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रायबरेली: अपनी गलती पर पर्दा डालते रहे CMO, सबके सामने डीएम को ठहराया दोषी

रायबरेली के डीएम वैभव श्रीवास्तव पर मीटिंग में अभद्र भाषा उपयोग का आरोप लगाने वाले डॉक्टर संजय शर्मा ने शिकायत का मौका तब चुना जब रायबरेली जिला प्रशासन की ओर से बार-बार उनसे स्पष्टीकरण मांगा जा रहा था।

Newstrack
Published on: 9 Sept 2020 11:00 AM IST
रायबरेली: अपनी गलती पर पर्दा डालते रहे CMO, सबके सामने डीएम को ठहराया दोषी
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रायबरेली से बड़ी खबर: DM को बचाने आई पूर्व DM, CMO को बताया लापरवाह (social media)

लखनऊ: रायबरेली के डीएम वैभव श्रीवास्तव पर मीटिंग में अभद्र भाषा उपयोग का आरोप लगाने वाले डॉक्टर संजय शर्मा ने शिकायत का मौका तब चुना जब रायबरेली जिला प्रशासन की ओर से बार-बार उनसे स्पष्टीकरण मांगा जा रहा था। कठोर चेतावनी का स्तर पार कर चुके सीएमओ के खिलाफ 4 सितंबर को डीएम ने अपर मुख्य सचिव के समक्ष उनकी लापरवाही का कच्चा चिट्ठा खोल दिया। शासन स्‍तर से पहले भी निंदा प्रविष्टि का दंड पा चुके सीएमओ ने कोई बड़ी कार्रवाई होने से पहले ही दुर्व्‍यवहार का बड़ा दांव चलकर कोविड-19 मरीजों के साथ किए जा रहे अपने अपराध को चर्चा से बाहर कर दिया।

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रायबरेली के सीएमओ डॉक्टर संजय शर्मा अपनी ड्यूटी से गाफिल दिखाई दे रहे थे

कोविड-19 संक्रमित रोगियों का इलाज करने के लिए पूरे देश में डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया गया। उन पर आसमान से भी फूलों की वर्षा की गई लेकिन जब यह सब हो रहा था तो रायबरेली के सीएमओ डॉक्टर संजय शर्मा अपनी ड्यूटी से गाफिल दिखाई दे रहे थे। अप्रैल महीने में उनकी लापरवाही सामने दिखने लगी थी। तत्कालीन डीएम रायबरेली शुभ्रा सक्सेना ने उन्हें गड़बड़ियां दूर करने के लिए पत्र लिखकर चेतावनी भी दी लेकिन उन्होंने ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। इसके बाद उन्‍होंने प्रमुख सचिव स्‍वास्‍थ्‍य को भी सीएमओ की कारगुजारी लिखित तौर पर बताई। शुभ्रा सक्सेना के बाद कार्यभार संभालने वाले वैभव श्रीवास्तव में भी उन्हें बार-बार चेतावनी और कठोर चेतावनी पत्र जारी किए।

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सीएमओ ने करोड़ों रुपए का बजट होने के बावजूद चिकित्सा सुविधाओं को बहाल करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई । अस्पतालों में भर्ती मरीज शिकायत करते रहे। अस्‍पताल में तैनात चिकित्सा स्टॉफ ने भी उनकी शिकायत जिलाधिकारी से की और बताया कि अस्पताल में ड़यूटी के दौरान भोजन से लेकर संक्रमण बचाव किट उपलब्ध कराने में लापरवाही की जा रही है। जिलाधिकारी मुख्य विकास अधिकारी और एसडीएम की ओर से उन्हें बार-बार सूचना दी गई।

डीएम वैभव श्रीवास्तव ने 4 सितंबर को मुख्य सचिव को डॉक्टर संजय शर्मा की लापरवाही का कच्चा चिट्ठा भेज दिया

प्रमुख सचिव स्‍वास्‍थ्‍य ने उनकी निंदा प्रविष्टि भी की। इसके बावजूद जब हालात नहीं सुधरे तो डीएम वैभव श्रीवास्तव ने 4 सितंबर को मुख्य सचिव को डॉक्टर संजय शर्मा की लापरवाही का कच्चा चिट्ठा भेज दिया। इसकी जानकारी मिलते ही सीएमओ की ओर से डीएम पर गंभीर आरोप लगाए गए। मामले को अलग रंग देने की कोशिश करने से नाराज अब उत्तर प्रदेश मिनिस्ट्रियल कलेक्‍ट्रेट कर्मचारी संघ और उत्‍तर प्रदेश सिविल सेवा संघ भी लड़ाई में कूद पड़ा है और सीएमओ के खिलाफ उन तथ्यों को सार्वजनिक कर दिया है जो सीएमओ की पोल खोल रहे हैं।

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सिविल सेवा संघ का कहना है

सिविल सेवा संघ का कहना है कि दरअसल सीएमओ ने कोरोना पीड़ितों के साथ जो खिलवाड़ किया है वह डॉक्टर पेशे को बदनाम करने के साथ ही मानवता के साथ सबसे किया गया बड़ा दुर्व्यवहार है। कार्रवाई से बचने की पेशबंदी में उन्‍होंने आधारहीन आरोप लगाए हैं।

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चार सितंबर की बैठक में क्‍यों हुआ हंगामा

सीएमओ डॉ संजय शर्मा ने जिस बैठक में अपने साथ दुर्व्‍यवहार का जिक्र किया है उस बैठक से संबंधित पत्र भी जिलाधिकारी की ओर से जारी किया गया है। सीएमओ और सीडीओ समेत अन्‍य अधिकारियों को भेजे इस पत्र में बताया गया है कि समीक्षा बैठक के दौरान यह त‍थ्‍य सामने आया कि जिला रायबरेली के पोर्टल पर कोविड के 460 सक्रिय रोगी दर्ज हैं जबकि बैठक में सीएमओ ने 348 सक्रिय रोगी बताए। सही आंकडा क्‍या है इसकी कोई जानकारी सीएमओ के पास नहीं थी। यही इतना नहीं वह यह भी नहीं बता सके कि जिले में कोरोना संक्रमित कितने मरीजों की मृत्‍यु हो चुकी है और उनकी मौत की वजह क्‍या है।

बैठक में कोविड रोगियों के लिए भोजन व्‍यवस्‍था के प्रभारी डॉ मनोज शुक्‍ला उपस्थित नहीं हुए। उनके बारे में सीएमओ कोई जानकारी नहीं दे सके, बल्कि उल्‍टा- पुल्‍टा बताते रहे कि वह ड़यूटी पर हो भी सकते हैं नहीं भी। जब मीटिंग में उनसे डॉ शुक्‍ला को फोनकर जानकारी लेने के लिए कहा गया तो पता चला कि डॉ शुक्‍ला लखनऊ में हैं। बाद में सीएमओ की ओर से दावा किया गया कि डॉ शुक्‍ला अवकाश पर थे लेकिन मीटिंग के दौरान उन्‍हें यह जानकारी नहीं थी।

अखिलेश तिवारी

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