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राज्यसभा चुनाव की 58 सीटों के लिए चुनाव की घोषणा, वोटिंग 23 मार्च से
राज्यसभा की कुल 58 रिक्त हो रही सीटों पर चुनाव की घोषणा हो चुकी है। चुनाव घोषणा के बाद सभी दल अपने अपने समीकरण व जोड़ तोड़ बैठाने में जुट गए हैं। 2019 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों की एकजुटता की असली परीक्षा यूपी में हो होने जा रही है।
लखनऊ: राज्यसभा की कुल 58 रिक्त हो रही सीटों पर चुनाव की घोषणा हो चुकी है। चुनाव घोषणा के बाद सभी दल अपने अपने समीकरण व जोड़ तोड़ बैठाने में जुट गए हैं। 2019 के आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों की एकजुटता की असली परीक्षा यूपी में हो होने जा रही है।
23 मार्च को राज्यसभा की सीटों के लिए चुनाव होने हैं जिनमें दस सीटें उत्तर प्रदेश की भी शामिल हैं। जिसमें आठ सीटें संख्या बल के हिसाब से भारतीय जनता पार्टी (BJP) को मिलनी तय हैं। एक सीट सपा को मिल जाएगी। बची एक सीट के लिए बीजेपी के खिलाफ सपा, बसपा और कांग्रेस को एकजुट होना होगा। वरना यह सीट भी विपक्ष के हाथ से निकल जाएगी।
उत्तर प्रदेश से जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उनमें एसपी के राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल, जया बच्चन, किरणमय नंदा, दर्शन सिंह यादव, मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी हैं। इसके अलावा बीएसपी के एम. अली, बीजेपी के विनय कटियार और कांग्रेस के प्रमोद तिवारी शामिल हैं। उधर अन्य प्रमुख हस्तियों में अनु आगा, बॉलीवुड की अभिनेत्री रेखा और मशहूर क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है।
जिन 58 सीटों पर चुनाव होना है उनमें 10 उत्तर प्रदेश से, छह-छह बिहार और महाराष्ट्र से, पांच-पांच मध्यप्रदेश और पश्चिम बंगाल से, चार गुजरात और कर्नाटक से, जबकि तीन-तीन सदस्य आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और राजस्थान से शामिल हैं। दो सदस्य झारखंड से सेवानिवृत्त होंगे, जबकि छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से एक-एक सदस्य सेवानिवृत्त होंगे। केरल की एक सीट के लिए उपचुनाव भी 23 मार्च को होगा, क्योंकि एम.पी. वीरेंद्र कुमार ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
यूपी में भाजपा को रास की आठ सीटें मिलना तय इस आधार पर है क्योंकि विधानसभा में संख्या बल के मुताबिक 312 विधायकों के साथ भाजपा सबसे मजबूत स्थिति में है। और एक सीट के लिए 36 मतों की जरूरत के हिसाब से आठ सीटें मिलने में तो कोई दिक्कत है ही नहीं। अब दो सीट के लिए 72 मतों की जरुरत के हिसाब से सपा के 47, कांग्रेस के सात और बसपा के 19 विधायकों को मिलाने पर ही कुल 73 मत बनेंगे। सबकी परेशानी मायावती के रुख को लेकर है क्योंकि यदि मायावती साथ नहीं आयीं तो एक सीट निकालना नामुमकिन होगा।
उधर गुजरात से भाजपा के राज्यसभा सदस्य अरूण जेटली, पुरुषोत्तम रूपाला, मनसुख मांडविया और शंकर वेगड का कार्यकाल पूरा हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली को गुजरात की बजाय उत्तप्रदेश से राज्यसभा भेजने पर विचार चल रहा है। दरअसल- अरुण जेटली पार्टी के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। टीम मोदी में जेटली अहम हैं। ऐसे में उनको यूपी से राज्यसभा में भेजना सुरक्षित हो सकता है।
गुजरात विधानसभा में भाजपा की 99 सीटें हैं। एनसीपी और एक निर्दलीय को मिला ले तो बीजेपी पर कुल 101 सीटे होती हैं। वहीं कांग्रेस पर 81 सीटें हैं। चूंकि राज्यसभा सदस्य के निर्वाचन का अधिकार विधानसभा सदस्य को होता है। गुजरात विधानसभा 182 सदस्यीय है। चुनाव चार सीटों के लिए होना है।
राज्यसभा चुनाव का फॉर्मूला है- खाली सीटें + एक, कुल योग से विधानसभा की सदस्य संख्या से भाग देना। इसका जो जवाब आए उसमें भी एक जोड़ने पर जो संख्या होती है। उतने ही वोट एक सदस्य को राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए चाहिए। गुजरात की सदस्य संख्या 182 है। खाली सीट 4+ 1= 5। 182/ 5 = 36.4। 36.4 +1= 37.4। गुजरात राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक सदस्य को औसतन 37 विधायकों का समर्थन चाहिए।