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चने वाले बाबा को 2.6 मिलियन लोगों ने किया सैल्यूट, न्यूजट्रैक को सराहा
रायबरेली में सडक़ के किनारे चना बेचने वाले 98के बुजुर्ग के बारे में newstrack.com ने सबसे पहले खबर प्रकाशित की। 98 साल का बुजुर्ग बेच रहा था चने, विधायक अदिति सिंह ने दिये 11 हजार
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ :बड़े बुजुर्गों ने कहा है कि जैसा खाओ अन्न, वैसा बने मन। यह बात रायबरेली के चने वाले बाबा पर बिल्कुल सटीक बैठती है। अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी देने वाला चना बेचने वाले 98 साल के बुजुर्ग न केवल स्वस्थ व तंदुरुस्त हैं बल्कि इनके हाथ का बना चना खाने वाले भी स्वस्थ रहते हैं। यही वजह है कि चने वाले बाबा के पास लोगों की लाइन लग जाती है।
बाबा लोगों को इस उम्र में भी चना इसलिए खिला रहे हैं जिससे वह भी स्वस्थ रहें और अपने हाथ-पैर का इस्तेमाल करते रहें, बल्कि चना खाकर दूसरे लोग भी जंक फूड का इस्तेमाल करने से बचे रहें। शायद यही वजह है कि चने वाले बाबा का वीडियो न्यूजट्रैक पर खूब पसंद किया जा रहा है।
विधायक अदिति सिंह ने दिये 11 हजार
रायबरेली में सडक़ के किनारे चना बेचने वाले 98के बुजुर्ग के बारे में newstrack.com ने सबसे पहले खबर प्रकाशित की। 98 साल का बुजुर्ग बेच रहा था चने, विधायक अदिति सिंह ने दिये 11 हजार... newstrack.com के यूट्यूब पर अपलोड किये गए वीडियो को संवेदनशील रीडर्स व व्यूअर्स का असीम प्यार मिला है।
26 लाख से अधिक लोगों ने देखा
मात्र चार दिन के अंतराल में इस वीडियो को 26 लाख से अधिक लोगों द्वारा देखा गया। इस वीडियो पर 2800 लोगों के कमेंट आए हैं। जो हमारे व्यूअर्स की संवेदनशील भावना को व्यक्त करते हैं। इससे एक बात साबित होती है कि अर्थ प्रधान इस युग में जब सब कुछ रुपये पैसे के तराजू पर तौला जा रहा है, लोगों का आज भी रिश्तों-नातों और मानवीय मूल्यों से भावनात्मक जुड़ाव सर्वाधिक है।
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न्यूजट्रैक डॉट कॉम पर सामाजिक मुद्दों से जुड़ी खबर
आज के दौर में सामाजिक मुद्दों या हमारे सरोकारों को मीडिया में बहुत कम महत्व मिलता है। लेकिन न्यूजट्रैक डॉट कॉम (newstrack.com) आज भी इसे आवश्यक और समाज के लिए जरूरी मानते हुए इस दिशा में लगातार पहल करता रहता है। न्यूजट्रैक के इस वीडियो में बहुत छोटा सा संदेश छिपा है कि 98 साल का बुजुर्ग न सिर्फ अपनी आर्थिक जरूरतों के लिए भीगे चने बेच रहा है बल्कि खुद अपने स्वस्थ जीवन के लिए कर्म को पूजा मानते हुए चना बेच रहा है। उन्होंने न्यूजट्रैक डॉट कॉम को बताया कि वह चना इसलिए बेच रहे हैं क्योंकि घर में पड़े हाथ पैर जकड़ रहे थे। स्वस्थ रहने के लिए चना बेच रहा हूं।
भारतेन्दु हरिश्चंद ने पहले ही गढ़ा था किरदार
चना कितना स्वास्थ्य वर्धक है इस पर तो भारतेन्दु हरिश्चंद ने बहुत पहले अपने नाटक अंधेर नगरी में लिख दिया था। नाटक में एक किरदार चना बेचता है। चने जोर गरम-चने बनावैं घासीराम। निज की झोली में दुकान।चना चुरमुर चुरमुर बोले। बाबू खाने को मुंह खोले।चना खावै तौकी मैना। बोलै अच्छा बना चबैना।चना खाए गफूरन मुन्ना। बोलै और नहीं कुछ सुन्ना। चना खाते सब बंगाली। जिन धोती ढीली ढाली। चना खाते मियां जुलाहे। डाढ़ी हिलती गाह बगाहे।चना हाकिम सब जो खाते। सब पर दूना टिकस लगाते। चने जोर गरम- टके सेर।
चना जोर गरम..............
इसी गाने को मनोज कुमार ने अपनी फिल्म क्रांति में गाने के रूप में लिया था- मेरा चना बना है आला, जिसमे डाला गरम मसाला, इसको खायेगा दिलवाला, चना जोर गरम। मेरा चना खा गया गोरा, गोरा खा के बन गया तगड़ा घोडा, मैंने पकड़ के उसे मरोड़ा, मार के तांगड़ी उसको तोड़ा,चना जोर गरम।
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पेंशन की बात
आयुर्वेद में भी इसका महत्व बताया गया है। मजे की बात यह है कि लोगों को भी यह खूब भाया है। हालांकि ज्यादातर संवेदनशील लोगों ने बुजुर्गों के लिए पेंशन उनकी देखभाल की बात की है। कुछ लोगों ने इसे वर्तमान हालात से जोड़ कर लिखा है कि आने वाले समय में तमाम लोग इस कतार में नजर आएंगे।