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रायबरेली 2017 : जनाकांक्षाओं की पूर्ति में शासन और प्रशासन फिसड्डी

raghvendra
Published on: 29 Dec 2017 2:20 PM IST
रायबरेली 2017 : जनाकांक्षाओं की पूर्ति में शासन और प्रशासन फिसड्डी
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रायबरेली : 2017 में जनपद ने क्या खोया क्या पाया, इसे साधारण शब्दों में यूं कहा जा सकता है कि जनाकांक्षाओं की पूर्ति में शासन और प्रशासन फिसड्डी साबित हुआ है। देश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला रायबरेली केंद्र में सरकार बदलने के बाद उपेक्षा का शिकार रहा। बीते तीन सालों में जिले में कोई भी नई केन्द्रीय परियोजना स्थापित नही हुई। दूसरी ओर पूर्ववर्ती सरकार की योजनाएं भी हांफ कर चल रही है।

रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी ने भले ही पार्टी की जिम्मेदारी राहुल गांधी को सौप दी हो,लेकिन अपने संसदीय क्षेत्र की जनता से मिलने के लिए इस साल एक बार भी सोनिया गांधी रायबरेली नहीं आई जिससे जनता के बीच कई सवाल उठ रहे हैं। इसी दौरान विधानसभा चुनावों में तीन सीटें जीतकर भाजपा ने जिले में उल्लेखनीय उपस्थित दर्ज करवाई।

नहीं पूरा हो सका एम्स का सपना

इस साल पंचायती राज विभाग ने 2013-14 में हुए निर्मल भारत अभियान के 59 लाख के घोटाले की एफआईआर तो दर्ज करवाई, लेकिन अभी तक दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सरकारी विभागों से लेकर सामाजिक संस्थाओं के छपास रोग के चलते स्वच्छता अभियान खानापूर्ति साबित हुआ।

बालू-सीमेंट की बढ़ी हुई कीमतों के चलते ओडीएफ की रफ्तार सुस्त पड़ गयी। वहीं रायबरेली शिक्षामित्रों व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के ऐतिहासिक आंदोलन का भी साक्षी बना। स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देने के लिए एम्स का सपना इस वर्ष भी पूरा नही हो सका।

जनपद छोडि़ए शहर की मुख्य सडक़ें भी गड्ढामुक्त नहीं हो सकीं। ग्रामीण चिकित्सा व्यवस्था भरभरा चुकी है। जनपद के एकमात्र जिला चिकित्सालय की हालत दयनीय हो चुकी है। नगरपालिका की उदासीनता के चलते शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा नहीं मिल सका।

शासकीय योजनाएं घोटालों की भेंट चढ़ गयीं। जनपद नए वर्ष में उम्मीदों की किरण के साथ प्रवेश को तैयार है। उम्मीद है कि इस वर्ष शहर को गड्ढामुक्त सडक़ें,बेहतर चिकित्सा व्यवस्था, भ्रष्टाचार विहीन प्रशासन मिलेगा।

पूरे देश में सुनाई पड़ी दो घटनाओं की गूंज

2017 में जनपद में दो बड़े हादसे हुए जिनकी गूंज पूरे देश में सुनाई पड़ी। भारत की नवरत्न कंपनियों में शामिल एनटीपीसी ऊंचाहार में बीती 1 नवम्बर को ऐश पाइपलाइन फटने के भीषण दर्दनाक हादसा हुआ। 42 लोग काल के मुंह में समा गए जबकि 85 व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए जिसकी टीस हमेशा बनी रहेगी।

वहीं ऊंचाहार क्षेत्र के ही आप्टा गांव में पांच नवयुवकों की हत्या की घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बनी। इसे लेकर खूब राजनीति भी हुई और अब यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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