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राहुल के संसदीय क्षेत्र का यह गांव अब भी लालटेन युग में जीने को मजबूर

aman
By aman
Published on: 15 Jan 2018 9:49 AM IST
राहुल के संसदीय क्षेत्र का यह गांव अब भी लालटेन युग में जीने को मजबूर
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राहुल के संसदीय क्षेत्र का यह गांव अब भी लालटेन युग में जीने को मजबूर

अमेठी: उत्तर प्रदेश का अमेठी ज़िला नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ रहा है। फ़िलवक्त कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यहां से तीसरी बार सांसद चुने गए हैं। उनका दावा है के अमेठी में विकास की बयार बह रही है, लेकिन सच्चाई तो कुछ और ही है। अमेठी का विकास अंधेरों की चादर ओढ़े है। आज़ादी के 70 सालों बाद भी यहां के गांवों में लोग लालटेन की रोशनी में जीने को मजबूर हैं।

आज (15 जनवरी) ये सवाल इसलिए उठाना लाजिमी है कि क्षेत्र के सांसद और अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अपने दो दिवसीय दौरे पर अमेठी आ रहे हैं। हालांकि, आजादी के बाद इन 70 सालों में देश और प्रदेश में सबसे ज्यादा शासन कांग्रेस पार्टी ने ही किया। बावजूद इसके जिले के लोग लालटेन युग में जीने को मजबूर हैं। अब क्षेत्र के लोगों की नजर अपने 'युवराज' पर है। उन्हें एक बार फिर उम्मीद है कि शायद इस बार उन्हें इस अंधेरी दुनिया से निजात मिले।

'योगी जी हमारे गांव में लाइट पहुंचा दीजिए'

दरअसल, अमेठी के विकास पर बट्टा लगाने वाला ये मामला जिले के पूरे हेम सिंह का पुरवा मजरे रेसी गांव का है। 21वीं सदी में जहां लोग नई तकनीकों से जिंदगी संवार रहे हैं, वहीं इस गांव के लोग बिजली के अभाव में अंधेरे में जीने को मजबूर हैं। आपको बता दें, कि ऐसा भी नहीं है कि इस क्षेत्र में बिजली लाने के प्रयास नहीं हुए। जगह-जगह खंभे गाड़े गए लेकिन उन पर तार नहीं चढ़ी। गांव के लोगों की मानें, तो सपा सरकार में 15 साल पहले यहां खंभे गाड़े गए थे, लेकिन इन पर तार डालने का काम साहब लोग भूल गए। गांव के नौनिहालों की बात करें तो इनके सपने बड़े हैं। वो भी आगे बढ़ना चाहते हैं लेकिन क्या लालटेन और ढिबरी की रोशनी में इनकी पढ़ाई संभव है? इन नौनिहालों का बस यही कहना है कि योगी जी हमारे गांव में लाइट पहुंचा दीजिए, ताकि हम भी पढ़-लिखकर आगे बढ़ सकें।

राहुल के संसदीय क्षेत्र का यह गांव अब भी लालटेन युग में जीने को मजबूर

शिकायत करते थक चुके

अपनी समस्या का जिक्र करते हुए गांव के लोगों का कहना है कि 'बिजली न होने की वजह से हमें बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हम भी चाहते हैं कि हमारे बच्चे पढ़-लिखकर कुछ बनें। दुनिया कहा से कहा पहुंच गई है लेकिन हम अंधेरे में ही रात गुज़ाराने को मजबूर हैं।' गांव वाले कहते हैं 'हमारे बच्चों ने आज तक टीवी भी नहीं देखी है। ऐसा भी नहीं है कि हमारे घर में टीवी नहीं है। महिलाएं बताती हैं शादी में हमें मायके से टीवी मिला था। लेकिन इस गांव में आकर पता चला कि यहां तो आज तक लाइट ही नहीं आई है। ऐसे में हम बाहरी दुनिया से पूरी तरह अनजान रहते हैं। ग्रामीणोंं ने बताया, कि हम शिकायत करते-करते थक चुके हैं लेकिन हमारी कोई सुनने वाला नहीं।

मीडिया के माध्यम से ज़िम्मेदार को हुई खबर

इस मामले में जब अमेठी के अधीक्षण अधिशासी अभियंता पीके ओझा से बात की गई तो उन्होंने कहा, कि 'ये मामला मीडिया के माध्यम से संज्ञान में आया है। अधिकतम दो महीने में इस समस्या को निस्तारित कर दिया जाएगा।'

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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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