Sept 2022 5:45 PM IST
Casteism is happening with Dalit children of Dilwal Primary School in Kanpur Dehat
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 कानपुर देहात: कानपुर देहात के डिलवल प्राथमिक विद्यालय दलित बच्चों के साथ हो रहा जातिवाद

Kanpur Dehat News: 'सब पढ़े सब बढ़े हैं', 'सर्व शिक्षा अभियान' (Sarva Siksha Abhiyan) में यह कैसा भेदभाव? शिक्षा के मंदिर में जातिवाद (racism in school) की क्लास, जहां एक ओर सरकार लगातार शिक्षा के स्तर को बढ़ाने का तमाम प्रयास कर रही है तो वहीं कानपुर देहात में प्राथमिक स्कूल में शिक्षा के मंदिर में हो रहा भेदभाव अगर आपका बच्चा है दलित तो भूल जाइए कि स्कूल में एमडीएम मिलेगा, क्योंकि एमडीएम खाने के लिए दलित बच्चों को अब घर से अपनी प्लेट लानी पड़ेगी, स्कूल में चलाए जा रहे सरकार के द्वारा एमडीएम में जातिवाद ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है, प्राथमिक स्कूल में दलित बच्चों को दोपहर के भोजन के लिए स्कूल के प्रधानाचार्य ने कहा कि दलित बच्चों को अब घर से अपनी प्लेट लानी होगी और दलितों के बर्तन कोई सवर्ण नहीं धोएगा।

कानपुर देहात का ये डिलवल प्राथमिक विद्यालय जिसमें लगी भीड़ और भारी पुलिस बल को देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पर कुछ बड़ा बवाल जरूर हुआ है अब आपको बताते हैं कि आखिर इस भीड़ के पीछे का माजरा क्या है।

दरअसल कानपुर देहात के डिलवल क्षेत्र में संचालित हो रहा यह प्राथमिक विद्यालय जिसमें लगी भीड़ और इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने इस स्कूल के प्रधानाचार्य पर यह आरोप लगाया है कि यहां पर जातिवाद का पाठ पढ़ाया जाता है।

दलित बच्चों से स्कूल में भेद भाव

दरअसल सरकार द्वारा चलाई जा रही बच्चों के लिए मध्यान भोजन योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले भोजन के लिए स्कूल में जारी हो गया एक तालिबानी फरमान और यह फरमान जारी किया है स्कूल के प्रधानाचार्य ने दरअसल स्कूल में पढ़ने वाले तमाम दलित वर्ग के बच्चों के लिए यह फरमान जारी किया गया है और फरमान ने साफ तौर से कहा गया है कि दलित वर्ग के किसी भी बच्चे को एमडीएम में दिए जाने वाले खाने के लिए अपने घर से ही बर्तन लेकर आने पड़ेंगे और स्कूल से उन्हें एमडीएम में कोई भी बर्तन में खाना नहीं दिया जाएगा

दलित बच्चों को एमडीएम के लिए लानी होगी घर से प्लेट

इन बच्चों के खाए हुए जूठे बर्तन स्कूल का कोई भी कर्मचारी नहीं धोएगा, जिसके चलते यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई इसके बाद स्कूल में पढ़ने वाले तमाम बच्चों के अभिभावक स्कूल पहुंचे और जमकर बवाल काटने लगे बवाल को बढ़ते देख मंगलपुर थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई।

न धुलेगा स्कूल परिसर में दलित बच्चों के जूठे बर्तन

जिसके बाद मौके पर पहुंचकर पुलिस और अधिकारियों ने इस बात की पड़ताल की किआखिर माजरा क्या है जिसके बाद स्कूल में ही पढ़ने वाले एक शिक्षक ने इस पूरे तालिबानी फरमान की कहानी बताइ और फिर उस कहानी पर चार चांद तब लग गए जब स्कूल में ही पढ़ने वाले बच्चों ने भी इस फरमान की बात का जिक्र छेड़ दिया और फिर हुआ खुलासा उस बात का जिसे कहा जा सकता है कि आखिर शिक्षा के मंदिर में यह कैसा भेदभाव।

स्कूल के प्रधानाध्यापक अरुण कुमार शुक्ला ने कहा

दरअसल स्कूल के प्रधानाध्यापक अरुण कुमार शुक्ला अक्सर नशे की हालत में विद्यालय आते हैं और विद्यालय में रसोइए को इस बात की हिदायत दी कि दलित बच्चों के जूठे बर्तनों को स्कूल में नहीं धोया जाएगा। इस बाबत जब हमने बच्चों से बात की तो स्कूल में पढ़ने वाले दलित बच्चों ने भी इस बात का खुलासा कर दिया और कहा कि मास्टर साहब ने कहा है कि खाने के लिए बर्तन घर से लेकर आओ तुम नीची जात के हो।

वहीं इस पूरे मामले में जब हमने प्रधानाध्यापक अरुण कुमार शुक्ला से इस बाबत बात की तो उन्होंने इस बात से साफ इंकार कर दिया और उनका कहना है कि मेरे खिलाफ स्कूल में पढ़ाने वाले कुछ शिक्षक षड्यंत्र रच रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि यह शिक्षक स्कूल समय में अपना काम निष्ठा से नहीं करते हैं। जिसका उन्होंने विरोध किया था। जिसके चलते शिक्षकों ने कुछ बच्चों और अभिभावकों को इस बात के लिए भड़काया और यहां पर इकट्ठा करके बवाल करा दिया हालांकि प्रधानाध्यापक अरुण कुमार शुक्ला इस बात को सिरे से नकार रहे हैं।

रिद्धि पांडे बेसिक शिक्षा अधिकारी कानपुर देहात

वहीं इस पूरे मामले में हमने जिले की बेसिक शिक्षा अधिकारी रिद्धि पांडे से भी बात की तो उन्होंने इस बात के लिए एक टीम गठित करने की बात कही है और इस टीम के माध्यम से इस पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी उन्होंने यह भी कहा है कि अगर इस तरीके कब तक पाया जाता है तो दोस्ती प्रधानाध्यापक के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी लेकिन सवाल बड़ा है कि प्रदेश सरकार जहां एक और सब पढ़े सब बढ़े का नारा दे रही है। वहीं पर इस तरह की बात का सामने आना प्रशासन और सरकार पर तमाम सवाल खड़े कर रहा है जहां एक ओर देश को आजाद हुए एक लंबा अरसा बीत चुका है तो वही ऐसी तस्वीर आना किसी शर्म से कम नहीं है।



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Shashi kant gautam

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