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Raebareli News: सोनिया गांधी के गोद लिए गांव की ‘अनाथ’ जैसी हालत, अमर शहीद राणा बेनी माधव की जन्मस्थली बदहाल
Raebareli Newsदेश की सर्वोच्च लीडरशिप में शामिल रहीं सोनिया गांधी के गोद लिए गांव की हालत बदहाल है। यहां के लोग अपने गांव की स्थिति पर आंसू बहाते नजर आ रहे हैं।
Raebareli News: विकास का दम भरने में सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, कोई कसर नहीं छोड़ता है। इसी क्रम में सांसदों द्वारा एक-एक गांव को गोद लेकर वहां विकास की गंगा बहाने का दावा किया गया था। लेकिन बहुत से ऐसे गांव हैं, जहां ऐसा नहीं हो सका। यहां तक की देश की सर्वोच्च लीडरशिप में शामिल रहीं सोनिया गांधी के गोद लिए गांव की हालत बदहाल है। यहां के लोग अपने गांव की स्थिति पर आंसू बहाते नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि यहां जो नागरिक सुविधाओं संबंधी कार्य होते भी हैं, वो ग्राम पंचायत से होते हैं, सांसद निधि के नाम पर यहां कोई विकास कार्य नहीं किया गया है।
वर्ष 2014 में सोनिया गांधी ने गोद लिया था गांव
जिला मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर जगतपुर विकासखंड का गांव उड़वा स्वतंत्रता संग्राम के महानायक अमर शहीद राना बेनी माधव सिंह की जन्मस्थली है। इस ऐतिहासिक गांव को वर्ष 2014 में जिले की सांसद सोनिया गांधी ने आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था। यहां विकास की नई इबारत लिखने का दावा किया गया मगर, हकीकत इससे कोसों दूर है। इस गांव को गोद लिए नौ वर्ष पूरे हो चुके हैं। पूरा एक दशक बीतने वाला है, लेकिन यहां विकास के बजाए पिछड़ापन ही ज्यादा नजर आता है।
ग्रामीणों ने कहा- जबसे गोद लिया, और बिगड़ी हालत
‘न्यूज़ट्रैक’ ने जब उड़वा गांव पहुंच कर हकीकत जानने की कोशिश की तो यहां के लोगों ने जो हकीकत बयां की, वह बहुत ही भयावह नजर आई। यहां के रहने वाले दर्शन लाल ने बताया कि जबसे सोनिया गांधी ने इसे गोद लिया है, तबसे इस गांव की हालत और भी बदतर हो गई है। उन्होंने कहा कि जिस रोड से आप लोग आए हुए हैं। उस रोड की हालत खराब है। कहा जा रहा था कि गोद लेने के बाद गांव का विकास होगा लेकिन इस गांव में विकास नाम की कोई चीज है। यहां रहने वाले अनिल यादव ने बताया आठ-नौ साल से उड़वा गांव का तरक्की की ओर नहीं बढ़ा है, यहां जो बुनियादी सुविधाएं थीं, करीब-करीब वैसे ही हालात बने हुए हैं।
छह हजार है गांव की आबादी
उड़वा गांव सभा की कुल आबादी करीब छह हजार है। यहां शिक्षा के नाम पर एक-एक प्राथमिक विद्यालय और जूनियर विद्यालय हैं। गांव से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की दूरी तकरीबन सात किमी है। कुल आबादी की 90 फीसद जनता खेती पर निर्भर है। लेकिन यहां सिंचाई के साधनों का उचित इंतजाम नहीं है। निजी नलकूप के भरोसे ही किसान अन्न उपजा रहे हैं।
‘सीएम को आना चाहिए इस गांव में’
गांव के रहने वाले मेहताब अली ने बताया कि यहां पर विकास तो नहीं हुआ, मुश्किलें जरूर बढ़ी हैं। खेती के लिए पानी मुश्किल से मिल पाता है। सड़कें टूटी हुई हैं, रोजगार बड़ी समस्या है और गांव के बहुत से नवयुवक रोजी-रोटी कमाने के लिए बाहर जाने को मजबूर होते हैं। उन्होंने कहा- ‘हमने सुना था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी रायबरेली आए थे। कम से कम उन्हें यहां आना चाहिए था, ये अमर शहीद राणा बेनी माधव की जन्मस्थली है। उन्हें इस गांव की हकीकत जाननी चाहिए थी।’
मंदिरों को है जीर्णोद्धार का इंतजार
यहां के रहने वाले शिवकरण यादव ने बताया कि गांव में कई प्राचीन मंदिर हैं। जो टूटे-फूटे व खंडहर जैसे होते जा रहे हैं। धार्मिक स्थलों के विकास के नाम पर यहां कोई काम नहीं कराया गया।
ग्राम पंचायत से होते हैं विकास कार्य
ग्रमीणों ने कहा कि यहां जो भी विकास हुआ है, वह ग्राम पंचायत से हुआ है। जो भी नाली, खड़ंजा बना वह सिर्फ ग्राम पंचायत ने बनवाया है। सांसद निधि से यहां काम के नाम पर कुछ नहीं हुआ है। गांव में रहने वाले ब्रह्म बहादुर यादव ने कहा कि विकास के नाम पर सिर्फ हवाबाजी की गई है। हकीकत में कुछ भी नहीं हुआ है। यह गांव रायबरेली का सबसे पिछड़ा गांव है।