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राज्यसभा में बहुमत के लिए इस साल होनी है ये बड़ी जंग, किसका क्या होगा
कांग्रेस की कुछ राज्यों में सरकार होने के बावजूद इस वर्ष होने वाले द्विवार्षिक चुनाव में उसकी स्थिति कमजोर रहने के आसार हैं। इस का कारण ये है कि कांग्रेस की रिक्त होने वाली ज्यादातर सीटों वाले राज्यों में भाजपा व अन्य दलों की सरकारें हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि भाजपा के लिए मौका है कुछ राज्यों की विधानसभाओं का गणित उसके भी खिलाफ जा रहा है।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ । 2020 में राज्यसभा की 73 सीटों के लिए चुनाव होने जा रहे हैं। और 69 सदस्य इस साल रिटायर हो रहे हैं। जिन सदस्यों का कार्यकाल इस साल समाप्त हो रहा है उनमें ज्यादातर भाजपा और कांग्रेस के हैं। भाजपा के 18 और कांग्रेस के 17 सदस्य इनमें शामिल हैं। ऐसे में इन सीटों पर इस साल चुनाव होने हैं। अकेल उत्तर प्रदेश से इस साल दस सीटें खाली हो रही है।
कांग्रेस की कुछ राज्यों में सरकार होने के बावजूद इस वर्ष होने वाले द्विवार्षिक चुनाव में उसकी स्थिति कमजोर रहने के आसार हैं। इस का कारण ये है कि कांग्रेस की रिक्त होने वाली ज्यादातर सीटों वाले राज्यों में भाजपा व अन्य दलों की सरकारें हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि भाजपा के लिए मौका है कुछ राज्यों की विधानसभाओं का गणित उसके भी खिलाफ जा रहा है।
ये सदस्य इस साल हो रहे हैं रिटायर
2020 में राज्यसभा से रिटायर होने वाले सदस्यों की सूची में एक नामित के अलावा महाराष्ट्र से 7, उड़ीसा 4, तमिलनाडु 6, पश्चिम बंगाल 5, आंध्र प्रदेश 4, असम तीन, बिहार पांच, चंडीगढ़ दो, गुजरात चार, हरियाणा दो, हिमाचल प्रदेश एक, झारखंड दो, मध्य प्रदेश तीन, मणिपुर एक, राजस्थान 3, तेलंगाना दो, मेघालय एक, अरुणाचल प्रदेश एक, कर्नाटक चार, मिजोरम एक, उत्तर प्रदेश 10, उत्तराखंड एक शामिल है। इसमें उत्तर प्रदेश के दस व उत्तराखंड का एक सदस्य नवंबर 2020 में रिटायर होगे। जबकि बाकी सदस्य 24 फरवरी 2020 से जुलाई 2020 के बीच पूरा हो रहा है। छह स्थान अन्य कारणों से रिक्त हैं। राज्य सभा चुनाव इस साल फरवरी, जून जुलाई और नवंबर में होने हैं।
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उत्तराखंड, उड़ीसा, यूपी, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से रिटायर होने वाले सदस्यों का दोबारा उच्च सदन में पहुंचना मुश्किल है। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान से कांग्रेस को दो दो सीटें मिलेंगी। लेकिन बाकी जगह उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अमित शाह की गणित
देखना यह है कि भाजपा के चाणक्य अमित शाह इस बार राज्यसभा में बहुमत पाने के लिए क्या रणनीति बनाते हैं क्योंकि साधारण स्थिति में बहुमत हासिल करने की चुनौती पूरी कर पाना भाजपा के लिए भी अत्यंत कठिन है। मोटे तौर पर स्थिति देख कर तो यही लगता है कि 83 से कुछ सीटें बढ़ सकती हैं भाजपा की लेकिन बहुमत दूर की कौड़ी ही रहेगा। इसके बाद अगर भाजपा के चाणक्य या कुशल रणनीतिकार अमित शाह कोई योजना बनाते हैं तो कहा जा सकता है कि बहुमत भाजपा के लिए दूर की कौड़ी नहीं है।
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2020 की शुरुआत में सबसे पहले यूपीए की ओर से मनोनीत केटीएस तुलसी रिटायर होंगे, ऐसे में माना जा रहा है कि एनडीए अपनी पसंद के सांसद को मनोनीत कर लेगी।
कांग्रेस को मौका
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड व महाराष्ट्र की सत्ता में आने से कांग्रेस को सीटें बढ़ाने का मौका मिला है। लेकिन सवाल कांटे की लड़ाई का है क्योंकि इन राज्यों में भाजपा भी बहुत कमजोर स्थिति में नहीं है।
राज्यों की विधानसभा में दलीय स्थिति को देखते हुए भाजपा, जदयू एवं बीजद को राज्यसभा में अपनी सीटें बरकरार रखने का भरोसा है।