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क्या रिवर फ्रंट मामले में जाएगी, राहुल भटनागर की कुर्सी........

Rishi
Published on: 19 Jun 2017 3:09 PM IST
क्या रिवर फ्रंट मामले में जाएगी, राहुल भटनागर की कुर्सी........
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योगेश मिश्र

लखनऊ। खन्ना कमेटी की सिफारिशों पर अमल हुआ तो मुख्य सचिव राहुल भटनागर को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ सकती है। कमेटी की रिपोर्ट को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने एक पेज के पत्र के साथ कार्यवाही के लिए हालांकि मुख्यसचिव के पास ही भेज दिया है। रिवर फ्रंट मामले में हुई गड़बड़ियों में अपने पूर्ववर्ती आलोक रंजन की जिम्मेदारी तय कराने में राहुल भटनागर खुद ही उलझते नज़र आ रहे हैं।

खन्ना कमेटी ने रिवर फ्रंट मामले की जांच रिपोर्ट में चार सिफारिशें की है। पहली सिफारिश में कहा गया है कि जिन अभियंताओं के खिलाफ वित्तीय अनियमितताएं सामने आयी हैं उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए। दूसरा, रिवर फ्रंट मामले में जहां जहां आपराधिक कृत्य उजागर होता है वहां वहां सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए। तीसरा, टास्क फोर्स/अनुश्रवण समिति अथवा कहीं भी पर्यवेक्षणीय शिथिलता दिखाई पड़ती है तो ऐसे जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाय। चौथी और अंतिम सिफारिश कमेटी ने यह की है कि कम से कम धनराशि खर्च कर परियोजना पूरी कर दी जाय।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पत्र के मुताबिक जांच रिपोर्ट पर अमल हुआ तो सीबीआई जांच सिर्फ उन मामलों में ही लिखी जाएगी जहां जहां आपराधिक कृत्य उजागर हुआ है, अथवा जिन अफसरों के खिलाफ वित्तीय अनियमितता में प्राथमिकी दर्ज हो। इस लिहाज से सीबीआई जांच की जद से पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और वर्तमान मुख्य सचिव राहुल भटनागर दोनों बाहर निकल जाते है।

लेकिन कमेटी की तीसरी सिफारिश के मुताबिक पर्यवेक्षणीय शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच की जो बात कही गयी है उसकी गाज मुख्यसचिव राहुल भटनागर पर भी गिरती नज़र आ रही है। खन्ना कमेटी की रिपोर्ट ने पर्यवेक्षणीय शिथिलता के मामले में वर्तमान और पूर्व दोनों मुख्य सचिव में से किसी के साथ भेदभाव नहीं किया है।

हालांकि आलोक सिंह कमेटी की रिपोर्ट ने इस बाबत भेद करते हुए यहां तक लिखा है कि मुख्य सचिव रहते हुए टास्क फोर्स के अध्यक्ष के पद पर आलोक रंजन पर्यवेक्षणीय शिथिलता के जिम्मेदार है। जबकि राहुल भटनागर को यह कहकर क्लीन चिट थमा दी कि उनका कालखंड छोटा है। पर खन्ना कमेटी की रिपोर्ट ऐसा नहीं करती है।

अगर सिर्फ आपराधिक कृत्य के मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश सरकार की ओर से की जाती है तो राहुल भटनागर विभागीय जांच की जद में जरुर आएंगे। उनके मुख्य सचिव रहते कोई भी अधिकारी उनके खिलाफ विभागीय जांच नहीं कर सकता नतीजतन, उन्हें जांच शुरु होते ही पद से हटाना होगा।

दूसरी ओर अगर पूरे रिवर फ्रंट की जांच अगर सीबीआई के हवाले जाती है तो भी राहुल भटनागर पद पर बने रहने के अधिकारी नहीं रह जाएंगे। हालांकि आलोक रंजन के कालखंड तक टास्क फोर्स ने जो भी निर्णय लिए अथवा बैठकें की उन सबको 25 जुलाई 2016 की कैबिनेट से अऩुमोदन करवा रखा है।

अलोक रंजन इस परियोजना से सिर्फ एक भूमिका में जुडे थे जबकि राहुल भटनागर इसमें दोहरी भूमिका निभा रहे थे। एक तरफ उन्होंने बतौर प्रमुख सचिव वित्त, व्यय वित्त समिति के अध्यक्ष की हैसियत से परियोजना का धनराशि स्वीकृत की। 1900 करोड़ रुपये की इस परियोजना को 1513 करोड़ का अनुमोदन दिया। सिंचाई विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाईं दीपक सिंघल ने व्यय वित्त समिति की बैठक में पूरी परियोजना के एक एक अंश को बैठक के मिनट्स का हिस्सा बनवा रखा है।

खन्ना कमेटी की रिपोर्ट टास्क फोर्स में शामिल अन्य अफसरों पर भी उंगली उठाती है। टास्क फोर्स में तत्कालीन मुख्य सचिव के अलावा सिंचाई विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव दीपक सिंघल, तत्कालीन प्रमुख सचिव नगर विकास, प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन, सिंचाई विभाग के तत्तकालीन सचिव, तत्कालीन मंडलायुक्त लखनऊ, तत्कालीन जिलाधिकारी लखनऊ, सिंचाई के तत्कालीन प्रमुख अभियन्ता एवं विभागाध्यक्ष, मुख्य अभियंता शारदा सहायक (तत्कालीन) एवं तत्कालीन प्रबंध निदेशक जल निगम की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं।



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Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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