Raebareli News: गंगापुल की हालत जर्जर, संज्ञान नहीं ले रहे जिम्मेदार, हो सकता है बड़ा हादसा

Raebareli News: 1970 में बने गंगा पुल की हालत जर्जर हो चुकी है। भारी वाहन जाने पर पुल में कंपन होता है। मगर प्रशासन के कानों पर जूं नहीं रेंग रहा है।

Narendra Singh
Published on: 7 July 2024 8:21 AM GMT (Updated on: 9 July 2024 6:02 AM GMT)
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जर्जर पुल। (Pic: Newstrack)

Raebareli News: सांसद राहुल गांधी के जिले में भी एक गंगापुल ऐसा है जिसपर किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। पुल को करीब 50 साल बने हो चुके हैं। गंगापुल बेहद जर्जर हो चुका है लेकिन जिले में बैठे हुए अधिकारी हादसे का इंतजार कर रहे हैं। गंगा नदी पर एक किलोमीटर से अधिक लंबा पुल बना हुआ है जो की काफी समय से जगह-जगह क्षतिग्रस्त है। दरअसल इस गंगा पुल की अगर बात करें तो यह बांदा बहराइच NH 232 पर गेगासो गंगा घाट पर बना हुआ है। यह गंगापुल फतेहपुर और रायबरेली जिले को जोड़ता है।

1970 में बना था पुल

1970 में इंदिरा गांधी ने इसका शिलान्यास किया था और करीब 5 वर्ष इस पुल को बनने में लगे। 75 में बन गया उसके बाद 1977 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री राज नारायण ने इसका उद्घाटन किया। जिस समय इस पुल का निर्माण किया गया था उस समय छोटे छह पहियों के ट्रक चला करते थे। दिन भर में 5 से 6 ट्रक ही निकलते थे। इसके अलावा चार रोडवेज बसें चला करती थी जो की फतेहपुर से रायबरेली और लखनऊ जाती थीं। सबसे ज्यादा पैदल यात्री, साइकिल सवार और उसके अलावा बैलगाड़ियों और तांगा निकलते थे। जानकारों की माने तो जो ट्रक निकलते थे वे 4 से 5 टन वजन मौरंग और पत्थर लेकर निकलते थे। पुल वही है और उस समय के मानक के अनुरूप पुल बना था। लेकिन धीरे-धीरे कर ट्रैफिक इतना बढ़ गया की सैकड़ो की संख्या में ट्रक गिट्टी और मौरंग लेकर निकलने लगे। धीरे-धीरे चार पहिया वाहन काफी संख्या में निकलने लगे जिसके चलते 20 वर्ष पहले इसका कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसके चलते आवागमन रोक दिया गया था।

भारी वाहन जाने पर हिलता है पुल

रिपेयरिंग के बाद चालू कर दिया गया। लेकिन मौजूदा समय में हालत यह है कि पुल पर भारी वाहन जब निकलते हैं तो काफी तेज हिलता है और मौजूदा समय में इस पुल पर अगर ट्रैफिक की बात करें 24 घंटे में 3 से 4000 ट्रक निकलते हैं। जो करीब 70 से 80 टन वजन लेकर बड़े-बड़े ट्रक निकलते हैं। ट्रैफिक से भरे इस पुल के बारे में कोई गंभीरता से नहीं ध्यान दे रहा है। जबकि पुल को करीब 50 साल होने वाले हैं। पुल कई जगह क्षतिग्रस्त भी हो गया है जो तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है। इस पल की पूरी जिम्मेदारी रायबरेली जिले में बैठे अधिकारियों की है क्योंकि पूरा गंगा पुल रायबरेली जिले में आता है और पुल पार करने के बाद फतेहपुर जनपद शुरू होता है। बांदा और मध्य प्रदेश से मौरंग और गिट्टी लेकर इसी पुल से पार करके रायबरेली समेत लखनऊ, फैजाबाद, बाराबंकी, प्रतापगढ़, अमेठी, सुल्तानपुर समेत कई जिलों में ट्रक पहुंचते हैं।

तकनीकी तौर पर भी खराब पुल

बताया जाता है कि कानपुर के जाजमऊ और इलाहाबाद में बने गंगा पुल के पास नए पुल दूसरे बन चुके हैं लेकिन उसके साथ बना यह रायबरेली के गेगासो गंगा घाट पर गंगा पुल आज भी मानकों से 10 गुना भार लेकर वाहनों को निकाल रहा है। पुल की हालत तकनीकी तौर पर देखी जाए तो भी खराब हो चुकी है। ऐसे में लगता है कि बिहार जैसा हादसा जब होगा तभी अधिकारी संज्ञान लेंगे। अब देखना यह है कि इस गंगा में बने पुल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त रूप के बाद क्या इस गंगापुल को जांच करने के लिए कोई टीम पहुंचती है या नहीं।

डीएम ने दिया आश्वसन

फिलहाल करीब 50 वर्ष इस गेगासो गंगा पुल के जर्जर हालत में पूरे हो रहे हैं। गेगासो गंगापुल की हालत देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। गेगासों गंगा घाट के आसपास रहने वाले लोगों से भी इस पुल के बारे में बात की जिसमें पुल के बनने के दौरान मजदूरी करने वाले एक बुजुर्ग ने भी पुल के बारे में बताया। वही जब इस पुल के बारे में जिला अधकारी हर्षिता माथुर से बात की गई तो उन्होंने कहा की जांच टीम बनाकर जांच कराई जाएगी और पुराने पुल को दुरुस्त कराया जाएगा।

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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