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श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ रेल कर्मचारी एक दिवसीय भूख हड़ताल पर

अब कभी भी किसी को भी बिना किसी गलती के नौकरी से निकाला जा सकता है। इस प्रकार श्रमिक हितों के 44 कानूनों में 41 कानून समाप्त कर श्रमिकों को बंधुआ मजदूरी वाले युग में पहुंचा दिया। सरकार को इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा।

SK Gautam
Published on: 22 May 2020 3:20 PM IST
श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ रेल कर्मचारी एक दिवसीय भूख हड़ताल पर
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झाँसी: आज हिन्द मजदूर सभा एवं एआईआरएफ के आवाह्न पर नॉर्थ सेंट्रल रेलवे मैंस यूनियन ने सरकार की श्रमिक विरोधी एवं दमनकारी नीतियों के विरोध में मंडल सचिव आर एन यादव के नेतृत्व में एक दिवसीय भूख हड़ताल की। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए आर एन यादव ने कहा कि जिस तरह से सरकार ने श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूरों के हितों पर कुठाराघात किया है। मजदूरी समय बढ़ाकर 12 घंटे का कर दिया। श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा समाप्त कर दी गई है।

हम रेल कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर मालगाड़ियों का संचालन किया

अब कभी भी किसी को भी बिना किसी गलती के नौकरी से निकाला जा सकता है। इस प्रकार श्रमिक हितों के 44 कानूनों में 41 कानून समाप्त कर श्रमिकों को बंधुआ मजदूरी वाले युग में पहुंचा दिया। सरकार को इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान जब अधिकांश देशवासी अपने-अपने घरों में सुरक्षित बैठे थे तब भी हम रेल कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर मालगाड़ियों के द्वारा जरूरी वस्तुओं को लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे थे।

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मंहगाई भत्ता रोक कर रेल कर्मचारियों का उत्पीड़न

बदले में मिला क्या? डेढ़ वर्ष तक के लिये मंहगाई भत्ते पर रोक। हमने 12 महीने तक अपने एक दिन का वेतन महामारी से निपटने के लिये सहयोग के रूप में सहर्ष देना स्वीकार किया। इसके अतिरिक्त अपनी अपनी क्षमताओं के अनुसार भी लोगों ने सहयोग किया इसके बावजूद भी तानाशाही तरीके से डेढ़ वर्ष का मंहगाई भत्ता रोक कर रेल कर्मचारियों का उत्पीड़न ही किया है। अन्य वक्ताओं ने कहा कि जिस प्रकार से अंधाधुंध तरीके से सरकार उद्यमों का निजीकरण एवं निगमीकरण कर रही है। वह भी न सिर्फ कर्मचारियों के अपितु देश के एवं जनता के हितों में भी नहीं है।

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सुरक्षा के लिये जान जोखिम में डालकर नौकरी कर रहे नौकरी

निजीकरण से सिर्फ पूंजीवाद को ही बढ़ावा मिलेगा और मजदूरों का शोषण बढ़ेगा। संकट के समय जब सभी निजी प्रतिष्ठान बंद थे यहां तक कि अपनी जान बचाने को निजी अस्पताल तक बंद थे ऐसे में सरकारी कर्मचारी ही मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी कर रहे थे और देश को तथा जनता की सुरक्षा के लिये जान जोखिम में डालकर नौकरी कर रहे थे। हड़ताल में मंडल अध्यक्ष एच एस चौहान, मनोज जाट, अशोक त्रिपाठी, नीरज उपाध्याय, राम नरेश यादव, पी के स्याल, आईलिन लाल इत्यादि मंडलीय पदाधिकारी उपस्थित रहे, इसके अतिरिक्त शाखा नंबर 1 में भावेश सिंह, शाखा नं 2 में सुनील पाल, शाखा 3 में एम पी द्विवेदी, शाखा 4 में मनोज बघेल, लोको रनिंग में अमर सिंह, डीजल एवं एसी लोको शाखा में डी के खरे, ईएमएस 1 में अजय शर्मा, ईएमएस 2 में जगत पाल सिंह के नेतृत्व में एनसीआरएमयू के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भूख हड़ताल पर रहे।



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