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Raebareli News: 6 हजार से अधिक दिव्यांग, अधिकारियों के ऑफिस का चक्कर लगाने को मजबूर, जानें वजह
Raebareli News: लगभग 6000 से अधिक दिव्यांगों को अपना दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। लेकिन दिव्यांगों के कल्याण और उनकी समस्याओं को कम करने के लिए जिले में तैनात जिला दिव्यांग कल्याण अधिकारी उनकी मूलभूत समस्याओं से बेखबर है।
Raebareli News: पीएम नरेंद्र मोदी ने दिव्यांगों को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए भले ही दिव्यांग मंत्रालय का गठन किया हो लेकिन मंत्रालय बनने के कई साल बीतने के बाद भी दिव्यांगों को मूलभूत समस्याएं नहीं मिल पा रही है। मामला रायबरेली के उद्यान राज्य मंत्री के गृह जनपद रायबरेली का है जहां के लगभग 6000 से अधिक दिव्यांगों को अपना दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। लेकिन दिव्यांगों के कल्याण और उनकी समस्याओं को कम करने के लिए जिले में तैनात जिला दिव्यांग कल्याण अधिकारी उनकी मूलभूत समस्याओं से बेखबर है।
गौरतलब है कि दिव्यांगों को सरकार द्वारा जो भी सुविधाओं का लाभ मिलता है वह दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर ही दिया जाता है। अगर आंकड़ों की बात करें तो रायबरेली के प्राथमिक विद्यालयों में लगभग 6000 से अधिक दिव्यांग बच्चों शिक्षा ले रहे हैं। उनमें से लगभग ढाई हजार मानसिक रूप से दिव्यांग है और 1000 मूकबधिर दिव्यांग है जिनका प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है। दिव्यांग बच्चों के परिजन जब बेसिक शिक्षा अधिकारी के सामने अपनी समस्या रखते हैं तो उन्हें सिर्फ आश्वासन मिलता है। इसी तरह अगर दिव्यांग और उनके परिजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय जाकर अपना प्रमाण पत्र बनवाने की कोशिश करते हैं तो वहां से उन्हें यह पता लगता है कि सीएमओ ऑफिस में वह मशीन नहीं है जिससे कि उनके दिव्यांगता का प्रतिशत निकाला जा सके और प्रमाण पत्र जारी किया जा सके।
इन्हीं सब कठिनाइयों को दूर करने के लिए सरकार ने जिलों में जिला दिव्यांग कल्याण अधिकारी को नामित किया है लेकिन वह भी केवल अधिकारियों के साथ मीटिंग की ही शोभा बढ़ाते नजर आते हैं। रायबरेली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से जब इस मामले पर जानकारी लेने की कोशिश की गई तो उन्होंने कहा कि मुख वजह बच्चन की वस्तु स्थिति जानने के लिए रायबरेली में ना तो मशीन हैं और ना ही कोई व्यवस्था। ऐसे में उनको दिव्यांग प्रमाण पत्र कैसे जारी किया जाए। इसके लिए उन्हें लखनऊ जाना चाहिए और इससे जुड़े हुए टेस्ट करवानी चाहिए जिसके बाद उनका प्रमाण पत्र बन सकता है। दिव्यांगों के सामने बड़ी समस्या लखनऊ जाने की है। वह लखनऊ तक जाए तो किस तरह जाए। बेलीगंज की छात्राएं 1. सालू 2.पायल 3. मोहनी 4. सर्फराज जैसे मूक बधिर बच्चों की समस्या का निदान कैसे हो पायेगा। जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने कहा कि दिव्यांगों की समस्याओं को लेकर सरकार गंभीर है। वह इस तरह के मामलों की जांच करवा कर दिव्यांगों की समस्याओं को दूर करने की कोशिश करेगी।