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Rajya Sabha Election: अखिलेश निभाएंगे गठबंधन धर्म, जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजने की तैयारी

Rajya Sabha Election: यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के अब रालोद और समाजवादी पार्टी गठबंधन भविष्य की राजनीति का ताना-बाना बुनने में जुटी है। इसी के तहत जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजने की तैयारी है।

Rahul Singh Rajpoot
Published on: 21 March 2022 1:47 PM IST
rld chief jayant chaudhary preparation to send rajya sabha membership alliance partner samajwadi party
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जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजने की तैयारी

समाजवादी पार्टी के पुराने सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी को अखिलेश यादव राज्यसभा भेजने की तैयारी कर रहे हैं। इसको लेकर जल्द ही सपा सुप्रीमो और आरएलडी अध्यक्ष की एक बैठक होगी। गठबंधन की ओर से जयंत चौधरी संयुक्त उम्मीदवार होंगे। सपा के साथ मिलकर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने वाले जयंत चौधरी को पश्चिम यूपी में 8 सीटों पर जीत हासिल हुई है। उनकी पार्टी से 35 उम्मीदवार मैदान उतरे थे।

अखिलेश यादव अपनी पार्टी और गठबंधन के दूसरे सहयोगियों की मदद से जयंत को संसद भेजने की तैयारी कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने जयंत को अपने पाले में लेने की पूरी कोशिश की थी। लेकिन उन्होंने अखिलेश यादव पर भरोसा जताते हुए उनके साथ बने रहने का फैसला किया है।

जयंत राज्यसभा जाने की उम्मीद पाले हैं

दरअसल, जयंत सिंह को सपा गठबंधन और चुनावी माहौल को देखते हुए उन्हें इतनी सीटों का भरोसा था कि वे उच्च सदन में जा सकें। पर ऐसा नहीं हुआ है। उनको सिर्फ आठ सीटें मिली हैं। ऐसे में अब उनकी उम्मीद अखिलेश यादव से हैं, जिनकी पार्टी के वोटों के सहारे जयंत सिंह राज्यसभा जाने की उम्मीद पाले हुए हैं। राज्यसभा से अपनी सीट पक्की करने के के लिए ही जयंत चौधरी 2024 के लोकसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी के साथ रहने का ऐलान पहले ही कर चुके हैं।

जयंत का राजनीतिक इतिहास

2009 में मथुरा से सांसद रह चुके रालोद अध्यक्ष जयंत सिंह 2012 में मथुरा की मांट सीट से विधायक चुने गए थे, लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। मांट से लगातार जीतने वाले विधायक श्याम सुंदर शर्मा को हराने में भी जयंत सिंह कामयाब रहे थे। चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद जयंत सिंह रालोद के अध्यक्ष बनाए गए थे। उनके नेतृत्व में रालोद ने 2022 में पहला चुनाव लड़कर आठ सीटें जीती हैं। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद पहली बार जाट वोटों का बड़ा झुकाव रालोद की तरफ दिखाई दिया है। जबकि 2017 के चुनाव में रालोद को सिर्फ छपरौली की सीट मिली थी, उसमें भी जीत का अंतर बहुत अधिक नहीं था। यानी इस बार पश्चिमी यूपी में खुद को साबित करने में जयंत सिंह कामयाब रहे हैं।

राजभर बने रोड़ा

बहरहाल, जयंत के राज्यसभा पहुंचने के बीच सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) नेता ओमप्रकाश राजभर रोड़ा बने हैं। दरअसल, सपा गठबंधन को अपने दम पर तीन सीटें मिल सकती हैं। ऐसे में अगर अखिलेश जयंत सिंह को एक सीट देते हैं तो दूसरे सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर भी सीट मांगेंगे, जिनके बारे में पिछले दिनों भाजपा में वापस लौटने की अटकलें तेजी से चल चुकी है। फिलहाल,जयंत राज्यसभा में जाएंगे या नही इसको लेकर सबकी नजरें अखिलेश के फैसले पर टिकी हैं कि वो क्या फैसला लेते हैं।

जून महीने में खाली हो रहीं राज्यसभा की कुछ सीटें

यूपी में राज्यसभा की कुल 31 सीटें हैं, जिनमें से जून महीने में कुछ खाली होने वाली है। जून-जुलाई महीने में इन सीटों पर चुनाव होगा। अब इसके लिए समाजवादी पार्टी रणनीति बनाने में जुट गई है। सपा रालोद गठबंधन भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखते हुए जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजकर एक बड़ा संदेश देना चाहती। क्योंकि 2024 का लोकसभा चुनाव भी उन्हें लड़ना है, ऐसे में पश्चिम में अपने किले को मजबूत करने के लिए सपा आरएलडी का साथ बनाए रखना चाहती है। विधानसभा चुनाव 2022 की बात करें समाजवादी पार्टी के 111 विधायक हैं, राष्ट्रीय लोकदल के आठ, ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 6 प्रत्याशी जीते हैं। इस तरह सपा गठबंधन के कुल 125 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। जो सबसे बड़ा विपक्ष है, कांग्रेस के दो, बहुजन समाज पार्टी के एक एमएलए जीते हैं।

दोनों नेताओं की जल्द होगी बैठक

सूत्रों के मुताबिक अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के साथ बैठक कर राज्यसभा की खाली हो रही सीटों पर रणनीति तैयार करेंगे और इनमें बड़े नेताओं को उच्च सदन भेजने पर चर्चा होगी। इनमें से एक नाम फिक्स माना जा रहा है कि जयंत चौधरी को अखिलेश राज्य सभा भेजेंगे। क्योंकि पिछले काफी समय से जयंत चौधरी विधानसभा और संसद से दूर हैं।

विधानसभा का चुनाव लड़ने से किया था इंकार

जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी पश्चिम उत्तर प्रदेश की 35 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। पार्टी अध्यक्ष जयंत ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। उन्होंने पार्टी और गठबंधन प्रत्याशियों के प्रचार प्रसार में ज्यादा व्यस्त होने की वजह से खुद चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था। 2009 में मथुरा से पहली बार सांसद बने जयंत चौधरी 2012 के विधानसभा चुनाव में मथुरा की मांट सीट से विधायक बने थे लेकिन उन्होंने बाद में इस्तीफा दे दिया था। मांट से लगातार चुनाव जीतने वाले विधायक श्याम सुंदर शर्मा को उन्होंने हराया था। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था।

इस बार RLD के 8 विधायक जीते

अपने पिता चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद पार्टी की कमान संभालने वाले जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा और आठ विधायक उनके जीत कर आए। 2012 के चुनाव में सिर्फ एक सीट पर उनके विधायक छपरौली में जीते थे। पार्टी की जिम्मेदारी संभालने के बाद जयंत ने अपनी पार्टी और संगठन को मजबूत करने का काम किया है। जिससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से उनके दल की धमक बढ़ी है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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