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रेडियोलॉजिस्ट की देशव्यापी हड़ताल, आगरा में स्वास्थ्य जांच का काम ठप
पीसीपीएनडीटी अधिनियम के अनुसार गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड करने से पूर्व फॉर्म 'एफ' भरना अनिवार्य है। फॉर्म में अगर किसी तरह की गलती रह जाती है तो इसे कानूनी अपराध, जैसे कन्या भ्रूण हत्या, माना जाता है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन कैंसल करके मशीन को सील कर दिया जाता है और आपराधिक कार्रवाई का सामना करना पड़ता है।
आगरा: रेडियोलॉजिस्ट की देशव्यापी हड़ताल के पहले दिन ताजनगरी में रेडियोलॉजी से जुड़े कामकाज ठप हो गए हैं। ये रेडियोलॉजिस्ट पीसीपीएनडीटी अधिनियम का विरोध कर रहे हैं। हड़ताली रेडियोलॉजिस्ट ने कहा है कि मांगे न माने जाने तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी।
बेमियादी बंदी
-रेडियोलॉजिस्ट ने कहा कि हड़ताल के दौरान देश भर के सभी अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन सेंटर बंद हैं।
-हड़ताली रेडियोलॉजिस्ट ने कहा कि अगर सरकार मांगों पर तत्काल विचार नहीं करती तो 2 सितंबर से देश भर के अन्य जांच सेंटर भी बंद कर दिए जाएंगे।
-रेडियोलॉजिस्ट का आरोप है कि विभागीय अधिकारी इस नियम की आड़ में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।
-उनका आरोप है कि पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के कठोर प्रावधानों के तहत लिंग निर्धारण से कोई संबंध न होने पर भी मामूली गलतियों की वजह से रेडियोलॉजिस्ट अपराधी करार दिए जाते हैं।
क्या है पीसीपीएनडीटी
-पीसीपीएनडीटी अधिनियम के अनुसार गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड करने से पूर्व फॉर्म 'एफ' भरना अनिवार्य है।
-इस फॉर्म में मरीज की निजी जानकारी और अल्ट्रासाउंड से संबंधित करीब 26 सवाल हैं।
-फॉर्म में अगर किसी तरह की गलती रह जाती है तो इसे कानूनी अपराध, जैसे कन्या भ्रूण हत्या, माना जाता है।
-रेडियोलॉजिस्ट का कहा है कि कई बार मरीज खुद ही फोन नम्बर, बच्चों की संख्या, पता आदि जानकारी गलत लिखवा देते हैं।
-आगरा चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. अरविंद गुप्ता का आरोप है कि ऐसे मामलों में अक्सर प्रैक्टिशनर का रजिस्ट्रेशन कैंसल करके मशीन को सील कर दिया जाता है और डॉक्टर को मामूली लिपिकीय गलतियों की वजह से अदालत में आपराधिक कार्रवाई का सामना करना पड़ता है।