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Ayodhya News: हजारों वर्षों से सिंध का इतिहास रहा है गौरवशाली, बोले डॉ. राधेश्याम शुक्ला

Ayodhya News: सिंधु नदी के तट पर संसार के प्राचीनतम ग्रंथ वेद रचे गए, शून्य का प्रादुर्भाव भी इसी भूमि पर हुआ और विश्व की प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी का क्षेत्र भी यहीं है।

Durgesh Sharma
Written By Durgesh Sharma
Published on: 6 Dec 2022 6:00 PM IST
Radheshyam Shukla said Sindh history glorious for thousands of years Avadh University Ayodhya
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Radheshyam Shukla said Sindh history glorious for thousands of years Avadh University Ayodhya (Social Media)   

Ayodhya News: डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में भारत सरकार के नियंत्रणाधीन राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद् के वित्तपोषण से संचालित अमर शहीद संत कँवरराम साहिब सिंधी अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित गौरवशाली सिंधु संस्कृति और बाह्य आक्रमण विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्रवादी चिंतक डॉ.राधेश्याम शुक्ला ने कहा कि सिंध का इतिहास हजारों वर्षों से गौरवशाली रहा है। सिंधु नदी के तट पर संसार के प्राचीनतम ग्रंथ वेद रचे गए, शून्य का प्रादुर्भाव भी इसी भूमि पर हुआ और विश्व की प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी का क्षेत्र भी यहीं है। उन्होंने बताया कि सिंध की समृद्धि से आकर्षित पड़ोसी देशों के असभ्य और कबीलाई लोग यहां लूटमार के लिए आते रहे और सिंध के नागरिक उन्हें मारकर खदेड़ते रहे।

डॉ.शुक्ला ने बताया कि अरब आक्रमणकारियों को 80 वर्षों तक अखण्ड भारत की पश्चिमी सीमा में सिंध वासियों ने घुसने तक नहीं दिया और आठवीं शताब्दी में समुद्र के रास्ते हमला करके हिंदू राजा दाहर को अहिंसा की पक्षधर जनता के असहयोग और धोखे से हराया गया।

उन्होनें कहा कि बावजूद इसके 300 वर्षों तक अरबों को सिंधी वीरों ने सिंध से निकलने नहीं दिया। सिंध का समाज अपने अस्तित्व के लिए आरम्भ से लड़ता रहा है। पहले बाह्य आक्रमणों से, फिर अंग्रेजों से और बाद में देश विभाजन ने उनके अस्तित्व की जड़ें काट दीं।

देश विभाजन के राजनैतिक निर्णय को स्वीकार कर धर्म की रक्षा के लिए भारत आने वाले सिंधियों को शरणार्थी कहकर उनकी अस्मिता पर आघात किया गया। डॉ.शुक्ला ने अपने व्याख्यान में कहा कि वर्तमान मोदीयुग अब पूरी तरह से अनुकूल है।

सिंधी मूल रूप से साहसी और शौर्यशाली हैं। परिस्थितियों ने उन्हें अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए व्यापारी बना दिया। उन्होंने युवाओं का आव्हान किया कि वे अपने गौरवशाली इतिहास और संस्कृति की रक्षा के लिए देश की एकता और अखण्डता में पूर्व की तुलना में और अधिक सहयोग करें।

आयोजन की अध्यक्षता सिंधी सेंट्रल पंचायत, रामनगर के मुखिया ओमप्रकाश अंदानी ने की और विशेष अतिथि रहे सिंधु सेवा समिति के अध्यक्ष मोहन मंध्यान। इस अवसर पर उपस्थित उत्तर प्रदेश सिंधी युवा समाज के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश ओमी ने अपनी तात्कालिक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे आयोजन नौजवानों में प्राण फूंकते हैं।

अमर शहीद संत कँवरराम साहिब सिंधी अध्ययन केंद्र के मानद निदेशक प्रो.आर.के. सिंह ने बताया कि भविष्य में सिंध समाज के बीच जाकर भाषा, साहित्य और संस्कृति के लिए अध्ययन केंद्र और अनेक आयाम जोड़ेगा।

सलाहकार ज्ञानप्रकाश टेकचंदानी 'सरल' ने सिंधी युवाओं से सिंधी संस्कृति के संरक्षण के लिए सिंधी विषय से अवध विश्वविद्यालय में एम.ए. कोर्स में एडमिशन लेने की अपील की।

इस अवसर पर सिंधी काउंसिल ऑफ इण्डिया के जिलाध्यक्ष डॉ.महेश सुरतानी, महामंत्री पवन जीवानी, युवाशाखा के महामंत्री नरेंद्र क्षेत्रपाल, जे. बी. बालदसदन की प्रिंसिपल अंजलि ज्ञाप्रटे, संस्कृति कर्मी विश्वप्रकाश रूपन, मुखिया देवकुमार क्षेत्रपाल, धर्मपाल रावलानी, अमृत राजपाल सहित अनेकों सिंधी युवा उपस्थित रहें।

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